राम मंदिर ‘प्राण प्रतिष्ठा’ का आमंत्रण पत्र एक ऐतिहासिक दस्तावेज है, जिसमें राम मंदिर और आंदोलन से जुड़े विभिन्न व्यक्तियों और संगठनों का उल्लेख किया गया है। इस पत्र के एक पृष्ठ पर देवरहा बाबा के बारे में बताया गया है, जो एक प्रसिद्ध सिद्ध योगी संत थे, जिन्होंने श्री राम जन्मभूमि आंदोलन को अपनी सहमति से चल रहा बताया था। देवरहा बाबा भगवान राम के भक्त थे, और उन्हें भारत ही नहीं, बल्कि दूसरे देशों के लोगों द्वारा भी एक संत के रूप में सम्मानित किया जाता था। उनसे भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी सहित कई राजनेता मिलते थे, और उनका आशीर्वाद लेते थे। आज हम आपको इन्ही पूजनीय बाबा जी के बारे में विस्तार से जानेगे ,नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR न्यूज। -Ram Mandir and Devaraha Baba
देवरहा बाबा के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने अपने जीवन में कई चमत्कार किए, और उनके पास दिव्य और आध्यात्मिक शक्तियां थीं। उन्होंने अपने दर्शनार्थियों को अपने जीवन और करियर के बारे में भविष्यवाणी की, और उन्हें अपने पैरों से आशीर्वाद दिया। उन्होंने इसका कारण यह बताया कि “पैरों में तीर्थ है”।¹ देवरहा बाबा ने 1989 में प्रयाग महाकुंभ के अवसर पर विश्व हिन्दू परिषद द्वारा आयोजित संत सम्मेलन और धर्म संसद में शामिल होकर कहा था कि विश्व हिन्दू परिषद “मेरी आत्मा है”। उनकी इस बात को राम मंदिर आंदोलन के नेताओं ने बहुत महत्व दिया, और उन्हें आंदोलन का आधारशिला माना।-Ram Mandir and Devaraha Baba
आपको बता दे की देवरहा बाबा की उम्र के बारे में भी विभिन्न कथाएं प्रचलित हैं। कुछ लोग कहते हैं कि देवरहा बाबा 900 साल तक जीवित रहे थे, जबकि कुछ लोग कहते हैं कि वे 250 साल के बाद मर गए, और कुछ लोग मानते हैं कि वे 500 साल तक जीवित रहे। वे उत्तर प्रदेश के देवरिया के रहने वाले थे, और कहा जाता है कि वे 33 साल पहले ही राम मंदिर के निर्माण का भविष्यवाणी कर चुके थे। वे ‘रामानुज संप्रदाय के धारक’ के रूप में जाने जाते थे, और इसी उपाधि से उनका उल्लेख प्राण प्रतिष्ठा के आमंत्रण पत्र में किया गया है।-Ram Mandir and Devaraha Baba
हालाँकि देवरहा बाबा के अनेक अनुयायियों और लोकप्रियता होने के बावजूद, बाबा सरयू नदी के किनारे देवरिया में बांस की एक पायदान पर रहते थे, जिसे उनका आश्रम कहा जाता था। वहां उनके दर्शन के लिए लाखों लोग आते थे, और उन्हें अपनी समस्याओं का समाधान बताते थे। बाबा ने अपने भक्तों को विभिन्न उपहार भी दिए, जैसे कि फल, फूल, चूड़ियां, रुद्राक्ष, चंदन, तुलसी, आदि। बाबा के आश्रम में एक विशेष बात यह थी कि वहां कोई भी भेंट नहीं ली जाती थी, न ही कोई भी दान दिया जाता था। बाबा कहते थे कि वे किसी से कुछ नहीं चाहते, बस भगवान का नाम लेने का आग्रह करते हैं।
इसके अलावा बाबा के आश्रम में एक और विशेषता थी कि वहां कोई भी जाति, धर्म, लिंग, वर्ग, या राजनीति का भेदभाव नहीं किया जाता था। सभी को बराबर का सम्मान दिया जाता था, और सभी को बाबा के पैरों का आशीर्वाद मिलता था। बाबा के आश्रम में अनेक धार्मिक, सामाजिक, और राष्ट्रीय महत्व के व्यक्ति भी आते थे, जैसे कि राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, सांसद, विधायक, नेता, अधिकारी, वकील, डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षक, लेखक, कलाकार, खिलाड़ी, आदि। बाबा ने उन सबको अपनी अनूठी शैली में सलाह और मार्गदर्शन दिया, और उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाया।
आपको बता दे की बाबा के आश्रम में एक बार एक विशेष घटना हुई, जिसे आज भी लोग याद करते हैं। वह घटना यह थी कि एक दिन बाबा के आश्रम में एक बड़ी आग लग गयी थी, जिससे उनकी मचान और आसपास का इलाका जलने लगा। लोगों ने बाबा को बचाने के लिए बहुत कोशिश की, लेकिन वे आग के बीच में फंस गए थे। तभी बाबा ने अपने हाथों से आग को रोक दिया, और उसे अपने शरीर में समाहित कर लिया। लोगों को विश्वास नहीं हुआ कि बाबा ने ऐसा कैसे किया, और उन्हें लगा कि वे जल कर मर गए होंगे। लेकिन जब आग बुझ गई, तो लोगों के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा, क्योंकि बाबा बिल्कुल ठीक थे, और उनके शरीर पर कोई जलन का निशान नहीं था। बाबा ने लोगों को शांत करते हुए कहा कि वे भगवान की कृपा से सुरक्षित हैं, और उन्हें कोई नुकसान नहीं हुआ है। लोगों ने बाबा को चमत्कारी बाबा के नाम से पुकारना शुरू कर दिया, और उनकी भक्ति और विश्वास और बढ़ गया।
इस प्रकार, देवरहा बाबा ने अपने जीवन में अनेक लोगों को प्रेरित और आशीर्वादित किया, और उनका नाम इतिहास में अमर हो गया। उनके जीवन की कहानी आज भी लोगों के लिए आश्चर्यजनक और प्रेरणादायक है, और उन्हें एक आदर्श और आदर्शी संत के रूप में याद किया जाता है।
तो इस तरह देवरहा बाबा के जीवन और कार्यों से हमें यह सीख मिलती है कि हमें भगवान के नाम में निष्काम भक्ति करनी चाहिए, और सभी को बिना किसी भेदभाव के प्रेम और सेवा करनी चाहिए। हमें अपने आप को आग जैसी परीक्षाओं से बचाने के लिए भगवान की कृपा का आश्रय लेना चाहिए, और अपने शरीर और मन को शुद्ध और पवित्र रखना चाहिए। हमें अपने जीवन का उद्देश्य भगवान की इच्छा के अनुसार पूरा करना चाहिए, और अपने आप को उनके चरणों में समर्पित करना चाहिए। उनकी कहानी हमें भगवान के प्रति श्रद्धा और भक्ति की शिक्षा देती है, और हमें प्रेरित करती है कि हम भी अपने जीवन में उनके अनुसार जिएं।
नमस्कार, आप देख रहे थे AIRR न्यूज।
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