क्या आप जानते हैं कि भारत में एक ऐसा भी कानून है, जिसके तहत आपको बिना किसी सबूत के ही अपराधी ठहराया जा सकता है? क्या आप जानते हैं कि इस कानून के तहत आपको बिना किसी न्यायिक आदेश के ही गिरफ्तार किया जा सकता है? क्या आप जानते हैं कि इस कानून के तहत आपकी संपत्ति और बैंक खाते जब्त किए जा सकते हैं? और क्या आप जानते हैं कि इस कानून का दुरुपयोग करके विपक्षी नेताओं को निशाना बनाया जा रहा है? आज हम बात करेंगे इस कानून की, जिसे कई लोग देश का सबसे शोषणकारी और अराजक कानून मानते हैं। जी हां हम बात कर रहे हैं अवैध आय की रोकथाम अधिनियम, 2002 Prevention of Money Laundering Act की, जिसका विरोध करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता *पी चिदंबरम* ने कहा है कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है, तो यह कानून रद्द करके एक बेहतर कानून लाएगी।
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पी चिदंबरम ने राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल के के साथ एक कार्यक्रम “दिल से” में बातचीत करते हुए यह बयान दिया, जिसे मंगलवार को जारी किया गया। उन्होंने कहा कि यह कानून पूरी तरह से दुरुपयोग किया जा रहा है, और इसलिए वे कह रहे हैं कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है, तो यह कानून रद्द करके एक बेहतर कानून लाएगी। यह उनके एजेंडे की शीर्ष प्राथमिकता है।
पी चिदंबरम ने स्पष्ट किया कि PMLA कानून यूपीए के कार्यकाल में नहीं बना था, बल्कि अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में बना था। यह कानून सिर्फ मनमोहन सिंह की सरकार में वित्तीय कार्रवाई कार्यदल FATF के दबाव के कारण लागू किया गया था।
उन्होंने PMLA के तहत एक जांच एजेंसी को दिए गए व्यापक अधिकारों को लेकर चिंता जताई, और कहा कि इससे यह एजेंसी अन्य एजेंसियों से अधिक प्रभावशाली बन गई है। “इस कानून ने एक जांच एजेंसी पर मनमानी और अनियंत्रित शक्तिया सौंपी है, जो अब अन्य सभी जांच एजेंसियों से अधिक शक्तिशाली है,”। कार्यक्रम में आगे राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने कहा कि PMLA देश का सबसे जयदा शोषण करने वाला कानून है जिसका उपयोग विपक्ष को दबाने के लिए किया जा रहा है।
आपको बता दे कि, इस कानून के तहत, जो भी व्यक्ति किसी अपराध के माध्यम से धन कमाता है, उसे बिना किसी सबूत के ही अपराधी माना जाता है, और उसकी संपत्ति और बैंक खाते जब्त किए जा सकते हैं। इस कानून के तहत, एक जांच एजेंसी को व्यापक अधिकार दिए गए हैं, जिसका नाम प्रवर्तन निदेशालय (ED) है। ED को बिना किसी न्यायिक आदेश के ही किसी को गिरफ्तार करने और तलाशी लेने का अधिकार है।
इस कानून का दुरुपयोग करके, कई विपक्षी नेताओं को निशाना बनाया जा रहा है, जिनके खिलाफ ED की जांच चल रही है। उनमें से कुछ हैं- पी चिदंबरम, शरद पवार, रोबर्ट वाड्रा, दीपक हुड्डा, डी के शिवकुमार, लालू प्रसाद यादव, मायावती, अखिलेश यादव, राहुल गांधी , केजरीवाल आदि।
इन नेताओं ने इस कानून को देश का सबसे शोषणकारी और अराजक कानून बताया है, और इसे रद्द करने की मांग की है। वे कहते हैं कि इस कानून के तहत, उनके ऊपर झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं, और उनके खिलाफ राजनीतिक बदले की नीति चलाई जा रही है।
दूसरी तरफ इस कानून के समर्थक कहते हैं कि यह कानून देश की आर्थिक सुरक्षा के लिए आवश्यक है, और इससे काले धन को रोका जा सकता है। वे कहते हैं कि इस कानून के बिना, अपराधियों को उनके अपराधों की सजा नहीं मिलेगी, और वे अपने अवैध धन को आसानी से छुपा लेंगे।
इस प्रकार, इस कानून के बारे में विवाद जारी है, और इसके पक्ष और विपक्ष के बीच तकरार है।
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