158 bills of states stuck with the central government… Conversion bills stuck for 17 years

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158 bills of states stuck with the central government… Conversion bills stuck for 17 years

केंद्र सरकार के पास अटके राज्यों के 158 बिल… Conversion bills 17 साल से फंसे 

आपको जानकर हैरानी होगी की राज्यों के जो बिल होते हैं.. ऐसे 158 बिल केंद्र में अभी विचाराधीन हैं.. वहीं 91 बिल एक साल से भी ज्यादा समय से लंबित हैं.. इन बिलों में से आधे से ज्यादा विपक्षी दलों की सरकारों वाले राज्यों के हैं… अब कुछ राज्यों में भाजपा की सरकार बनने के बाद जल्द कार्रवाई की संभावना है…वहीं सबसे ज्यादा 19 बिल तमिलनाडु के लंबित हैं… असम के 16 बिल, राजस्थान के 12, केरल, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के 11-11 जबकि आंध्र प्रदेश के 10 बिल लंबित हैं..

उत्तर प्रदेश के 11 बिल, महाराष्ट्र के 10 बिल, राजस्थान व आंध्र प्रदेश के 8-8 बिल, गुजरात व पंजाब के 5-5 बिल एक से ज्यादा साल से लंबित हैं.. आपको बता दें कि केंद्र के पास छत्तीसगढ़ और राजस्थान के धर्मांतरण बिल लंबित बिलों में सबसे पुराने हैं.. इन पर केंद्र ने बीते सालों में राय मांगी थी, लेकिन राज्यों ने जवाब ही नहीं दिया.. ये बिल उन राज्यों में बीजेपी सरकारों ने भेजे थे.. इस समय एक बार फिर यहां भाजपा की सरकार आई है… राजस्थान का सम्मान और परंपरा के नाम पर शादी करने की स्वतंत्रता, ऑनर किलिंग और मॉब लिंचिंग रोकथाम और सजा से जुड़ा बिल लंबित है…

अब आपको मध्यप्रदेश की बात बताते हैं.. मध्य प्रदेश के तीन बिल अटके हैं.. इनमें मकोका  की तर्ज पर बनने वाला बिल ‘मध्य प्रदेश टेररिस्ट एंड डिसरप्टिव एक्टिविटीज एंड कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइजेशन क्राइम’ पिछले 13 सालों से केंद्र के पास फंसा है… ये 2010 में लाया गया था… इसके अलावा क्रिमिनल लॉज बिल, 2021 एवं सिगरेट एंड अदर टोबैको प्रॉडक्ट्स बिल, 2023 भी अटके हैं…. मध्यप्रदेश के साथ ही कई राज्यों के बिल भी अटके हुए हैं.. जिसमें गुजरात भी शामिल है…

भाजपा शासित गुजरात का गुंडागर्दी पर रोक के लिए दोषियों की संपत्ति को जब्त करने के प्रावधान का बिल भी विचाराधीन है….हरियाणा में गैंगस्टर रोकथाम और अधिग्रहीत भूमि मुआवजा बिल भी पेंडिंग हैं….केंद्रीय गृह मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि बीते 10 वर्षों के दौरान राज्यों के 247 बिल मंजूरी के लिए आए, इनमें से 89 पास कर दिए गए…. आपको बता दें कि ये बिल राज्य के गवर्नर केंद्र को भेजते हैं… संविधान के आर्टिकल 200 के तहत राज्य के गवर्नर बिलों को केंद्र के पास भेजते हैं… ये बिल ऐसे होते हैं जिनमें गवर्नर को लगता है कि इन्हें राज्य ने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर बनाया है। राज्य भी समवर्ती सूची के बिलों को केंद्र को भेजते हैं.. अब इन बिलों के अटकने से कई काम रुके हुए हैं…

राजस्थान-छत्तीसगढ़ के धर्मांतरण बिल के बिल 17 साल से फंसे हुए हैं.. 158 बिल केंद्र में अभी भी विचाराधीन हैं.. वहीं 91 बिल एक साल से भी ज्यादा समय से लंबित होने की वजह से इसे लेकर कोई कानून नहीं बन पाया है.. इन बिलों के लंबित होने से अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है.. ऐसे में केंद्र को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है ताकि जल्द से जल्द इस पर काम किया जा सके….

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