भारत में इतनी तेजी से क्यों बढ़ रही है इलेक्ट्रिक टूव्हीलर्स की डिमांड?

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पिछले कुछ सालों से भारत की सड़कों पर इलेक्ट्रिक टूव्हीलर्स कुछ ज्यादा दिखने लगी हैं। ऑटोकार इंडिया के मुताबिक साल 2021 में इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की बिक्री 305 फीसदी तक बढ़ी थी। यदि हम इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की बिक्री की बात करें तो इनकी संख्या साल 2013 में 2000 थी जो साल 2022 में 600,000 प्रति वर्ष से अधिक हो चुकी है।

दोस्तों आपको बता दें कि पिछले कुछ सालों से भारत की सड़कों पर इलेक्ट्रिक टूव्हीलर्स कुछ ज्यादा दिखने लगी हैं। ऑटोकार इंडिया के मुताबिक साल 2021 में इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की बिक्री 305 फीसदी तक बढ़ी थी। यदि हम इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की बिक्री की बात करें तो इनकी संख्या साल 2013 में 2000 थी जो साल 2022 में 600,000 प्रति वर्ष से अधिक हो चुकी है।

भारत में इलेक्ट्रिक टूव्हीलर्स बनाने वाली शीर्ष तीन कंपनियों के नाम ओला इलेक्ट्रिक, ओकिनावा ऑटोटेक और हीरो इलेक्ट्रिक है। बता दें कि कुल दो​पहिया वाहनों की बिक्री में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की हिस्सेदारी साल 2022 में 4 फीसदी थी। स्टेटिस्टा के मुताबिक भारत में दोपहिया इलेक्ट्रिक वाहनों की डिमांड सालाना 8.2 मिलियन तक हो सकती है।

स्टेटिस्टा का कहना है कि देश में इलेक्ट्रिक वाहनों की गतिशीलता के पीछे भारत सरकार की पहल मौजूद है। बता दें ​कि चीन ने साल 2022 में 45 मिलियन इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की ब्रिकी की। ऐसे में भारत को चीन के मुकाबले अभी लंबा रास्ता तय करना है। 

मोर्डोर इंटेलिजेंस ने दावा किया है कि एशिया पैसेफिक इलेक्ट्रिक स्कूटर और बाइक बाजार का मूल्य साल 2021 में 612.03 बिलियन अमरीकी डॉलर रहा जो साल 2027 तक बढ़कर 1905.25 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। 

हांलाकि कोरोना महामारी के दौरान इलेक्ट्रिक बाइक और स्कूटर की बिक्री में गिरावट देखने को मिली। बावजूद इसके साल 2020 की दूसरी छमाही में बाजार तेजी से रिकवर हुआ इसके बाद से डिमांड में तेजी देखने को मिल रही है।

देश के प्रमुख शहरों में मौजूद ध्वनि और वायु प्रदूषण के अतिरिक्त इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमत और परिचालन लागत में कमी ऐसे बड़े कारक हैं जिससे इलेक्ट्रिक टूव्हीलर्स की डिमांड तेजी से बढ़ रही है। ऐप-आधारित माइक्रो-मोबिलिटी सर्विसेज के लिए भी इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन काफी उपयुक्त साबित हो रहे है।

इसके अतिरिक्त बेहतरीन बैटरी टेक्नोलॉजी और बैटरी स्वैपिंग स्टेशनों की बढ़ती उपलब्धता और इनके उपयोग ने भी मार्केट में इलेक्ट्रिक टूव्हीलर्स की डिमांड बढ़ा दी है। मैन्यूफैक्चरर्स, सर्विस प्रोइवडर्स और चार्जिंग कंपनियों के बीच रणनीतिक समझौते भी मार्केट में इलेक्ट्रिक टूव्हीलर्स की एन्ट्री को तेजी से बढ़ाने का काम करेंगे।

ऐसा लगता है कि छोटा-बड़ा हर व्यक्ति चाहे पर्सनल ट्रांसपोर्ट की बात हो या फिर फूड डिलीवरी हो, या फिर कहीं आना-जाना हो, हमे सड़कों पर इलेक्ट्रिक टूव्हीलर्स के साथ दिख ही जाते हैं। हमें बाजार में इलेक्ट्रिक बाइक की तुलना में इलेक्ट्रिक स्कूटर्स ज्यादा देखने को मिलते हैं, क्योंकि एक तरफ इनकी कीमत काफी कम होती है, वहीं दूसरी तरफ ज्यादा मॉडल में उपलब्ध होने की वजह से खरीददार ज्यादा मिलते हैं।

मोर्डर इंटेलिजेंस के मुताबिक प्रमुख महानगरीय क्षेत्रों में इलेक्ट्रिक स्कूटर्स की बाढ़ सी आ गई है, क्योंकि इससे बनाने में सैकड़ों स्टार्टअप लगे हुए हैं। इसके पीछे एक सबसे बड़ी वजह यह भी है कि भारत सरकार अपनी एफएएमई (फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स) नीति के माध्यम से इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहित कर रही है।

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