राहुल के लिए वायनाड जरूरी या मजबूरी ?”Rahul Gandhi “
कांग्रेस ने 39 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की
Rahul Gandhi वायनाड से ही लड़ेंगे लोकसभा चुनाव
राहुल के लिए सबसे सेफ सीट है वायनाड
पिछली बार वायनाड जीते लेकिन अमेठी हार गए थे
बीजेपी के लिए अभी भी वायनाड काफी दूरी
कांग्रेस अपनी पकड़ दक्षिण में छोड़ना नहीं चाहती
कांग्रेस ने 8 मार्च को लोकसभा चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी की… इस लिस्ट में जिन 39 उम्मीदवारों को जगह दी गई है उनमें राहुल गांधी, भूपेश बघेल, शशि थरूर और डीके सुरेश जैसे दिग्गज नेताओं के नाम शामिल हैं. कांग्रेस ने “Rahul Gandhi “ को लोकसभा पहुंचाने के लिए एक बार फिर सबसे सेफ सीट के तौर पर साउथ का रुख किया है… वह केरल की वायनाड सीट से इस बार भी चुनावी मैदान में उतरेंगे. हालांकि, राहुल इस बार अपनी परंपरागत सीट अमेठी से चुनाव लड़ेंगे या नहीं, इस पर अभी भी सस्पेंस बना हुआ है.. अब सवाल ये है कि आखिर कांग्रेस के लिए वायनाड सीट क्यों खास है…
तो कांग्रेस नेताओं का मानना है कि हिंदी बेल्ट के मुकाबले कांग्रेस साउथ में ज्यादा मजबूत है और साल 2009 में परिसीमन के बाद से कांग्रेस का इस सीट पर कब्जा है… यहां से राहुल को बड़ी जीत दिलाने के लिए कई दिग्गज नेताओं की जमात भी उनका साथ देगी. वहीं, पार्टी को उम्मीद है कि केरल की इस सीट से राहुल की दावेदारी का प्रभाव कर्नाटक और तमिलनाडु की लोकसभा सीटों पर पड़ेगा, क्योंकि दोनों राज्य की सीमा वायनाड से जुड़ी हुई है…
अगर पिछले लोकसभा चुनाव की बात की जाए तो कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने साल 2019 के लोकसभा चुनाव में यूपी के अमेठी और केरल के वायनाड से दावेदारी की थी, जहां वो वायनाड में जीतने में कामयाब रहे, लेकिन उन्होंने अपनी परंपरागत सीट अमेठी को गंवा दिया. उन्होंने वायनाड में सीपीआई नेता को हारकर 4 लाख वोटों के भारी अंतर से जीत दर्ज की थी. राहुल गांधी को करीब साढ़े छह लाख वोट मिले थे, जबकि सीपीआई नेता को मात्र ढाई लाख मत मिले थे… लेकिन बताया जा रहा है कि इस बार आसान नहीं होगा राहुल का सफर..
कांग्रेस ने वायनाड से “Rahul Gandhi ” की दावेदारी को फाइनल कर दिया है, जबकि सीपीआई ने डी राजा की पत्नी एनी राजा को अपना प्रत्याशी बनाकर महिला कार्ड चल दिया है… सीपीआई नेताओं का कहना है कि Rahul Gandhi को यहां से चुनाव नहीं लड़ना चाहिए, क्योंकि कांग्रेस बोलती है कि उनकी लड़ाई बीजेपी से और अगर वह लेफ्ट के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे तो लोगों में मैसेज गलत जाएगा..
लेफ्ट नेताओं के बयान के बाद इस सीट पर अब लड़ाई काफी दिलचस्प होने जा रही है. वहीं, बीजेपी ने वायनाड की सीट अपनी सहयोगी बीडीजेएस को दे दी है. पर उम्मीद लगाई जा रही है कि बीजेपी अपने किसी दिग्गज नेता को राहुल के सामने चुनावी मैदान में उतार सकती है… वहीं एक बात ये भी है कि केरल की सीटों पर कांग्रेस अपना दबदबा नहीं छोड़ना चाहती..
पिछले चुनाव में कांग्रेस को भले देश में 52 ही सीटें मिली हों, लेकिन अकेले केरल की 20 में से 19 सीटों पर कांग्रेस गठबंधन ने जीत दर्ज की थी.. राहुल और उनके सबसे विश्वस्त नेता केसी वेणुगोपाल यहीं से आते हैं, इसके अलावा तीन बार से सांसद रहे शशि थरूर भी केरल से ताल्लुक रखते हैं… वहीं केरल में लोकसभा चुनाव में हमेशा कांग्रेस को राष्ट्रीय राजनीति की अगुवा पार्टी होने का फायदा मिला, लेफ्ट को नहीं..
साथ ही कांग्रेस के विरोध में माहौल तैयार करने के लिए मोदी कह रहे हैं कि ये पार्टी इस बार 40 से ज्यादा सीटें नहीं जीतेगी, ऐसे में कांग्रेस के लिए जरूरी है कि वह केरल जैसे अपने गढ़ को बचाकर रखे. पिछले दिनों उत्तर भारत बनाम दक्षिण भारत की राजनीति खूब हुई, जिसमें कांग्रेस ने दक्षिण भारत की ओर से मोर्चा संभाला है. मोदी इस विषय पर थोड़ी नरमी से काम लेते हैं. ऐसे में कांग्रेस और “Rahul Gandhi “के लिए जरूरी हो जाता है कि वे अपना बेस दक्षिण में ही बनाए रखें. और वोटरों को ये अहसास कराएं कि वे अब दक्षिण भारत का ही हिस्सा हैं. ताकि भाजपा के दक्षिण में फैलाव को रोका जा सके. उनकी इस लड़ाई में न सिर्फ कर्नाटक से उनकी पार्टी बल्कि पड़ोसी तमिलनाडु की डीएमके पार्टी की ओर से भी खूब साथ मिला है…
वे वायनाड और केरल में अपने पैर मजबूत करके मोदी की नाक में दम करे रखना चाहेंगे… वहीं वायनाड बीजेपी की पहुंचे से फिलहाल दूर नजर आता है..हालांकि संघ ने तो बहुत हाथ पैर मारे हैं, लेकिन केरल में भाजपा पैठ नहीं बना पाई है…प्रमुख लड़ाई लेफ्ट और कांग्रेस में रही, भाजपा दूर कहीं तीसरे नंबर पर रही है..वहीं इस बार भी वायनाड से भाजपा का वैसा कोई प्लान नहीं, जैसा अमेठी-रायबरेली को लेकर है.वहीं बीते दिनों “Rahul Gandhi ” के अमेठी और वायनाड से चुनाव लड़ने की चर्चा पर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने निशाना साधा था.
उन्होंने कहा कि यदि राहुल गांधी दो सीटों से चुनाव लड़ेंगे तो मान लिया जाए कि वे अमेठी हार रहे हैं, लेकिन इन सबसे बेपरवाह राहुल और कांग्रेस ने तय किया है कि वे अपनी वायनाड सीट पर डटे रहेंगे, जिसने पिछले चुनाव में अमेठी की हार के बाद भी उन्हें संसद पहुंचाया था… वहीं एक फैक्टर ये भी है कि वामदल अगर नाराज भी होंगे तो बाद में मना लिया जाएगा.. हमेशा से कहा जा रहा था कि यदि केरल में कांग्रेस और वामदल आमने-सामने होंगे तो इंडिया गुट की इससे बड़ी किरकिरी नहीं हो सकती.
लेकिन, इस बहस में पड़ने के बजाय कांग्रेस ने प्रैक्टिकल रास्ता अपनाया है. कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियां ये अच्छी तरह समझती हैं कि उनका प्रमुख मुकाबला आपस में नहीं, बल्कि केंद्र में भाजपा से है. वे विधानसभा चुनाव में दो-दो हाथ कर लेंगे, लेकिन लोकसभा चुनाव में ज्यादा एनर्जी बर्बाद करना ठीक नहीं. पिछले लोकसभा चुनाव में लेफ्ट को केरल में महज एक सीट से संतोष करना पड़ा था, इस बार वह चुनाव में थोड़ा सम्मानजनक स्कोर चाहती है…
वहीं “Rahul Gandhi ” के सामने वामदलों ने इस बार एनी राजा के रूप में मजबूत उम्मीदवार उतारा है, ताकि मैच फिक्स न लगे. लेकिन, राहुल गांधी का कद और भविष्य की राजनीति को देखते हुए वोटरों के लिए फैसला करना ज्यादा मुश्किल नहीं होगा. कांग्रेस जानती है कि यदि लोकसभा चुनाव में दोनों पार्टियों के बीच खटास आई भी तो उसे आगे चलकर दूर किया जा सकता है. आखिर दोनों दल पश्चिम बंगाल जैसे राज्य में तो साथ-साथ हैं ही…