“1991 Economic Reforms: Role of Narasimha Rao and A.N. Verma | AIRR News”

Home1991 Economic Reforms“1991 Economic Reforms: Role of Narasimha Rao and A.N. Verma | AIRR...

Become a member

Get the best offers and updates relating to Liberty Case News.

― Advertisement ―

spot_img

आज की इस डिजिटल दुनिया में, जहां सूचनाएं प्रचुर मात्रा में हैं, सच्चाई को भ्रांति से अलग करना कठिन हो जाता है। इसी संदर्भ में, हम 1991 के आर्थिक सुधारों और प्रधानमंत्री Narasimha Rao के समय प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के प्रमुख ए. एन. वर्मा की भूमिका की जांच करेंगे। और साथ ही कुछ प्रशनो को हल करने का भी प्रयत्न करेंगे, जैसे क्या आर्थिक सुधार अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और विश्व बैंक द्वारा थोपे गए थे?-1991 Economic Reforms

और ए. एन. वर्मा ने Narasimha Rao को सुधारों को लागू करने में किस तरह मदद की?

और सबसे जरुरी की आखिर क्यों वर्मा की भूमिका विवादास्पद थी?

नमस्कार आप देख रहे है AIRR न्यूज़। -1991 Economic Reforms

1991 में, भारत एक गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा था। भुगतान संतुलन की स्थिति खराब हो चली थी और देश विदेशी मुद्रा भंडार के कगार पर था। प्रधानमंत्री Narasimha Rao और वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने देश की अर्थव्यवस्था को बदलने के लिए साहसिक कदम उठाए।-1991 Economic Reforms

राव ने ए. एन. वर्मा को PMO प्रमुख नियुक्त किया। वर्मा ने अर्थव्यवस्था को उदार बनाने के लिए एक विस्तृत नीतिगत ढांचा तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने “राज्य नियंत्रणों की अनावश्यक जंजीरों” को हटाने, विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करने और एक और अधिक खुली और बाजार आधारित अर्थव्यवस्था बनाने का प्रस्ताव दिया।

इन सुधारों का भारतीय अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ा। वे लाइसेंस राज समाप्त, विदेशी निवेश के लिए दरवाजे खोले और सार्वजनिक क्षेत्र के एकाधिकार को समाप्त किया।

वर्मा की भूमिका विवादास्पद थी। कुछ लोगों ने तर्क दिया कि उन्होंने सरकार को सुधारों को लागू करने के लिए मजबूर किया, जबकि अन्य ने उनकी दृष्टि और दूरदर्शिता की प्रशंसा की।

वर्मा ने प्रधानमंत्री कार्यालय को एक शक्तिशाली संस्थान में बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने लोक नायक जयप्रकाश नारायण समेत कई प्रमुख बुद्धिजीवियों और विशेषज्ञों के साथ गठबंधन किया।

आर्थिक सुधारों का भारतीय राजनीति पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा। इसने कांग्रेस पार्टी में विभाजन किया और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उदय का मार्ग प्रशस्त किया, जिसने सुधारों की कड़ी आलोचना की।

हालाँकि 1991 के आर्थिक सुधारों का भारत की अर्थव्यवस्था और समाज पर गहरा प्रभाव पड़ा। समग्र रूप से, सुधारों को सकारात्मक माना जाता है, जिससे भारत एक अधिक गतिशील और संपन्न अर्थव्यवस्था बन गया है। जैसे सुधारों ने निवेश और उद्यमशीलता को प्रोत्साहित किया, जिससे आर्थिक विकास में तेजी आई। और इन सुधारों ने विदेशी निवेश के लिए दरवाजे खोल दिए, जिससे भारत को नई तकनीकों और पूंजी तक पहुंच प्राप्त हुई। साथ ही इन सुधारों ने निजी क्षेत्र को बढ़ावा दिया, जिससे नौकरियां और रोजगार के अवसर पैदा हुए। हालाँकि आर्थिक विकास ने गरीबी में कमी में योगदान दिया, हालांकि यह असमानता बढ़ाने के लिए भी जिम्मेदार रहा।

तो इस तरह हमने जाना कि 1991 के आर्थिक सुधारों ने भारत की अर्थव्यवस्था और समाज को बदल दिया है। समग्र रूप से, सुधारों को सकारात्मक माना जाता है, लेकिन उनके नकारात्मक प्रभावों को भी ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है। सुधारों का दीर्घकालिक प्रभाव अभी भी बहस का विषय है।

नमस्कार आप देख रहे थे AIRR न्यूज़।

Extra :1991 आर्थिक सुधार, Narasimha Rao , ए. एन. वर्मा, PMO प्रमुख, भारतीय अर्थव्यवस्था, उदारीकरण, विदेशी निवेश, आर्थिक विकास, गरीबी निवारण, आर्थिक असमानता, AIRR न्यूज़, 1991 Economic Reforms, Narasimha Rao, A.N. Verma, PMO Chief, Indian Economy, Liberalization, Foreign Investment, Economic Growth, Poverty Alleviation, Economic Inequality, AIRR News”

RATE NOW
wpChatIcon