सूफी संगीत : बॉन फ़ोई 65 में छाया सूफी स्टार हीर वालिया का जादू

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कविता की हर पंक्ति एक इबादत थी, हर धुन दिल में बसी भावनाओं के ताने-बाने की एक डोर की तरह थी, जिसने दर्शकों को बांधे रखा। अपनी पहली सांस से लेकर अंतिम राग तक, वालिया ने केवल प्रस्तुति नहीं दी बल्कि उन्होंने आध्यात्मिकता का अनुभव भी कराया। वहाँ मौजूद लोगों में डेट पर आए जोड़े, संगीत के पारखी, खान-पान के शौकीन और आध्यात्मिक एहसास की तलाश करने वाले शामिल थे, और वे सभी मंत्रमुग्ध होकर बैठे थे, ताल के साथ झूम रहे थे, कई लोग गीत के शब्दों को दोहरा रहे थे, कुछ की आँखें बंद थीं और मन के दरवाजे खुले हुए थे।

ज्यादातर लोगों ने माना कि यह शाम उनके जीवन में एक बदलाव लेकर आई है और उनकी भावनाओं को व्यक्त करते हुए अनन्या मेहता ने कहा, “मैं डिनर के लिए आई थी और रूहानी एहसास के लिए यहीं रुक गई। ये एक कॉन्सर्ट से ज़्यादा एक आध्यात्मिक समागम जैसा लग रहा था।”

आयोजन स्थल ने भी अपनी भव्यता से इस अवसर की शोभा बढ़ाई। धीमी, सुनहरी रोशनी बेहतरीन ढंग से सजाए गए मेजों पर मधुर चमक बिखेर रही थी, जिन पर मेडिटरेनियन व्यंजन, बेहद उम्दा इंडियन-फ्यूजन पकवान और लज़ीज़डिज़र्ट इस तरह परोसे गए थे कि बेहद संयमी व्यक्ति के लिए भी खुद को रोक पाना मुश्किल था। हर्ब्स, मसालों और एक जादुई स्पर्श से तैयार किए गए सिग्नेचर कॉकटेल संगीत की लय की तरह ही आसानी से परोसे जा रहे थे।

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