पेट्रोलियम मंत्रालय ने उड़ाई नींद, 4 साल बाद डीजल कारें बंद करने की सलाह
पेट्रोलियम मंत्रालय की सलाहकार समिति ने सरकार को एक ऐसी रिपोर्ट सौंपी है जिससे ऑटोमोबाइल सेक्टर की नींद उड़ा दी है…हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि अगर सरकार इस रिपोर्ट को स्वीकार कर लेती है और इसे लागू करती है तो सड़कों से डीज़ल गाड़ियां गायब हो जाएंगी। देश भर में बढ़ते प्रदूषण और उससे हो रही परेशानियों को देखते हुए पेट्रोलियम मंत्रालय की सलाहकार समिति ने सरकार को सौंपी अपनी रिपोर्ट में सुझाव दिया है कि भारत को साल 2027 तक 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में डीजल से चलने वाले चार पहिया वाहनों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए…इन शहरों में बिजली और गैस से चलने वाले वाहनों को बढ़ावा देना चाहिए जिससे बढ़ते प्रदूषण पर लगाम लगाई जा सके।
समिति ने अपने सुझाव में कहा है कि डीजल से चलने वाली 4 पहिया गाड़ियों को जितना जल्दी हो सके सड़कों से हटा देना चाहिए… 5 साल में यानि 2027 तक 10 लाख से ज्यादा की आबादी वाले शहरों और ज्यादा प्रदूषण वाले कस्बों से तो इन्हें हटाना ही होगा…जब तक सभी वाहन इलेक्ट्रिक नहीं हो जाते 10 से 15 साल तक CNG वाली गाड़ियों को बढ़ावा देना चाहिए…इन कदमों से साल 2070 तक भारत में कार्बन गैसों का उत्सर्जन घटकर नेट ज़ीरो हो जाएगा…बता दें कि नेट जीरो स्तर का मतलब कार्बन न्यूट्रल बनना है…यानी ऐसी स्थिति जहां आपकी वजह से वातावरण में ग्रीन हाउस गैसें नहीं बढ़ रही होंगी…
माल ढुलाई के लिए समिति का सुझाव है कि साल 2024 से केवल बिजली से चलने वाले सिटी डिलिवरी वाहनों के नए रजिस्ट्रेशन की अनुमति दी जानी चाहिए…कार्गो की आवाजाही के लिए रेलवे और गैस से चलने वाले ट्रकों के ज्यादा उपयोग करने का सुझाव दिया गया है…यहां ये जानना बेहद ज़रूरी है कि देश का रेलवे नेटवर्क दो से तीन साल में पूरी तरह से इलेक्ट्रिक हो जाएगा… रिपोर्ट में इस बात जिक्र नहीं है कि इन उपायों को लागू करने के लिए कैबिनेट से मंजूरी की जरूरत है कि नहीं…
पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए इस रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2030 तक ऐसी सिटी बसें नहीं जोड़ी जानी चाहिए जो इलेक्ट्रिक नहीं हैं…सिटी ट्रांसपोर्ट के लिए डीजल बसें 2024 से नहीं जोड़ी जानी चाहिए…लंबी दूरी की बसों को भी बिजली से चलाने का प्रयास करना होगा…समिति का कहना है कि ऐसे मोटरसाइकिल, स्कूटर और तिपहिया वाहनों को हटा देना चाहिए जो ज्यादा प्रदूषण फैलाते हैं…बड़ी बात ये कि पेट्रोलियम मंत्रालय की समिति ने ये रिपोर्ट फरवरी में सौंपी थी लेकिन सरकार ने अभी तक इसे स्वीकार नहीं किया है…अपनी रिपोर्ट में कमेटी ने ये भी सुझाव दिया है कि भारत को दो महीने की मांग के बराबर भूमिगत गैस भंडारण के निर्माण पर विचार करना चाहिए क्योंकि साल 2050 तक गैस की मांग 9.78 फीसदी चक्रवर्ती औसत के हिसाब से बढ़ने की उम्मीद है… जिसके देखते हुए सरकार को प्लानिंग करनी चाहिए…
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