West Bengal Elections के लिए तैयारी जोरों पर है। इस राज्य में वर्तमान में TMC की सरकार है, जो केंद्र में विपक्षी I.N.D.I.A गठबंधन का हिस्सा है। इस गठबंधन में कांग्रेस, CPI, CPI(M), RSP और अन्य 24 दल शामिल हैं। लेकिन पश्चिम बंगाल में इन दलों के बीच सीट बांटने के मुद्दे पर तनाव बढ़ रहा है। TMC नेता और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को यह घोषणा की है कि अगर उन्हें उचित महत्व नहीं दिया जाता है, तो वे अकेले ही 42 लोकसभा सीटों पर लड़ने के लिए तैयार हैं। इसका राजनीति और चुनावी परिणामों पर क्या प्रभाव पड़ेगा ? आइए जानते हैं। नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR न्यूज।
ममता बनर्जी ने अपनी पार्टी की मुर्शिदाबाद जिले में हुई एक गुप्त संगठनात्मक बैठक में यह रुख बताया है, जो कि एक अल्पसंख्यक आबादी वाला क्षेत्र है, जिसे पारंपरिक रूप से कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। उन्होंने बैठक में पार्टी नेताओं से चुनावी लड़ाई के लिए तैयारी करने का आग्रह किया, और जिले की तीन लोकसभा सीटों पर TMC की सफलता की जरूरत पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि TMC I.N.D.I.A गठबंधन का सबसे महत्वपूर्ण साथी है, लेकिन अगर पश्चिम बंगाल में RSP, CPI, CPI(M) को उनके बाहर रखकर अधिक महत्व दिया जाता है, तो वे अपना अलग रास्ता बनाएंगे, और 42 सीटों पर लड़ने और जीतने की तैयारी करेंगे।
इसके अलावा, एक TMC नेता ने बताया है कि पार्टी प्रमुख के अनुसार हमें तीन लोकसभा सीटों पर जीतने की तैयारी करनी है। जब उनके एक विधायक हुमायून कबीर ने कहा कि अधीर रंजन चौधरी अल्पसंख्यक डोमिनेटेड जिले में एक फैक्टर हैं, तो बनर्जी ने इस दावे को खारिज कर दिया और कहा कि अगर TMC एकजुट होकर लड़ाई लड़ेगी, तो उसे सफलता मिलेगी।
आपको बता दे की यह बयान उस समय आया, जब पश्चिम बंगाल में I.N.D.I.A गठबंधन के भीतर सीटों के बंटवारे को लेकर दरारें सामने आ रही हैं। कांग्रेस ने TMC की दो सीटों की पेशकश को अपर्याप्त माना है और अपने 2019 के लोकसभा चुनाव परिणाम के आधार पर अधिक सीटों का दावा किया है। वाम दलों ने भी अपने बीते वर्ष के प्रदर्शन को ध्यान में रखते हुए अपने बाहरी सहयोगी TMC से अधिक सीटों की मांग की है।
इस तरह, पश्चिम बंगाल में चुनावी मैदान में तनाव बढ़ने के साथ ही राजनीतिक रणनीतियों में भी बदलाव आ रहा है। ममता बनर्जी का अकेले लड़ने का ऐलान उनकी पार्टी के लिए एक बड़ा दांव है, जिससे वे अपने वोटरों को एकजुट करने और अपनी अस्थिर छवि को सुधारने की कोशिश कर रही हैं। लेकिन यह भी एक जोखिम है, क्योंकि इससे उनके गठबंधन साथियों के साथ उनके रिश्ते बिगड़ सकते हैं और वे भाजपा के सामने एक विखंडित विपक्ष का सामना करने पर मजबूर हो सकते हैं।
वैसे पिछले काफी दिनों में भाजपा ने पश्चिम बंगाल में अपनी दृढ़ उपस्थिति बनाई है और इस बार वह राज्य में सत्ता हासिल करने का दावा कर रही है। भाजपा के नेतृत्व में केंद्रीय मंत्रिमंडल के कई सदस्यों ने पश्चिम बंगाल में अपने प्रचार को तेज किया है और वे TMC की सरकार को भ्रष्टाचार, तुष्टिकरण, हिंसा और विकास की कमी के आरोपों से घेर रहे हैं। भाजपा ने अपने लिए एक नया नारा भी बनाया है – “बंगाल में बदलाव की आवाज, भाजपा है बंगाल की पसंद”।
इस तरह, West Bengal Elections एक रोमांचक और निर्णायक मुकाबले का मंच बनने जा रहा है, जिसमें TMC, I.N.D.I.A गठबंधन और भाजपा के बीच एक तीन कोणीय लड़ाई होगी। इन चुनावों का परिणाम न केवल पश्चिम बंगाल की राजनीति को प्रभावित करेगा, बल्कि केंद्रीय स्तर पर भी एक महत्वपूर्ण संदेश देगा। नमस्कार आप देख रहे थे AIRR न्यूज़।
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