पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने एक आरोपी Police अधीक्षक को 20 लाख रुपये के रिश्वत मामले में हलफनामा देने के लिए निर्देशित किया है। यह एक ऐसा मामला है, जिसमें एक डेरा के उपाध्यक्ष की हत्या के मुख्य आरोपी को फिर से नामजद करने के लिए रिश्वत मांगी गई थी। लेकिन क्या आपको पता है कि इस मामले में एक इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस भी शामिल है, जिसके खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है? क्या आपको पता है कि इस मामले में एक गौशाला के प्रमुख ने गवाह बनकर रिश्वत के बारे में सब कुछ बताया है? और क्या आपको पता है कि इस मामले में हाईकोर्ट ने आरोपी पुलिस अधीक्षक को गिरफ्तारी से बचाने के लिए अंतरिम राहत दी है? अगर आपको इन सवालों के जवाब नहीं पता हैं, तो चिंता न करें, क्योंकि हम आपको इस मामले की पूरी कहानी बताने जा रहे हैं, नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR न्यूज।
इस मामले की शुरुआत 7 नवंबर 2019 को हुई, जब फरीदकोट के कोट सुखिया गांव में हरका दास डेरा के उपाध्यक्ष दयाल दास को गोली मार दी गई। इस हत्या के पीछे एक राजनीतिक साजिश का हाथ बताया जा रहा था, जिसमें एक विधायक और उसके अनुयायी शामिल थे। इस मामले में पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार किया, जिनमें से एक राजबीर सिंह था, जो विधायक का भतीजा था।
इसके बाद मामले की जांच करने के लिए एक एसआईटी बनाई गई, जिसकी जिम्मेदारी पुलिस अधीक्षक गगनेश कुमार को दी गई। लेकिन, इस एसआईटी ने अपना काम ठीक से नहीं किया, और राजबीर सिंह को फिर से नामजद करने की कोशिश की। इसके लिए, उन्होंने एक गौशाला के प्रमुख मलकीत दास से 20 लाख रुपये की रिश्वत मांगी, जो उन्हें इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस परदीप कुमार यादव के लिए देने के लिए कहा गया था।
हालाँकि मलकीत दास ने इस रिश्वत को देने से मना कर दिया, और उन्होंने केन्द्रीय सतर्कता आयोग को इस बारे में बताया। केन्द्रीय सतर्कता आयोग ने इस मामले की जांच शुरू की, और एक ट्रैप लगाया। 29 जनवरी 2020 को, जब पुलिस अधीक्षक गगनेश कुमार और उसके साथी रिश्वत लेने के लिए मलकीत दास के पास पहुंचे, तो उन्हें मौके पर ही पकड़ लिया गया। जहा उनके पास से 20 लाख रुपये की रिश्वत के नोट बरामद किए, जिन पर उन्होंने केमिकल लगाया था।
इस मामले में केन्द्रीय सतर्कता आयोग ने पुलिस अधीक्षक गगनेश कुमार और उसके साथी के खिलाफ आरोप पत्र तैयार किया, और उन्हें रिश्वत लेने के लिए गिरफ्तार करने की अनुमति मांगी। लेकिन, उन्होंने इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस परदीप कुमार यादव के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की, जिसके लिए उन्हें सरकार की मंजूरी चाहिए थी।
इस बीच, पुलिस अधीक्षक गगनेश कुमार ने अपने वकील के माध्यम से हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत की याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाए गए हैं, और उन्हें निर्दोष साबित करने का मौका दिया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि केन्द्रीय सतर्कता आयोग ने उन्हें फंसाने के लिए एक जाल बिछाया है, और उनके पास कोई सबूत नहीं है।
हाईकोर्ट ने इस याचिका को सुनते हुए, पुलिस अधीक्षक गगनेश कुमार को गिरफ्तारी से बचाने के लिए अंतरिम राहत दी, और उन्हें कुछ शर्तों के साथ रिहा किया। उन शर्तों में यह था कि वह केन्द्रीय सतर्कता आयोग के साथ सहयोग करेगा, अपना मेडिकल टेस्ट कराएगा, और हर महीने केन्द्रीय सतर्कता आयोग के दफ्तर में पेश होगा।
तो, यह एक ऐसा मामला है, जिसमें एक डेरा के उपाध्यक्ष की हत्या के मुख्य आरोपी को फिर से नामजद करने के लिए रिश्वत मांगी गई थी, और इसके लिए एक पुलिस अधीक्षक और एक इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस शामिल हैं। यह एक ऐसा मामला है, जिसमें एक गौशाला के प्रमुख ने गवाह बनकर रिश्वत के बारे में सब कुछ बताया है, और उसके बाद केन्द्रीय सतर्कता आयोग ने एक ट्रैप लगाकर रिश्वत लेने वालों को पकड़ा है। यह एक ऐसा मामला है, जिसमें हाईकोर्ट ने आरोपी पुलिस अधीक्षक को गिरफ्तारी से बचाने के लिए अंतरिम राहत दी है, और उसे हलफनामा देने के लिए निर्देशित किया है।
तो , यह था आज का विशेष कार्यक्रम, जिसमें हमने आपको पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के एक आरोपी पुलिस अधीक्षक को 20 लाख रुपये के रिश्वत मामले में हलफनामा देने के लिए निर्देशित करने की खबर बताई। हमें उम्मीद है कि आपको यह कार्यक्रम पसंद आया होगा, और आपने इससे कुछ नया सीखा होगा। अगर आपको इस कार्यक्रम के बारे में कोई सुझाव या प्रश्न है, तो आप हमें नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में लिख सकते हैं, या हमारे सोशल मीडिया पेज पर भी हमसे जुड़ सकते हैं। हम आपके सभी प्रश्नों का जवाब देने की कोशिश करेंगे, और आपके सुझावों को ध्यान में रखेंगे।
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