जानिए किस बात से नाराज होकर भगवान कार्तिकेय ने हमेशा के लिए छोड़ दिया कैलाश पर्वत?

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    — सनातन धर्म में उल्लेखित कथा के अनुसार, जब गणेश जी और कार्तिकेय स्वामी विवाह योग्य हुए तो एक दिन शिव जी और देवी पार्वती ने सोचा कि अब इन दोनों पुत्रों का विवाह करा देना चाहिए।

    — शिव-पार्वती ने कार्तिकेय स्वामी और गणेश जी को बुलाया और बोले- आप दोनों में से जो इस संसार की परिक्रमा करके पहले लौट आएगा, हम उसका विवाह पहले कराएंगे।

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    — गणेश जी अपने वाहन चूहे पर बैठे और अपने माता-पिता की परिक्रमा कर ली और बोले-आप दोनों ही पूरा संसार है। 

    — गणेश जी की इस बात से शिव-पार्वती बहुत प्रसन्न हो गए। उन्होंने गणेश जी का विवाह करा दिया।

    — कार्तिकेय स्वामी अपने वाहन मोर पर सवार होकर जब संसार की परिक्रमा करके लौट आए तब उन्होंने देखा कि गणेश जी का तो विवाह हो गया है।

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    — जब कार्तिकेय स्वामी को पूरी बात मालूम हुई तो वे क्रोधित हो गए। उन्हें लगा कि माता-पिता यानी शिव-पार्वती ने उनके साथ सही नहीं किया है।

    — इस बात क्रोधित होकर कार्तिकेय स्वामी ने कैलाश पर्वत छोड़ दिया और क्रौंच पर्वत पर चले गए। दक्षिण भारत में कृष्णा नदी के तट पर स्थित इसे श्रीपर्वत भी कहा जाता है।

    — भगवान शिव और पार्वती मां के मनाने के बाद भी भगवान कार्तिकेय नहीं मानें तब उन्होंने तय कि अब से वे ही समय-समय पर कार्तिकेय से मिलने जाएंगे।

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