दोस्तों, आपको जानकारी के लिए बता दें कि एनसीईआरटी ने दसवीं कक्षा की नई किताबों से पीरियोडिक टेबल का पूरा चैप्टर तथा डेमोक्रेसी से जुड़े कई प्वाइंट जैसे- लोकतंत्र और विविधता, लोकतंत्र की चुनौतियां और राजनीतिक दलों के अध्याय हटा दिए हैं। ऐसे में इन महत्वपूर्ण बदलावों को लेकर एनसीईआरटी सवालों के घेरे में है।
इस संबंध में एनसीईआरटी ने अपने एक बयान में कहा है कि छात्रों के ऊपर से पढ़ाई का अतिरिक्त बोझ कम करने के लिए यह निर्णय लिया गया है। एनसीईआरटी के मुताबिक, शिक्षा नीति पढ़ाई के भार को कम करने और रचनात्मक मानसिकता के साथ सीखने पर जोर देती है।
इंडिया टुडे के लिए काम करने वाली संवाददाता मिलन शर्मा के अनुसार, एनसीईआरटी ने कक्षा-10 की सामाजिक विज्ञान की पुस्तक से ‘डेमोक्रेसी एंड डाइवर्सिटी’, ‘पॉपुलर स्ट्रगल्स एंड मूवमेंट्स’ और ‘चैलेंजेस टू डेमोक्रेसी’ नामक अध्याय हटा दिए हैं। ये सभी चैप्टर ‘डेमोक्रेटिक पॉलिटिक्स’ की दूसरी किताब से हटाए गए हैं।
बता दें कि इससे पूर्व एनसीईआरटी ने 12वीं कक्षा की राजनीति विज्ञान की किताब से उन विवादित अंशों को हटा दिया है जिसमें श्री आनंदपुर साहिब प्रस्ताव को कथित तौर पर खालिस्तान की मांग से जोड़ा गया था। वहीं दूसरी तरफ विनायक दामोदर सावरकर के जीवन से जुड़ा एक नया चैप्टर पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है।
विज्ञान की किताब से पीरियॉडिक टेबल वाला चैप्टर हटाया
एनसीईआरटी ने विज्ञान की किताब से पीरियॉडिक टेबल वाला चैप्टर हमेशा के लिए हटाने का निर्णय लिया है। कोरोना महामारी के दौरान इस चैप्टर को अस्थाई से रूप से हटाया गया था। साथ ही एनसीईआरटी की किताबों से चार्ल्स डार्विन की एवोल्यूशन थ्योरी वाला अध्याय भी हटाया जा चुका है।
मीडिया खबरों के अनुसार, एनसीईआरटी ने उपरोक्त चैप्टर्स को हटाए जाने को लेकर अपने बयान में कहा है कि इन्हें कोविड महामारी के दौरान नहीं पढ़ाया जा रहा था, साथ ही उस वक्त पाठ्यक्रम में कुछ कमी की गई थी। यही कारण है कि इन चैप्टर्स को अब अंतिम रूप से हटाने का निर्णय लिया गया है। सूत्रों के अनुसार, ‘एवोल्यूशन एंड हेरिडिटी’ नामक अध्याय को सिर्फ ‘हेरिडिटी’ नाम से कर दिया गया है।
एनसीईआरटी के इस फैसले के विरोध में…
पीरियॉडिक टेबल और एवोल्यूशन वाले चैप्टर को हटाए जाने के बाद कुछ शिक्षकों तथा वैज्ञानिकों ने अपनी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। चर्चित किताब ‘द सेल्फ़िश जीन’ के लेखक और ब्रिटिश बायोलॉजिस्ट रिचर्ड डॉकिन्स ने अपने ट्वीट में कहा कि ‘’मोदी की बीजेपी भारत की धर्मनिरपेक्ष शुरुआत के लिए एक दुखद अपमान है। हिंदू धर्म भी इस्लाम की तरह हास्यास्पद है। इन दोनों दखियानूसी धर्मों ने नेहरू और गांधी के आदर्शों से गद्दारी की है।’’
फॉरेंसिक मानव विज्ञान विशेषज्ञ डॉक्टर नम्रता दत्ता के मुताबिक यदि भारत ने इस बारे में तत्काल कार्रवाई नहीं की तो वह अंधकार के युग में जाने के लिए मजबूर हो जाएगा। उन्होंने अपने ट्वीट में कहा है कि ‘भारत के स्कूली बच्चे अब एवोल्यूशन एंड पीरियॉडिक टेबल जैसे चैप्टर नहीं पढ़ेंगे। लेकिन एनसीईआरटी ने इसके पीछे की असली वजह को स्पष्ट नहीं किया है।’
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