माता-पिता का मानसिक स्वास्थ्य सुधारने में युवा कर सकते हैं मदद

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जब भी हम मेंटल हेल्थ को लेकर चर्चा करते हैं तो केंद्र बिंदु में हमारे युवा होते हैं…या यूं कहें कि हम हमेशा युवाओं के ही मेंटल हेल्थ की चिन्ता करते हैं…हमारा मानना है कि आजकल की भागती दौड़ती जिंदगी में, कंपटीशन के इस जमाने में हमारे युवाओं पर प्रेशर ज्यादा है और इसी वजह से वो मानसिक दबाव में रहते हैं…इन्हीं सब कारणों का बहाना बनाकर हम हमेशा से युवाओं की मेंटल हेल्थ के बारे में चर्चा करते हैं…लेकिन समाज का एक और तबका है जिसकी मेंटल हेल्थ को हम हाशिए पर रखते हैं…कौन है वो परिवार के सदस्य और हमें कैसे उनका ख्याल रखना चाहिए आज हम अपने इस वीडियो में इसी पर चर्चा करेंगे…

कई सालों से युवाओं के अवसाद पर काफी चर्चा हुई है…उनकी मेंटल हेल्थ चर्चा का विषय बनी हुई है…हार्वर्ड के ग्रेजुएट स्कूल ऑफ एजुकेशन में शोधकर्ता रिचर्ड वीसबॉर्ड कहते हैं…किशोरों की तरह माता-पिता भी अवसाद से घिरे हैं..हमें उनके मानसिक स्वास्थ्य के बारे में भी सोचना होगा…750 पेरेंट्स को लेकर किए गए एक सर्वे में कहा गया कि एक तिहाई किशोरों के पैरेंट्स तनाव का अनुभव करते हैं…अगर माता-पिता और बच्चे दोनों ही अवसाद से पीड़ित हैं तो समस्या बड़ी हो सकती है…इसलिए पैरेंट्स की मानसिक सेहत पर भी ध्यान देना जरूरी है जिसका सकारात्मक असर पूरे घर पर देखने को मिलेगा

स्टडी में सामने आया है कि 40 फीसदी किशोर ये चाहते हैं कि माता-पिता उनकी जिंदगी के बारे में चर्चा करें…उनकी प्रतिक्रिया जानें…की-होल से नहीं, दरवाजा खोलकर उन्हें देखें…इसका मतलब ये कि फैमिली टॉक होनी चाहिए…वो कहते हैं ना कि बात करने से ही बात बनती है…इसके तहत किशोरों को भावनात्मक समर्थन के लिए पेरेंट्स के पास जाने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं…जो मजबूत रिश्ते का संकेत है…

एक्सपर्ट्स का मानना है कि मानसिक स्वास्थ्य की समस्या से निपटने के लिए सबसे पहले हमें उसकी समझ होनी ज़रूरी है…हमें ये समझना होगा कि ये पागलपन नहीं है बल्कि एक मानसिक अवस्था है…किशोर चिंतित या उदास होते हैं तो पेरेंट्स को शांतिपूर्ण प्रभावी मदद देनी चाहिए लेकिन इसके साथ-साथ उन्हें अपनी चिंता को भी मैनेज करना होगा…अवसाद या चिंता का इलाज संभव है इसके लिए कभी मदद लेनी पड़े तो परहेज ना करें…

ऐसा नहीं हैं कि केवल किशोरों को ही मेंटल सपोर्ट की ज़रूरत है…हमें अपने माता-पिता के भी मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान   देना होगा…स्वास्थ्य केंद्रों, कार्यस्थलों और सामुदायिक संस्थानों के जरिए माता-पिता के मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने से पूरे परिवार को लाभ हो सकता है…मनोचिकित्सक ये भी कहते हैं कि माता-पिता चाहे उदास हों या नहीं हर स्थिति में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं…
यहां एक बात पर ध्यान देने की सबसे ज्यादा ज़रूरत है…अवसादग्रस्त पेरेंट्स के किशोर उनके व्यवहार के लिए खुद को दोषी मानते हैं…इसलिए पेरेंट्स को सीखना चाहिए कि बच्चों से बात करते वक्त अपने अनुभवों को लेकर ईमानदार रहें जो एक अहम भूमिका निभा सकता है…बच्चों का जीवन मीनिंगफुल बनाने में पेरेंट्स को मदद करनी चाहिए ताकि उनका चौतरफा विकास हो सके…

 #mentalhealth #parents #youngsters #health

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