'संवैधानिक भावना पर धब्बा', 'जादू-टोना वाले मामले पर बोला सुप्रीम कोर्ट

HomeIndia News'संवैधानिक भावना पर धब्बा', 'जादू-टोना वाले मामले पर बोला सुप्रीम कोर्ट

Become a member

Get the best offers and updates relating to Liberty Case News.

― Advertisement ―

spot_img

Anand: અમૂલમાંથી છુટા કરાયેલા કર્મચારીઓનો વિવાદ વકર્યો, પોલીસ બોલાવવાની ફરજ પડી

https://www.youtube.com/watch?v=CYjdiAZkiVgઆણંદનીઅમૂલ ડેરીમાંથી છુટા કરાયેલા કર્મચારીઓનો વિવાદ વકર્યો છે. ખેડા જિલ્લા દૂધ ઉત્પાદક સંઘમાંથી ઠાસરા તાલુકાના છુટા કરાયેલા 105 કર્મચારીઓનો મામલો વકર્યો છે અને કર્મચારીઓને...

<p><strong>Supreme Court:</strong> सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार (19 दिसंबर) को कहा कि जादू-टोने के नाम पर महिलाओं को प्रताड़ित किया जाना संवैधानिक भावना पर धब्बा है. सुप्रीम कोर्ट ने जादू-टोने के नाम पर महिलाओं को निर्वस्त्र करने और उनका उत्पीड़न करने के आरोपी व्यक्ति के खिलाफ कार्यवाही पर रोक लगाने वाले आदेश की निंदा की.&nbsp;</p>
<p>न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार और न्यायमूर्ति संजय करोल की पीठ ने मामले को परेशान करने वाले तथ्यों पर आधारित बताया. &nbsp;पीठ ने कहा कि अगर किसी व्यक्ति की गरिमा से समझौता किया जाता है, तो उसके मानवाधिकार खतरे में पड़ते हैं, जो उसे मनुष्य होने के आधार पर हासिल हैं और विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय अधिनियमों के तहत प्रदत्त हैं.&nbsp;</p>
<p><strong>’संवैधानिक भावना पर धब्बा’&nbsp;</strong></p>
<p>जादू-टोना से जुड़े मामलों में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों का जिक्र करते हुए पीठ ने कहा कि प्रत्येक मामला संवैधानिक भावना पर धब्बा था. उसने कहा, "जादू-टोना, जिसका आरोप पीड़ितों में से एक पर लगाया गया है, निश्चित रूप से एक ऐसी प्रथा है, जिससे दूर रहना चाहिए. इस तरह के आरोपों का पुराना इतिहास है और अक्सर उन लोगों के लिए दुखद परिणाम होते हैं, जिन पर आरोप लगते हैं."&nbsp;</p>
<p>पीठ ने कहा, ‘जादू-टोना अंधविश्वास, पितृसत्ता और सामाजिक नियंत्रण के साथ गहराई से जुड़ा हुआ है. इसलिए इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि ऐसे आरोप अक्सर उन महिलाओं के खिलाफ लगाए जाते थे, जो या तो विधवा हैं या बुजुर्ग.’&nbsp;</p>
<p><strong>जानें क्या है पूरा मामला</strong></p>
<p>बिहार के चंपारण जिले में मार्च 2020 में 13 लोगों ने वृद्ध महिला पर जादू-टोना के आरोप लगाते हुए हमला किया था. इस दौरान चुड़ैल को नंगा करके घुमाने की बात कहते हुए आरोपियों ने उसकी साड़ी फाड़ दी थी. आरोपियों ने बीच-बचाव करने आई एक अन्य महिला पर भी हमला किया था. &nbsp;पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की थी, जिस पर मजिस्ट्रेट ने संज्ञान लिया था. हालांकि आरोपियों द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने कार्यवाही पर रोक लगा दी</p>
<p><strong>पटना HC ने लगाई थी रोक</strong></p>
<p>पीठ ने कहा कि बिहार के चंपारण जिले में 13 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी, लेकिन पुलिस ने केवल लखपति देवी के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया. निचली अदालत ने 16 जुलाई 2022 को लखपति और प्राथमिकी में नामजद अन्य लोगों के खिलाफ संज्ञान लिया. आरोपियों ने अपने खिलाफ दायर मामले को रद्द करने के अनुरोध के साथ पटना उच्च न्यायालय का रुख किया था. उच्च न्यायालय ने चार जुलाई को निचली अदालत में आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही पर रोक लगाने का निर्देश दिया था.&nbsp;</p>
<p><strong>’पीड़िता की गरिमा का अपमान है'</strong></p>
<p>उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए स्थगन आदेश से व्यथित शिकायतकर्ता ने शीर्ष अदालत का रुख किया, जिसे 26 नवंबर को सूचित किया गया कि संज्ञान आदेश को रद्द करने के अनुरोध वाली याचिका 22 नवंबर को वापस ले ली गई है. SC ने कहा कि प्राथमिकी में कहा गया है कि पीड़िता के साथ सार्वजनिक रूप से मारपीट और दुर्व्यवहार किया गया, जो निस्संदेह उसकी गरिमा का अपमान था. उसने पीड़िता के खिलाफ ‘कुछ अन्य कृत्यों’ का भी संज्ञान लिया, जिसने उसकी अंतरात्मा को झकझोर दिया, क्योंकि ऐसे कृत्य 21वीं सदी में हो रहे थे.</p>



Source link

SUBSCRIBE TO OUR NEWSLETTER.

Never miss out on the latest news.

We don’t spam! Read our privacy policy for more info.

RATE NOW
wpChatIcon
wpChatIcon