भारत में सीएए लागू होने के विरोध में पाकिस्तान में एक और नापाक काम होना शुरू हो गया…और वो है पाकिस्तान में हिंदुओं के धर्मस्थलों को निशाना बनाना…खैबर पख्तूनख्वा में 200 साल पुराने मंदिर को ध्वस्त करने का प्रयास किया गया है…खैबर पख्तूनख्वा के स्वाबी जिले के रज्जर तहसील के दगई गांव में ये मंदिर है…ये प्रयास 11 मार्च 2024 के बाद हुआ है…क्योंकि 2019 में भारतीय संसद से पारित कानून को इसी दिन लागू किया गया…यानि 11 मार्च 2024 को…-CAA – pakistan
पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के अधिकार के नाम पर एक बड़ा सा झुनझुना पिछले 75 सालों से पकड़ाया जा रहा है…अल्पसंख्यकों की आवाज कोई नहीं सुनता और अवाज उठाने वालों को आर्मी अपनी बूट तले रौंद देती है…तो राइट्स के लिए रार होगी ही…लेकिन पाकिस्तान में अब हालात सिर्फ अल्पसंख्यकों के लिए ही नहीं खराब हो रहे हैं…बल्कि पाकिस्तान के मुसलमान भी अब अंधकार में गुम हो रहे अपने भविष्य को बचाने के लिए हिंदुस्तान की तरफ आशा भरी नजरों से देख रहे हैं…उनका साफ मानना है कि जो शिक्षा, जो मौक उन्हें चाहिए वो पाकिस्तान में नहीं है इसलिए अगर हिंदुस्तान आने का मौका मिले तो वो इस मौके को गवाएंगे नहीं…-CAA – pakistan
पाकिस्तान में रह रहे मुसलमानों का ये दर्द जायज है क्योंकि वो जब भारत में मुसलमानों की स्थिति देखते हैं तो उन्हें यहां आने का मन करता है…पाकिस्तान जैसे देश से निकल भागने का मन करता है क्योंकि उन्हें पता है कि अगर वो पाकिस्तान में रहेंगे तो उनके और उनकी आने वाली पीढ़ियों की जिंदगी का अंधेरा कभी नहीं मिटेगा…-CAA – pakistan
पीओके और गिलगिट बाल्टिस्तान के लोगों के लिए तो इस्लामाबाद से नजदीक करगिल का बॉर्डर पड़ता है…तब तो आए दिन इन इलाकों से आवाज आती रहती है…’आर पार जोड़ दो-करगिल के द्वार खोल दो’…पाकिस्तान में पीओके और गिलगिट बाल्टिस्तान के लोग ठगा महसूस कर रहे हैं…उनका मनना है कि उन्हें उनका हक उन्हें नहीं मिल रहा है…उन्हीं की कमाई से पूरा पाकिस्तान अपना पेट पाल रहा है…लेकिन पीओके और गिलगिट बाल्टिस्तान की अवाम भूखे सोने को मजबूर हैं….
यहां पर अगर पाकिस्तान के मुंगेरी लाल के हसीन सपने का जिक्र करे…जो कभी पूरा नहीं हो सकता…वो कश्मीर का मसला.. तो यहां ये साफ करना जरूरी है कि अब बात कश्मीर की नहीं…बल्कि पीओके की होने लगी है…जहां बगावत का झंडा इतना बुलंद हो गया है कि उस झंडे पर कभी पाकिस्तान का चांद तारा उतर कर हिंदुस्तान का तिरंगा लहरा सकता है…क्योंकि इसकी जमीन वहां तैयार होने लगी है…
इसमें कोई दो राय नहीं कि भारत में सीएए लागू के होने के साथ ही पाकिस्तान में हिंदुओं पर होने वाले जुल्म और बढ़ेंगे.. हिंदू धर्म स्थलों पर निशाना बनाया जाएगा…हिंदू और सिखों को और प्रताडि़त किया जाएगा…लेकिन इससे नुकसान पाकिस्तान का ही होगा…क्योंकि अब पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों को आश्रय और नागरिकता देने के लिए हिंदुस्तान की मोदी सरकार ने बहुत बड़ा फैसला ले लिया है…
जब से भारत सरकार ने सीएए को मंजूरी दी है तब से पाकिस्तान से पलायन में और तेज़ी आई है…
क्या आने वाले सालों में सीएए की समय सीमा में सरकार बदलाव कर सकती है?
पाकिस्तान में अत्याचार सह रहे अल्पसंख्यों के लिए क्या विकल्प है?