16 दिसंबर 2023: Delhi Gang Rape केस की भयावह रात को याद करते हुए
आज है 16 दिसम्बर 2023, आज के जैसी ही एक रात थी जब रात का अँधियारा अपनी बाहें फैला रहा था एक 23 वर्षीय महिला जो फिजिओथेरेपी कि छात्रा है अपने एक दोस्त अवींद्र पांडेय के साथ लाइफ ऑफ़ पाई फिल्म का रात्रि शो देखकर करीब आठ बजकर तीस मिनट पर वापिस अपने घर जाने के लिए बस स्टैंड पर पहुंची तो काफी देर तक इंतज़ार करने के बाद 764 नंबर को बस नहीं मिली तो वैकल्पिक तौर पर अन्य साधन कि तलाश वो करने लगे , उसी समय एक प्राइवेट चार्टेड बस जिसपे यादव लिखा हुआ था रूकती है , महिला अपने पुरुष मित्र के साथ बस में बैठ जाती है।
Delhi के वसंत विहार पुलिस स्टेशन में एक कॉल आती है , और किसी ने पुलिस को सूचना दी कि एक नौजवान युवक सड़क किनारे अधमरी हालत में पड़ा हुआ है , पुलिस जब मौके पर पहुँचती है तो वो देखती है कि युवक से थोड़ी दुरी पर खून के निशान बने हुए है और पास में कही से घसीटे जाने के निशान भी थे, आगे देखने पर पता चला कि एक नग्न अवस्था में एक वर्षीय युवती मरणासन हालत में है।
मौके कि नजाकत देखते हुए पुलिस ने उन दोनों को तुरंत पास के ही सफदरजंग अस्पताल में ले जाने का फैसला लिया उस वक़्त कि DSP रही छाया शर्मा ने तुरंत ही घटनाक्रम पर अपनी खोज सुरु कर दी। उन्होंने CCTV फुटेज और अन्य साक्ष्यों कि पड़ताल कि तो 24 घंटे में ही सभी आरोपियों को पकड़ लिया।
आपको बता दे कि जो सच सामने आया उसके बाद पुरे देश को हिला कर रख दिया था।
16 दिसंबर 2012 की रात, Delhi के साउथ इलाके में, पहले एक भयानक बलात्कार और उसके बाद हत्या करने की घटना हुई। इस घटना में 23 वर्षीय ज्योति सिंह का बलात्कार किया गया जब वह अपने दोस्त अवनिंद्र प्रताप पांडेय के साथ एक निजी बस में यात्रा कर रही थी।
आपको बता दे की ये वही बस थी जिसका जिक्र हम शुरुआत में कर चुके है।
आरोपियों ने जो ब्यान दिए उसके बाद जो सच सामने आया उसने भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के महिलाओ के प्रति होने वाले अपराधों पर रोकथाम लगाने के लिए मजबूर किया।
यादव नाम वाली बस में जब ज्योति अपने मित्र के साथ मुनिरका बस स्टैंड से चढ़ी तो उस बस में उनके अलावा छह अन्य लोग भी सवार थे जिन्हे उन दोनों से सह यात्री समझ लिया था लेकिन हकीकत में वे सभी लोग उस बस के ड्राइवर , क्लीनर और अन्य कर्मी थे , आपको बता दे की वे सभी बस में शराब पी रहे थे और इसी बीच बस जब मधु विहार की तरफ ना जाकर दूसरी तरफ मुड़ी तो उन्होंने बस रोकने को कहा की वे लोग उन्हें यही उतार दे , लेकिन ड्राइवर जिसका नाम राम सिंह था ने बस को ना रोककर बस को सड़क पर दौड़ा दिया , इसी बीच बाकि उसके साथियो ने ज्योति के दोस्त के साथ मारपीट की और उसे घायल कर दिया , और उसके बाद वे सभी मिलकर युवती का बलात्कार करने लगे ।
जब उनका बलात्कार करने के बाद भी दिल नहीं भरा तो बाद में जिसे नाबालिक बताया गया इस व्यक्ति ने युवती के गुप्तांगो में लोहे की रॉड घुसा दी और उसे उसकी आंतो तक पहुंचा दिया जिसकी वजह से उसकी आंतो को गंभीर नुक्सान हुआ और उसके शरीर से खून बहने लगा , खून बहता देख उन सभी ने मिलकर उन दोनों को मरणासन हालत में पालम एयरपोर्ट के फ्लाई ओवर के निकट सुनसान जगह पर मरने के लिए फेक दिया , जहा से स्थानीय राहगीरों ने दिल्ली पुलिस को इसकी सूचना दी।
आपको बता दे की Delhi के सफदरजंग अस्पताल में उपचार के लिए ले उनको भेजा तो गया था लेकिन अंदरूनी घावों की वजह से युवती की हालत में कोई सुधार नहीं आ रहा था , इसके अलावा युवती का दोस्त कुछ दिनों में ही स्वस्थ हो गया ,
इस घटना के बाद Delhi में कांग्रेस पार्टी की शीला दीक्षित सरकार कटघरे में आ गयी थी , तमाम मानवाधिकार संघठन इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री शीला दीक्षित पर इस्तीफे की मांग करने लगे , इस अंतर्विरोध के चलते हमले के ग्यारह दिन बाद उसे सिंगापुर में स्थानांतरित किया गया, जहां पर डॉक्टरों ने इलाज़ की कोशिश की लेकिन 5 % आंतो और अंदरूनी घावों से बहता हुआ खून उसे दिनों दिन कमजोर करता रहा और 29 दिसम्बर 2012 की रात ज्योति सिंह ने दम तोड़ दिया।
इसके बाद सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल से उसका शव Delhi लाया गया जहा पर उसका अंतिम संस्कार किया गया।
इस घटना ने देश और विदेश दोनों में व्यापक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कवरेज प्राप्त की थी और ऐसे कुकर्मो की हर तरफ से निंदा की गयी , इसके बाद, नई Delhi में महिलाओं को उचित सुरक्षा प्रदान नहीं करने के खिलाफ सार्वजनिक प्रदर्शन हुए, जहां हजारों प्रदर्शनकारियों ने देश के अलग अलग हिस्सों से इन जुलूसों सभाओ में भाग लिया ।
भारतीय कानून के हिसाब से एक बलात्कार पीड़िता के नाम को मीडिया में प्रकाशित करने की अनुमति नहीं देता है, इसलिए पीड़िता को ‘निर्भया’ के नाम से जाना जाता है।
आपको बता दे की अपनी मृत्यु से पूर्व अपने दिए गए बयान में पीड़िता ने कहा कि वह छह हमलावरों राम सिंह, मुकेश सिंह, अक्षय ठाकुर, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और किशोर को कड़ी से कड़ी सजा दिलाना चाहती है।
सभी आरोपी घटना के 24 घंटे में ही गिरफ्तार किए गए थे और यौन उत्पीड़न और हत्या के आरोप उनपे लगाए गए ।
तिहाड़ जेल में एक आरोपी जिसका नाम राम सिंह था ने 11 मार्च 2013 को पुलिस हिरासत में आत्महत्या कर ली । बाकी एक आरोपी नाबालिग था जिसने पीड़िता के साथ सबसे ज्यादा बर्बरता की थी ,उसने अपनी नाबालिक आयु के आधार पर अलग से याचिका दायर की। उसे 2013 में नाबालिग अपराधी के रूप में दोषी पाया गया और उसे तीन साल के कारावास की सजा सुनाई गई। बाकी चार आरोपी को 2013 में दोषी पाया गया
साल 2013 me सितंबर को ट्रायल कोर्ट ने मुकेश, अक्षय, पवन और विनय को मौत की सज़ा सुनाई थी जिसके बाद, अक्षय को छोड़कर बाकी तीन दोषियों ने फैसले के विरोध में कोर्ट में याचिका दायर की, लेकिन कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया। इसके बाद अक्षय ने भी याचिका दायर की लेकिन 18 दिसंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने उसे भी खारिज कर दिया था।
निर्भया केस का फैसला सुनने के लिए शुक्रवार को कमरा नंबर-2 में दोपहर 1.00 बजे से ही भीड़ जुट गई थी। जस्टिस दीपक मिश्रा की तीन मेंबर्स वाली बेंच ने दोपहर 2.00 बजे फैसला सुनाना शुरू किया।
“7 साल से भी अधिक समय पहले,Delhi में निर्भया नामक 23 वर्षीय मेडिकल छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार और हत्या के लिए मौत की सजा पाने वाले 4 दोषियों को 3 मार्च 2020 को सुबह 6 बजे फांसी दी जाएगी।” दोपहर के 2.20 बजे जैसे ही जस्टिस मिश्रा ने दोषियों की फांसी की सजा बरकरार रखने का एलान किया, पूरा कोर्ट रूम तालिया से गूंज उठा। अदालत में इन्साफ की आस में बैठी निर्भया की मां आशा देवी और पिता बद्रीनाथ की आंखों से आंसू छलक आए। जस्टिस मिश्रा ने इशारा कर लोगों को शांत किया। इसके बाद जस्टिस आर भानुमति ने 10 मिनट में किये अपने फैसले में उन्होंने कहा कि “बच्चों को शुरू से ही घर और स्कूल में महिलाओं का सम्मान करना सिखाना चाहिए।” आगे सवाल उठाया की “अगर निर्भया केस रेयरेस्ट ऑफ रेयर की श्रेणी का अपराध नहीं है तो फिर कौन-सा अपराध इस श्रेणी में आएगा? निर्भया कांड देखकर शक होता है कि हम सभ्य समाज में रहते हैं।”
जस्टिस भानुमति ने गांधीजी की एक बात भी कही, “महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कमजोर कहना उनका अपमान है। महिलाओं की सहनशक्ति, साहस और ज्ञान पुरुषों से कम नहीं।”
सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में शायद यह पहला मामला है, जब कोर्ट के फैसले का ताली बजाकर स्वागत किया गया।
20 मार्च 2020 को सुबह छह बजे चारो आरोपियों को फांसी की सजा दी गयी।
आपको बता दे की निर्भया केस ने भारत में बलात्कार कानूनों में बदलाव की मांग को बढ़ावा दिया। 2013 में, भारत सरकार ने बलात्कार, सामूहिक बलात्कार, बलात्कार और हत्या, बलात्कार और अत्याचार के लिए दंड को कठोर करने के लिए कानूनी संशोधन पास किए।
इसके बावजूद नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के मुताबिक, 2012 की घटना के बाद भी देश में 2015 में रेप के 34,651 केस दर्ज हुए। देश में हर दिन करीब 94 ऐसी घटनाएं हो रही थी जो की साल 2014 की तुलना में इसमें 6% कम रही थी।
साल 2014 में दुष्कर्म के 36,735 मामले दर्ज हुए थे। रेप केसेज के ये आंकड़े पिछले 10 सालों में सबसे ज्यादा थे। अकेले 2015 में दुष्कर्म के 5514 मामलों में सजा हुई, लेकिन यह आंकड़ा रेप के कुल मामलों का महज 16% है।
निर्भया कांड के ग्यारह सालो के बाद भी अगर हम नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट माने तो साल 2021 में कुछ इकत्तीस हज़ार छह सौ सत्तर बलात्कार के मामले दर्ज हुए थे, यह ध्यान देने योग्य है कि इन आंकड़ों में केवल उन मामलों को शामिल किया गया है जिन्हें दर्ज किया गया है, और कई मामले अनरिपोर्टेड रहते हैं।
महिलाओ के प्रति होने वाले अपराधों पर लगाम लगाना इतना आसान नहीं रहा है आज भी देश में महिलाओ पर अत्याचार होते आ रहे है , वैसे गौर करने की बात ये भी है की आज के समय में पुरुष भी पीड़ितों की श्रेणी में आ गए है जहा पर महिलाओ पुरुषो पर अत्याचार करती है लेकिन इस पर आगे कभी बात करेंगे ।
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