Bangladesh में Boycott of Indian का आह्वान सोशल मीडिया पर एक प्रवृत्ति बन गई है, लेकिन क्या यह वास्तव में भारतीय उत्पादों की खपत या निर्यात प्रवाह को कम करने में प्रभावी है?-Boycott of Indian – Bangladesh
क्या Boycott of Indian का आह्वान Bangladesh के अगले चुनावों को प्रभावित करने की कोशिश है?
क्या भारतीय उत्पादों का बहिष्कार Bangladesh के आर्थिक हितों को नुकसान पहुँचा सकता है?
और क्या इस तरह के बहिष्कार से भारत और Bangladesh के बीच संबंध खराब हो सकते हैं?
आइये इन सभी वैश्विक प्रश्नो पर विस्तार से विचार करते है। नमस्कार आप देख रहे है AIRR न्यूज़।
Bangladesh में Boycott of Indian का आह्वान तब शुरू हुआ जब Bangladesh नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के रुहुल कबीर रिज़वी ने भारतीय वस्तुओं के विरोध में अपनी कश्मीरी शॉल फेंक दी। हालांकि, इस कदम को उनकी पार्टी के रुख के रूप में नहीं देखा गया। बाद में, Bangladesh की प्रधान मंत्री शेख हसीना ने सार्वजनिक रूप से सवाल किया कि कबीर अपनी पत्नी की भारतीय साड़ियों को क्यों नहीं जलाते।-Boycott of Indian – Bangladesh
आपको बता दे कि सोशल मीडिया पर भारतीय उत्पादों के बहिष्कार का आह्वान लगातार किया जा रहा है, लेकिन यह आश्चर्यजनक है कि चुनाव के महीनों बाद भी यह रुझान जारी है। इस तरह के एजेंडे का उद्देश्य स्पष्ट है: बीएनपी के नेता भारत सरकार के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों के पक्ष में नहीं हैं। अंततः, इसका नकारात्मक प्रभाव Bangladesh वेतन भोगियों पर पड़ेगा, न कि अभिजात वर्ग पर।-Boycott of Indian – Bangladesh
वैसे Bangladesh बुनाई और वस्त्र उद्योग में एक प्रमुख खिलाड़ी होने के बावजूद, अक्सर भारतीय वस्त्रों पर निर्भर करता है, जो कई बार अपने स्वयं के उत्पादों की तुलना में सस्ते होते हैं। जैसे भारत Bangladesh में इस्तेमाल होने वाले लगभग 80% कच्चे माल और कपास यार्न की आपूर्ति करता है। Bangladesh के लिए प्याज एक महत्वपूर्ण वस्तु है, और भारत इसका एक प्राथमिक स्रोत है।
इसके अलावा भारत Bangladesh को बिस्कुट, टूथपेस्ट, शिशु आहार, साबुन, सौंदर्य प्रसाधन, तेल, खनिज वस्तुएँ, दवाएँ, सोया तेल, चॉकलेट, चीनी, दूध, डेयरी उत्पाद, कार और टायर जैसी कई ज़रूरी वस्तुएँ निर्यात करता है। जिसके लिए Bangladesh-भारत सीमा पर सबसे व्यस्त भूमि निर्यात-आयात बिंदु बेनापोल-पेट्रापोल के माध्यम से चलने वाले ट्रकों की संख्या में वृद्धि इस बात का संकेत है कि भारत से आयात पर बहिष्कार का कोई प्रभाव नहीं पड़ा है।
अगर बात करे पिछले 20 वर्षों के रिश्तो कि तो इन वर्षो में भारत और Bangladesh के बीच व्यापार में लगातार वृद्धि हुई है। भारत Bangladesh का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है, और Bangladesh भारत का 11वां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है।
व्यापार का आकार और संरचना को देखे तो 2002-03 में, भारत और Bangladesh के बीच द्विपक्षीय व्यापार $1.3 बिलियन था। अगले वर्ष 2022-23 में, द्विपक्षीय व्यापार बढ़कर $16 बिलियन हो गया। जो कि भारत Bangladesh को मुख्य रूप से कपड़ा, वस्त्र, वाहन, इंजीनियरिंग सामान, इलेक्ट्रॉनिक्स और रसायन निर्यात के जरिये हुआ है।
बदले में Bangladesh भारत को मुख्य रूप से परिधान, चमड़ा, जूट, समुद्री भोजन और कच्ची खाल का निर्यात करता है जो कि करीब २५% है।
वैसे ये भी सच है कि भारत और Bangladesh के बीच व्यापार असंतुलित है, जिसमें भारत Bangladesh को बहुत अधिक निर्यात करता है।
2022-23 में, भारत का Bangladesh के साथ व्यापार घाटा $10.2 बिलियन था।
तो इस तरह Bangladesh में Boycott of Indian का आह्वान एक सोशल मीडिया ट्रेंड बन गया है, लेकिन इसका भारत से आयात पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं पड़ा है। भारतीय उत्पादों को उनके मूल्य और गुणवत्ता के लिए पसंद किया जाता है, और उनके बहिष्कार से Bangladesh के वेतन भोगी और आम Bangladesh ही प्रभावित होंगे। आत्मनिर्भरता की वकालत करना उचित है, लेकिन एक अच्छे और जिम्मेदार पड़ोसी के प्रति दुश्मनी को बढ़ावा देना उचित नहीं है।
नमस्कार आप देख रहे थे AIRR न्यूज़।
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