स्वाद बढ़ाने के साथ-साथ भारतीय मसाले करेंगे कैंसर का भी इलाज, IIT मद्रास ने रिसर्च पेटेंट कराया, ट्रायल जल्द

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भारतीय मसाले कैंसर को ठीक कर सकते हैं

स्वाद बढ़ाने के साथ ही कर सकते हैं कैंसर का इलाज

IIT मद्रास ने रिसर्च पेटेंट कराया

जल्द ट्रायल भी होगा शुरू

2028 से मिल सकती हैं दवाएं

भारतीय मसालों के स्वाद का हर कोई दीवाना है… लेकिन ये मसाले आपका कैंसर भी ठीक कर सकते हैं.. जी हां सुनने में जरा अटपटा लग रहा होगा लेकिन ये सच है.. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी मद्रास ने भारतीय मसालों को लेकर एक रोचक रिसर्च पेटेंट कराया है.. इस रिसर्च में दावा किया गया है कि भारतीय मसालों से कैंसर को ठीक करने की दवा बन सकती है.. 25 फरवरी को जानकारी दी गई कि इसका क्लिनिकल ट्रायल जल्द शुरू होगा..  और 2028 तक ये दवाएं मार्केट में भी मिल सकती हैं.. रिसर्चर्स ने दावा किया है कि भारतीय मसाले लंग कैंसर सेल, ब्रेस्ट कैंसर सेल, कोलन कैंसर सेल, सर्वाइकल कैंसर सेल, ओरल कैंसर सेल और थायरॉइड कैंसर सेल में एंटी कैंसर एक्टिविटी दिखाते हैं.. ये मसाले नॉर्मल सेल में सेफ रहते हैं.. रिसर्चर्स फिलहाल इसकी लागत और सेफ्टी की चुनौतियों पर काम कर रहे हैं.. उन्होंने कहा कि जानवरों पर इसकी स्टडी हो चुकी है.. ये रिसर्च IIT मद्रास के एलुमनाई और प्रतीक्षा ट्रस्ट के जरिए इन्फोसिस के को-फाउंडर गोपालकृष्णन की फंडिंग के कारण आगे बढ़ रही है… IIT मद्रास की चीफ साइंटिफिक ऑफिसर जॉयस निर्मला ने कहा- कई स्टडी में ये दावा किया गया है कि कॉमन कैंसर इससे ठीक हो सकते हैं, लेकिन कैंसर ठीक करने के लिए कितनी डोज चाहिए, ये ट्रायल में साफ होगा.. उन्होंने ये भी कहा कि फिलहाल कैंसर का जो ट्रीटमेंट होता है, उसमें काफी साइड इफेक्ट होते हैं, लेकिन हमारा टारगेट है कि हम कैंसर का सस्ता और कम साइड इफेक्ट वाला ट्रीटमेंट तैयार करें..  आपको बता दें कि भारत में कैंसर से मौत के मामले लगातार बढ़ रहे हैं.. दुनिया की बात करें तो  सबसे अधिक मौतों का कारण बनने वाली बीमारियों में कार्डियोवैस्कुलर डिजीज पहले नंबर पर है.. उसके बाद दूसरे नंबर पर कैंसर है..  विश्व स्वास्थ्य संगठन यानि WHO  के आंकड़ों के मुताबिक साल 2020  में कैंसर ने करीब एक करोड़ लोगों की जान ले ली.. यानी दुनिया में हर 6 मौतों में से एक मौत कैंसर से हुई.. भारत में भी कैंसर से होने वाली मौतों का आंकड़ा, वैश्विक आंकड़ों से खास अलग नहीं है.. यूनियन हेल्थ मिनिस्टर मनसुख मंडाविया ने बीते साल राज्यसभा में इससे संबंधित आंकड़े जारी किए थे.. उन्होंने ICMR के हवाले से बताया था, साल 2020 में कैंसर से मरने वाले मरीजों की संख्या 7 लाख 70 हजार थी.. जो साल 2021 में 7 लाख 79 हजार और साल 2022 में 8 लाख 8 हजार पहुंच गई… अमेरिकन कैंसर सोसाइटी इस दिशा में महत्वपूर्ण काम कर रही है..  इस सोसाइटी में कैंसर स्क्रीनिंग के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट रॉबर्ट स्मिथ बताते हैं, “कैंसर स्क्रीनिंग के नतीजे तब सबसे अच्छे आते हैं, जब इसे सही गाइडलाइंस के अनुसार नियमित तौर पर किया जाए”… अब अगर क्लिनिकल ट्रायल में सबकुछ सही पाया जाता है तो ये किसी चमत्कार से कम नहीं होगा.. क्योंकि अभी तक मसालों का इस्तेमाल खाने को लजीज बनाने में ही किया जाता रहा है.. ऐसे में अगर मसाले से मेडिसिन बनी तो निश्चित तौर पर ना केवल भारत बल्कि पूरे विश्व के लिए एक वरदान ही होगा..

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