A Significant Decade in India’s History: From the Assassinations of Indira and Rajiv Gandhi to Political Changes | AIRR News

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भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद से लेकर उनके बेटे Rajiv Gandhi की हत्या तक का दशक भारत के इतिहास में एक बहुत ही घटनापूर्ण और अशांत दशक रहा है। इस दशक में भारत ने अनेक आंतरिक और बाहरी चुनौतियों का सामना किया, जिनमें सिख आंदोलन, आतंकवाद, आर्थिक मंदी, राजनीतिक अस्थिरता, राष्ट्रवादी उभार, राज्यवादी मांगें, जातीय विभाजन, धर्मांधता और भ्रष्टाचार शामिल हैं। इस दशक में भारत की राजनीति में भी बड़े बदलाव हुए, जिनमें कांग्रेस का पतन, भाजपा का उदय, वामपंथी दलों का प्रभाव, राज्यीय दलों का महत्व, गठबंधन सरकारों का आगमन और लोकतंत्र की जीवंतता शामिल हैं।

आज की इस खास वीडियो में हम इन्ही सब मामलो पर चर्चा करेंगे। नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR न्यूज।

इस दशक की शुरुआत ही एक बड़े संकट से हुई, जब भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को 31 अक्टूबर 1984 को उनके दो सिख बॉडीगार्डों ने गोली मार दी। इस हत्या का कारण था इंदिरा गांधी के द्वारा जून 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार का आदेश देना, जिसमें भारतीय सेना ने सिखों के पवित्र स्थल हरमंदिर साहिब में छिपे हुए सिख उग्रवादी जरनैल सिंह भिंडरावाले और उनके समर्थकों को निकालने के लिए एक आक्रामक कार्रवाई की थी। इस कार्रवाई में अनेक निर्दोष यात्रियों की भी मौत हुई थी, साथ ही सिखों के दो पवित्र मंदिरों अकाल तख्त और स्वर्ण मंदिर को भी गंभीर नुकसान पहुंचा। इस कार्रवाई को भारत के अंदर और बाहर दोनों तरफ से आलोचना का सामना करना पड़ा था।

आपको बता दे कि, इंदिरा गांधी की हत्या के बाद, भारत में एक हिंसक दंगा फैल गया था, जिसमें दिल्ली सहित अनेक शहरों में सिखों के खिलाफ हिंसक हमले हुए। इस दंगे में लगभग 3000 से अधिक सिख मारे गए, जिनमें से अधिकांश दिल्ली में थे। इस दंगे के पीछे कांग्रेस के कुछ नेताओं और कार्यकर्ताओं का हाथ माना जाता है, जिन्होंने इसे इंदिरा गांधी की हत्या का बदला लेने का एक मौका समझा। इस दंगे के खिलाफ वामपंथी दलों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किए और सिखों की रक्षा के लिए काम किया था।

इंदिरा गांधी की हत्या के बाद, उनके बेटे राजीव गांधी ने प्रधानमंत्री का पद संभाला। राजीव गांधी ने अपने कार्यकाल में भारत को आधुनिक बनाने के लिए कई कदम उठाए, जिनमें टेलीकॉम, कंप्यूटर, शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हुए सुधार शामिल हैं। 

इन उपलब्धियों के साथ साथ राजीव गांधी के शासन काल में भारत को अनेक आंतरिक और बाहरी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। इनमें सिख आंदोलन का जारी रहना, असम में उल्फा का उभार, जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद का बढ़ना, तमिलनाडु में लिट्टे का उदय, आंध्र प्रदेश में तेलंगाना की मांग, उत्तर प्रदेश में अयोध्या मामला, गुजरात में आंतरजातीय हिंसा, बिहार में किसान आंदोलन, राजस्थान में मीणा आंदोलन, दक्षिण में द्रविड़ आंदोलन और भारत भर में भ्रष्टाचार और आर्थिक मंदी शामिल हैं।

राजीव गांधी ने इन सभी मुद्दों का सामना करने के लिए कई राजनीतिक और सामाजिक पहलें कीं, जिनमें शांति समझौते, राज्य रीआर्गेनाइजेशन, आरक्षण, लोकपाल, चुनाव सुधार, राष्ट्रीय एकता और अखंडता, विदेश नीति और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग शामिल हैं। 

वैसे राजीव गांधी के शासन काल का अंत एक दुखद घटना से हुआ, जब उन्हें 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरुम्बुदुर में एक आत्मघाती हमले में मार दिया गया। इस हमले को लिट्टे ने किया था, जो श्रीलंका में तमिलों के लिए एक अलग राज्य की मांग कर रहा था। राजीव गांधी की हत्या ने भारत की राजनीति में एक नया दौर शुरू किया, जिसमें कांग्रेस का प्रभुत्व कम हुआ और राज्यीय दलों और गठबंधनों का महत्व बढ़ा।

तो ये थी हमारी खास पेशकश जिसमे हमने भारत के इतिहास दो दशक कि बात कि , जिसमें देश ने अनेक उतार-चढ़ाव देखे, लेकिन अपनी लोकतंत्र की जीवंतता और विविधता को बरकरार रखा। इस दशक की घटनाओं और व्यक्तित्वों ने भारत के भविष्य को आकार दिया और देश को एक वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित किया।

जिसे भारत के इतिहास के एक महत्वपूर्ण दशक के बारे में जाना है। आशा है कि आपको यह पसंद आया होगा। नमस्कार आप देख रहे थे AIRR न्यूज़।  

Extra 😀

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