A Aspect of Kashmir’s Political History: The Conflict Between National Conference and Congress |

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इस वीडियो में हम Kashmir के राजनीतिक इतिहास के एक महत्वपूर्ण पहलू, राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के बीच के राजनीतिक संघर्ष के बारे में चर्चा करेंगे। यह संघर्ष Kashmir के लोगों के जीवन पर गहरा प्रभाव डालता रहा है, और उनके आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक तनाव को बढ़ाता रहा है। हम इस वीडियो में यह भी देखेंगे कि कैसे यह संघर्ष Kashmir की राजनीति को नए मोड़ पर ले गया है, और कैसे यह भारत, पाकिस्तान और चीन के बीच कश्मीर के मुद्दे को और जटिल बना रहा है। आइए शुरू करते हैं।

नमस्कार आप देख रहे है AIRR न्यूज़। 

2008 में, कश्मीर में एक नया आंदोलन शुरू हुआ, जिसमें लोगों ने भारत के खिलाफ नारे लगाए, और आजादी की मांग की। इस आंदोलन के पीछे का कारण एक विवादित भूमि सौंपने का फैसला था, जिसे बाद में रद्द कर दिया गया। इस आंदोलन में कई लोग मारे गए, और कश्मीर में फिर से तनाव बढ़ गया। 2009 में, ओमर अब्दुल्ला को जेकेपीडी और कांग्रेस के साथ गठबंधन में मुख्यमंत्री बनाया गया, लेकिन उनकी सरकार ने भी कश्मीर की स्थिति में कोई सुधार नहीं किया। 2010 में, कश्मीर में फिर से एक बड़ा आंदोलन उभरा, जिसमें लोगों ने पत्थरबाजी, हड़ताल, और जुलूस निकाले। इस आंदोलन में भी कई लोग जान गवाने को मजबूर हुए, और कश्मीर में फिर से क्रूरता और अनियंत्रितता का माहौल बन गया।

इसके बाद 2014 में, Kashmir में फिर से विधानसभा चुनाव हुए, जिनमें राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस ने अपनी सीटों की संख्या में गिरावट देखी। इस बार, जेकेपीडी और बीजेपी ने सबसे ज्यादा सीटें जीती, और उन्होंने एक अनोखा गठबंधन बनाया। जेकेपीडी के नेता मुफ्ती मोहम्मद सईद को मुख्यमंत्री बनाया गया, जो 2016 में, मुफ्ती मोहम्मद सईद की मृत्यु के बाद, उनकी बेटी महबूबा मुफ्ती ने जेकेपीडी और बीजेपी के गठबंधन को जारी रखा, और उन्हें कश्मीर की पहली महिला मुख्यमंत्री बनाया गया। लेकिन, उनकी सरकार ने भी कश्मीर के लोगों की आशाओं को पूरा पूरा नहीं किया, और 2016 में फिर से एक नया आंदोलन शुरू हुआ, जिसमें बुरहान वानी के मारे जाने के बाद लोगों ने भारत के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किए। इस आंदोलन में भी कई लोग घायल हुए, और कश्मीर में फिर से कुर्फ्यू और इंटरनेट पर रोक लगाई गई।

आपको बता दे कि 2018 में, बीजेपी ने जेकेपीडी के साथ अपना गठबंधन तोड़ दिया, और कश्मीर में फिर से राज्यपाल शासन लगा दिया गया। 2019 में, भारत की केंद्र सरकार ने धारा 370 को रद्द करके कश्मीर की विशेष स्थिति को खत्म कर दिया, और उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया। इससे कश्मीर में फिर से विरोध और अशांति फैली, और कई राजनीतिक नेताओं को नजरबंद कर लिया गया। इस फैसले को भारत के अंदर और बाहर से विवादित और असंवैधानिक कहा गया, और कई लोगों ने इसके खिलाफ आवाज उठाई।

आपने अभी तक कश्मीर के राजनीतिक इतिहास के कुछ प्रमुख पहलुओं के बारे में जाना। आशा है कि आपको यह वीडियो पसंद आया होगा। अगर आपको इस वीडियो से जुड़ी कोई भी आपत्ति या सुझाव हो, तो कृपया हमें कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आपके सवालों का जवाब देने की कोशिश करेंगे। अगर आप इस तरह के और वीडियो देखना चाहते हैं, तो AIRR न्यूज़ को सब्सक्राइब करें, और बेल आइकन को दबाएं, ताकि आपको हमारे नए वीडियो की सूचना मिल सके। धन्यवाद।

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