राम मंदिर के उद्घाटन का दिन आ गया है। 22 जनवरी को अयोध्या में राम लल्ला की प्राण प्रतिष्ठा का शुभारंभ होगा। इस ऐतिहासिक अवसर पर देश के कई विख्यात व्यक्तियों ने अपना आगमन की घोषणा की है। लेकिन कुछ राजनीतिक दलों ने इस आयोजन को बीजेपी और आरएसएस का राजनीतिक दंगल बताकर इसे बहिष्कार करने का फैसला किया है। इस बीच, आम आदमी पार्टी के सांसद और पूर्व क्रिकेटर हरभजन सिंह ने कहा है कि वे राम मंदिर के उद्घाटन में शामिल होंगे, चाहे कोई भी जाए या न जाए।
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राम मंदिर के उद्घाटन का उत्सव भारत की सीमाओं से पार होकर विश्व के कई देशों में भी देखा जा रहा है। ब्रिटेन के संसद भवन में भी ‘जय श्री राम’ के नारे गूंज रहे हैं। यहां ब्रिटेन की सनातन संस्था ने एक आध्यात्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया है, जिसमें राम को ‘युगपुरुष’ के रूप में सम्मानित किया गया है। इस कार्यक्रम में भजन, काकभुशुंडी संवाद और भगवद गीता के बारहवें अध्याय का पाठ किया गया है। इस कार्यक्रम में हैरो मेंबर ऑफ पार्लियामेंट बॉब ब्लैकमैन, राज राजेश्वर गुरु और हन्स्लो के ब्रह्मर्षि आश्रम की स्वामी सूर्य प्रभा दीदी ने भी भाग लिया।
इसके अलावा, ब्रिटेन के 200 से अधिक मंदिरों, सामुदायिक संगठनों और संघों ने एक घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं, जो 22 जनवरी को राम मंदिर के उद्घाटन से पहले अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को प्रस्तुत किया जाएगा। इस घोषणा पत्र में ब्रिटेन के धार्मिक समुदायों ने राम मंदिर के उद्घाटन का स्वागत और आनंद व्यक्त किया है। इसमें कहा गया है कि “उद्घाटन समारोह से पहले, ब्रिटेन की घोषणा, एकता का प्रमाण, अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को प्रदान की जाएगी।”
वहीं, अयोध्या में तैयारियां भी जोरों पर चल रही हैं। शुक्रवार को राम लल्ला के चेहरे की पहली झलक सामने आई है। सोशल मीडिया पर आए फोटो में पांच साल के राम को सुनहरे धनुष और तीर के साथ खड़ा दिखाते हैं। गुरुवार को, 51 इंच की काली पत्थर की मूर्ति को गर्भगृह में कपड़े से ढककर रखा गया था।
वैसे ये कहना गलत नहीं होगा की ,राम मंदिर के उद्घाटन का मुद्दा देश की राजनीति में एक नया मोड़ ला रहा है। जबकि बीजेपी और आरएसएस इसे एक धार्मिक और राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक बता रहे हैं, तब विपक्षी दल इसे एक राजनीतिक और विभाजनकारी आयोजन बताने का प्रयास कर रहे हैं। इसके पीछे का कारण यह है कि राम मंदिर का निर्माण एक लंबे समय से चल रहे विवाद का अंत है, जिसमें बाबरी मस्जिद का विध्वंस, राम जन्मभूमि आंदोलन, आरएसएस का नेतृत्व, बीजेपी का उभार, कांग्रेस का घेराव, सुप्रीम कोर्ट का फैसला और अन्य घटनाएं शामिल हैं। इन सबका देश की राजनीति, सामाजिक जीवन और धार्मिक भावनाओं पर गहरा असर पड़ा है। इसलिए, राम मंदिर के उद्घाटन को एक ऐतिहासिक और भावुक पल माना जा रहा है, जिसमें देश के लोगों को एकजुट होकर भाग लेना चाहिए।
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