भारत की राजनीति में उलटफेर आम बात है। कई बार नेता अपनी पार्टी को छोड़कर दूसरी पार्टी में शामिल हो जाते हैं, चाहे वह विधानसभा चुनाव से पहले हो या बाद में। लेकिन कुछ नेताओं का ऐसा उलटफेर होता है, जो राजनीतिक दृष्टिकोण को बदल देता है। एक ऐसा ही उलटफेर हाल ही में कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता जगदीश शेट्टर ने किया है।-Jagadish Shettar
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Jagadish Shettar का नाम कर्नाटक की राजनीति में काफी मशहूर है। वे लिंगायत समुदाय से संबंधित हैं, जो कि कर्नाटक की राजनीति में एक प्रभावशाली जाति है। शेट्टर ने 1986 में भाजपा में शामिल होकर अपना राजनीतिक सफर शुरू किया, और उन्होंने 1994 से 2023 तक विधानसभा के छह चुनाव जीते। उन्होंने विभिन्न सरकारों में विभिन्न मंत्रालयों का दायित्व संभाला, जैसे कि राजस्व, ग्रामीण विकास और पंचायती राज, बड़े और मध्यम उद्योग, और सार्वजनिक उद्यम। उन्होंने 2008-2009 में कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष का भी कार्यकाल पूरा किया।
2012 में, Jagadish Shettar ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री का पद संभाला, जब उनके पूर्ववर्ती बी.एस. येदियुरप्पा ने भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते इस्तीफा दिया था। लेकिन शेट्टर का मुख्यमंत्री का कार्यकाल सिर्फ एक साल ही चला, क्योंकि 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा, और कांग्रेस की सिद्धारमैया सरकार बनी।
आपको बता दे की 2014 से 2018 तक, Jagadish Shettar ने विधानसभा में विपक्ष के नेता का रोल निभाया, और कांग्रेस सरकार को कई मुद्दों पर घेरा। उन्होंने भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी का भी पूरा समर्थन किया, और उनके विकास के एजेंडे को प्रचारित किया।
2019 के लोकसभा चुनाव में, भाजपा ने कर्नाटक में 28 सीटों में से 25 सीटें जीती, और कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार को कमजोर कर दिया। इसके बाद, येदियुरप्पा ने फिर से मुख्यमंत्री का पद संभाला, और शेट्टर को बड़े और मध्यम उद्योग, और सार्वजनिक उद्यम के मंत्री बनाया।
लेकिन 2020 के अंत में, Jagadish Shettar को भाजपा से निराशा हुई, क्योंकि उन्हें 2023 के विधानसभा चुनाव में अपनी सीट से टिकट नहीं मिला। उन्होंने अपनी नाराजगी जताते हुए कहा कि उनके टिकट न देने से भाजपा को 20-25 सीटों पर असर पड़ेगा। उन्होंने अपने समर्थकों के साथ मिलकर भाजपा का इस्तीफा देकर कांग्रेस में शामिल होने का फैसला किया।
Jagadish Shettar का यह कदम भाजपा के लिए एक बड़ा झटका था, क्योंकि वे लिंगायत समुदाय के एक प्रभावशाली नेता थे, और उनके वापसी से कांग्रेस को फायदा हो सकता था। लेकिन Jagadish Shettar का कांग्रेस में रहना भी ज्यादा दिन नहीं चला, क्योंकि उन्हें वहां भी अपनी इच्छानुसार स्थान नहीं मिला। उन्हें कांग्रेस के नेतृत्व से निराशा हुई, और उन्होंने 2024 के शुरुआत में फिर से भाजपा में शामिल होने का ऐलान किया।
वैसे Jagadish Shettar की वापसी से भाजपा को राहत मिली है, क्योंकि अब फिर से वो लिंगायत समुदाय का समर्थन पाने की उम्मीद कर सकती थी। Jagadish Shettar ने अपने फैसले का कारण बताते हुए कहा कि उन्हें भाजपा के राष्ट्रवादी और विकासवादी विचारों में विश्वास है, और वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फिर से चुनने के लिए जनता को प्रेरित करना चाहते हैं।
तो इस तरह Jagadish Shettar के राजनीतिक उलटफेर ने कर्नाटक की राजनीति में कई उतार-चढ़ाव ला दिए है । उनके भाजपा से जाने से भाजपा को लिंगायत समुदाय का समर्थन खोने का खतरा था, जो कि चुनावी नतीजों पर असर डाल सकता था। उनके कांग्रेस में आने से कांग्रेस को एक अनुभवी और प्रतिष्ठित नेता मिला, जो कि उसके लिए एक बढ़त थी। लेकिन शेट्टर के फिर से भाजपा में लौट आने से भाजपा को एक बार फिर से लिंगायत समुदाय का आशीर्वाद मिल सकता है, जो कि उसके लिए एक लाभदायक बात है।
बाकि ये बात अलग है की शेट्टर के राजनीतिक उलटफेर ने उन्हें राजनीतिक दलों के बीच एक विवादित और अस्थिर नेता के रूप में पेश किया है। उनके इस कदम से उनके वफादार समर्थकों को भी निराशा हुई है, जो कि उनके लिए एक चुनौती है।
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