यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल हैं भारत के ये 3 खूबसूरत रेलवे स्टेशन

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    दोस्तों आपको जानकारी के लिए बता दें कि दुनिया की चौथी सबसे बड़ी भारतीय रेलवे लगभग 2.50 करोड़ लोगों की जीवनरेखा है, जो इसे हर दिन इस्तेमाल करते हैं। करीब 65,000 किलोमीटर लंबे नेटवर्क पर हर दिन 11,000 ट्रेनें चलाईं जाती हैं। भारतीय रेलवे सबसे लंबी और सबसे छोटी दूरी की अनोखी यात्रा कराती है। बतौर उदाहरण डिब्रूगढ़ से कन्याकुमारी के बीच चलने वाली विवेक एक्सप्रेस कुल 4286 किलोमीटर की दूरी तय करती है जबकि नागपुर से अजनी के बीच महज 3 किमी. के लिए भी ट्रेन चलाई जाती है। भारतीय रेलवे करीब 15 लाख लोगों रोजगार देता है।

    जी हां, इसी क्रम में आज हम आपको भारत के उन तीन खूबसूरत रेलवे स्टेशनों के बारे में बताने जा रहे हैं जो यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची (UNESCO World Heritage Sites) में आते हैं। अगर देश के किसी भी कोने में घूमना हो तो जितना आनंद ट्रेन से यात्रा करने के दौरान मिलता है, शायद उतना अन्य किसी साधन से नहीं। यदि आप भी ट्रेन से यात्रा करने के शौकीन हैं तो इस बात को बखूबी महसूस किया होगा जब कोई ट्रेन किसी नदी या पहाड़ों के बीच से गुजरती है। ट्रेन से दिखने वाली नदी की लहरें और पहाड़ों के मनोरम दृश्य आपको आजीवन याद रहते हैं। तो, आइए अब हम बात करते हैं उन तीन रेलवे लाइन्स के बारे में जिससे गुजरना, एक यादगार सफर हो सकता है।

    1. कालका-शिमला रेलवे (Kalka-Shimla Railway)
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    कालका-शिमला टॉय ट्रेन के जरिए शिमला के मनोरम दृश्य देखने का एक लोकप्रिय तरीका है। जानकारी के लिए बता दें कि यह रेलवे लाइन साल 1903 में बनकर तैयार हुई है। कालका शिमला टॉय ट्रेन भारत की सबसे खूबसूरत ट्रेन यात्राओं में से एक है। इस ट्रेन से शिमला तक पहुंचने में आपको 20 रेलवे स्टेशनों, 103 सुरंगों, 800 पुलों और अविश्वसनीय 900 मोड़ों से गुजरते हुए 96 किलोमीटर तक का सफर तय करना होता है। चंडीगढ़ के नजदीक कालका से शिमला पहुंचने में कुल 5 घंटे लगते हैं। कालका शिमला टॉय ट्रेन से यात्रा करते वक्त लंबी सुरंग, खड़ी पहाड़ियां पूरी यात्रा को बहुत ज्यादा आकर्षक बना देते हैं।

    1. नीलगिरी माउंटेन रेलवे (Nilgiri Mountain Railway)
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    नीलगिरि माउंटेन रेलवे एक टॉय ट्रेन है जिसके जरिए ऊंटी के हिल स्टेशन की यात्रा का मुख्य आकर्षण है। नीलगिरि माउंटेन रेलवे भारत का एकमात्र मीटर गेज रैक रेलवे है। दरअसल इस रेलवे लाइन को अंग्रेजों ने चेन्नई जाने के लिए बनाया था। नीलगिरि माउंटेन रेलवे की ट्रेन पहाड़ी इलाकों तथा घने जंगलों के बीच से होकर गुजरती है। तकरीबन 46 किलोमीटर लंबा ट्रैक मेटुपलायम से ऊर्टी तक चलता है, इस बीच 32 पुलों और 16 सुरंगों का पार करना होता है। मेटुपलायम से कुन्नूर के बीच दिखने वाले दृश्य बेहद ही मनोरम होते हैं।

    1. दार्जिलिंग टॉय ट्रेन (Darjeeling Himalayan Railway) 
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    भारत की ऐतिहासिक माउंटेन रेलवे में सबसे पुरानी दार्जिलिंग टॉय ट्रेन है, जिसे दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे के नाम से जाना जाता है। यह टॉय ट्रेन निचली पहाड़ियों से होते हुए दार्जिलिंग की ऊंची पहाड़ियों और हरे-भरे चाय के बागानों तक ले जाती है।   

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    दार्जिलिंग टॉय ट्रेन न्यू जलपाईगुड़ी से सिलीगुड़ी, कर्सियांग और घूम होते हुए दार्जिलिंग तक तकरीबन 80 किलोमीटर तक का सफर तय करती है।

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