आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस का गठबंधन क्या देश की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है? क्या इन दोनों पार्टियों के बीच की सीट-शेयरिंग समझौता उनके लिए फायदेमंद साबित होगा? क्या इनके विरोध में खड़ी भाजपा को इस गठबंधन से खतरा है? और क्या इनके नेता अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान की लोकप्रियता और प्रभाव उनके लिए वोट बैंक बन सकती है? इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए देखिए हमारा यह वीडियो, जिसमें हम आपको इस विषय के बारे में विस्तार से बताएंगे। नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR न्यूज़।”AAP and Congress Alliance”
इस वीडियो में हम आपको बताएंगे कि AAP और कांग्रेस का गठबंधन कैसे बना, इसके पीछे का राजनीतिक और सामाजिक परिप्रेक्ष्य क्या है, इसके प्रमुख नेता और उम्मीदवार कौन हैं, इसके लिए कौन-कौन से राज्य और सीटें महत्वपूर्ण हैं, इसके लिए कौन-कौन से मुद्दे और वादे हैं, इसके लिए कौन-कौन से चुनौतियां और अवसर हैं, और इसका चुनाव परिणाम पर क्या प्रभाव पड़ेगा।”AAP and Congress Alliance”
आइए शुरू करते हैं ! AAP और कांग्रेस के गठबंधन की शुरुआत से। AAP का जन्म 2012 में हुआ, जब अन्ना हजारे के नेतृत्व वाले भारत के खिलाफ भ्रष्टाचार आंदोलन से अलग होकर कुछ लोगों ने एक नई राजनीतिक पार्टी बनाने का फैसला किया। इनमें से एक थे अरविंद केजरीवाल, जो एक पूर्व नौकरशाह और मैगसेसे पुरस्कार विजेता थे। उन्होंने आम आदमी पार्टी का गठन किया, जिसका उद्देश्य देश में भ्रष्टाचार, अन्याय, गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई, अशिक्षा, अस्वास्थ्य, असुरक्षा और असंतोष को दूर करना था। उन्होंने अपने पार्टी को जनता की पार्टी बताया, जो जनता की आवाज और जनता की भागीदारी से चलेगी।”AAP and Congress Alliance”
AAP ने अपना पहला चुनाव 2013 में दिल्ली विधानसभा के लिए लड़ा, जिसमें वे एक धमाकेदार प्रदर्शन करके 70 में से 28 सीटें जीतीं। उन्होंने कांग्रेस के साथ एक समर्थन समझौता करके दिल्ली में अपनी पहली सरकार बनाई, और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बने। लेकिन उनकी सरकार सिर्फ 49 दिनों में ही गिर गई, जब उन्होंने जनलोकपाल बिल को पारित करने के लिए अपना इस्तीफा दे दिया। उन्होंने फिर से चुनाव लड़ने का फैसला किया, जो 2015 में हुआ। इस बार AAP ने एक ऐतिहासिक जीत हासिल की, जब उन्होंने 70 में से 67 सीटें जीतीं। केजरीवाल दूसरी बार मुख्यमंत्री बने, और अब तक उनकी सरकार दिल्ली में शासन कर रही है।”AAP and Congress Alliance”
AAP ने 2014 के लोकसभा चुनाव में भी अपना प्रभाव दिखाया, जब उन्होंने पंजाब में चार सीटें जीतीं। उन्होंने 2017 में पंजाब विधानसभा चुनाव में भी अच्छा प्रदर्शन किया, जब उन्होंने 117 में से 20 सीटें जीतीं, और विपक्ष की भूमिका निभाई।”AAP and Congress Alliance”
AAP ने अन्य राज्यों में भी अपनी पहचान बनाने की कोशिश की, लेकिन वहां उन्हें कामयाबी नहीं मिली। उन्होंने गुजरात, गोवा, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में चुनाव लड़े, लेकिन उन्हें कहीं भी सीट नहीं मिली। उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में भी अपना दावा जमाया, लेकिन उन्हें सिर्फ एक सीट मिली, जो भगवंत मान ने संगरूर से जीती।”AAP and Congress Alliance”
AAP और कांग्रेस के बीच का रिश्ता हमेशा से उतार-चढ़ाव भरा रहा है। दोनों पार्टियां एक-दूसरे के साथ सहयोग और विरोध की भूमिका में रही हैं। उनके बीच का आधार समान है, जो मध्यम वर्ग, गरीब और अल्पसंख्यकों को अपना कहता है। उनके बीच का वैचारिक रूप से भी कोई बड़ा अंतर नहीं है, जो जनकल्याण और विकास पर जोर देता है। लेकिन, उनके बीच का राजनीतिक रूप से बहुत सारे मतभेद हैं, जो उन्हें एक-दूसरे के विरोधी बनाते हैं।
AAP ने कांग्रेस को भ्रष्टाचार, नाकामी, तुष्टिकरण और घोटालों का दोषी माना है। उन्होंने कांग्रेस के नेतृत्व को निर्णायक, निर्णयात्मक और निर्लज्ज माना है। उन्होंने कांग्रेस के नेताओं पर बीजेपी के साथ मिलीभगत का आरोप लगाया है। उन्होंने कांग्रेस को भाजपा का बी टीम कहा है।
कांग्रेस ने AAP को अनुभवहीन, अस्थिर, अहंकारी और झूठा माना है। उन्होंने AAP के नेतृत्व को अनैतिक, असंवैधानिक और असंगठित माना है। उन्होंने AAP के नेताओं को भाजपा के साथ समझौता करने का आरोप लगाया है। उन्होंने AAP को भाजपा का ए टीम कहा है।
इस प्रकार, दोनों पार्टियां एक-दूसरे के विरोध में जनता को भरोसा दिलाने के लिए अपने आप को एक विकल्प के रूप में पेश करती हैं। लेकिन, दोनों पार्टियां भी जानती हैं कि भाजपा के खिलाफ एक जुट होने की जरूरत है, जो देश की सबसे बड़ी पार्टी है और जिसके पास विशाल संसाधन और संगठन हैं। भाजपा को हराने के लिए, विपक्ष को एकजुट होकर चुनाव लड़ना होगा, जिसमें AAP और कांग्रेस दोनों का महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है।
इसलिए, दोनों पार्टियों ने अपने बीच के मतभेदों को दबाकर, लोकतंत्र की रक्षा के लिए एक साथ आने का फैसला किया है। उन्होंने अपने गठबंधन की घोषणा करते हुए कहा है कि वे देश को भाजपा की तानाशाही, अराजकता, भ्रष्टाचार, आर्थिक मंदी, बेरोजगारी, किसानों की आत्महत्या, धार्मिक असहिष्णुता, गरीबी, महिलाओं के खिलाफ हिंसा और अन्य सामाजिक बुराइयों से मुक्ति दिलाने का वादा करते हैं।
उन्होंने अपने गठबंधन का आधार जनता की आवाज, जनता की इच्छा और जनता की आशा बताया है। उन्होंने कहा है कि वे देश को एक नया राष्ट्रीय एजेंडा देंगे, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी, सड़क, रोजगार, किसानों का हित, महिलाओं का अधिकार, युवाओं का भविष्य, अल्पसंख्यकों की सुरक्षा, विकास और न्याय को शामिल करेंगे।
उन्होंने जनता से अपील की है कि वे इस गठबंधन को अपना समर्थन दें और भाजपा को देश से बाहर करें। उन्होंने कहा है कि वे देश को एक नई उम्मीद, एक नई दिशा और एक नई शुरुआत देंगे।
इस तरह, AAP और कांग्रेस के बीच का गठबंधन देश की राजनीति में एक नया मोड़ लाने का दावा करता है। यह गठबंधन भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है, अगर वह जनता को अपने पक्ष में झुका पाए। लेकिन, इस गठबंधन को अपने बीच के मतभेदों, विरोधियों के हमलों और जनता की उम्मीदों को पूरा करने की चुनौती से भी जूझना होगा। इसलिए, यह गठबंधन एक रोमांचक और निर्णायक राजनीतिक प्रयोग है, जिसका परिणाम चुनाव के बाद ही पता चलेगा।
नमस्कार आप देख रहे थे AIRR न्यूज़।