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डब्ल्यूएचओ के विशेषज्ञ दिसम्बर 2019 में ही वुहान में कई प्रमुख स्थलों का दौरा कर चुके थे, जब पहली बार कोविड-19 का पता चला था। डब्ल्यूएचओ विशेषज्ञों के लिए वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी की यात्रा उनके एजेंडे में सबसे हाई प्रोफाइल घटनाओं में से एक थी, क्योंकि यहां उन्हें जो कुछ मिला वह महामारी का स्रोत था। पिछले साल पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और उनके राज्य सचिव, माइक पोम्पिओ ने भी कोरोना वायरस के चीनी लैब से लीक होने के सिद्धांत का समर्थन किया था। इसके बाद से यह मुद्दा पूरी दुनिया में तेजी फैला लेकिन चीन ने इसे महज प्राकृतिक बीमारी बताकर कुछ भी जाहिर करने से इन्कार कर दिया।
फ्रांसीसी अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी एजेंस फ्रांस–प्रेसे की एक रिपोर्ट के मुताबिक कोविड-19 की शुरूआत के बाद से दुनियाभर में यह अटकलें तेज हो गई थी कि कोरोना वायरस चीन के वुहान शहर में मौजूद एक लैब से लीक हो सकता है।
आपको जानकर हैरानी होगी कि डब्ल्यूएचओ के विशेषज्ञ दिसम्बर 2019 में ही वुहान में कई प्रमुख स्थलों का दौरा कर चुके थे, जब पहली बार कोविड-19 का पता चला था। डब्ल्यूएचओ विशेषज्ञों के लिए वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी की यात्रा उनके एजेंडे में सबसे हाई प्रोफाइल घटनाओं में से एक थी, क्योंकि यहां उन्हें जो कुछ मिला वह महामारी का स्रोत था।
आपको यह याद होगा कि पिछले साल पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और उनके राज्य सचिव, माइक पोम्पिओ ने भी कोरोना वायरस के चीनी लैब से लीक होने के सिद्धांत का समर्थन किया था। इसके बाद से यह मुद्दा पूरी दुनिया में तेजी फैला लेकिन चीन ने इसे महज प्राकृतिक बीमारी बताकर कुछ भी जाहिर करने से इन्कार कर दिया।
जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
अमेरिकी इंटेलिजेंस की एक ख़ुफ़िया रिपोर्ट के मुताबिक नवम्बर 2019 में वुहान के लैब में कार्यरत तीन रिसर्चरों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यह मामला इस शहर के लोगों के वायरस से संक्रमित होने से ठीक पहले का है।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पदभार संभालते ही इसी बात की रिपोर्ट मांगी कि कोविड-19 वायरस सबसे पहले कहां से फैला था? इस बारे में वॉशिंगटन स्थित थिंक टैंक अटलांटिक काउंसिल के फ़ेलो जेमी मेट्ज़ल का कहना है कि इस मामले में चीन पहले दिन से ही बड़े पैमाने पर तथ्यों को छिपाने की कोशिश में लगा है।
चीन के वुहान में कुछ समय तक काम कर चुकी अमेरिकी वैज्ञानिक एंड्यू हफ ने अपनी किताब ‘द ट्रूथ अबाउट वुहान’ में दावा किया है कि सुरक्षा नहीं होने की वजह से कोरोना वायरस का रिसाव लैब में हुआ और फिर इसे रोका नहीं जा सका।
अमेरिकी मॉलिक्यूलर बायोलॉजिस्ट रिचर्ड एच. ईब्राइट के मुताबिक कोरोना वायरस की जीनोम सिक्वेंसिंग से यह जानकारी सामने आई है कि यह RTG13 कोरोना वायरस का प्रोजेनिटर है। इस वायरस को वुहान लैब के वैज्ञानिकों ने चीन के युनान प्रांत स्थित एक गुफा से चमगादड़ों से प्राप्त किया था। इसी वायरस की वजह से साल 2012 में चीन में सार्स नामक बीमारी फैली और हजारों लोग मारे गए। इसके बाद वुहान लैब में साल 2013 से 2016 तक इसे आंशिक रूप से बदला गया। इसके बाद साल 2019 में वुहान लैब ने इस वायरस की सिक्वेंसिंग कर डाली।
मशहूर साइंस राइटर और एडिटर निकोलस वेड ने दावा किया है कि इस बात की पूरी आशंका है कि कोरोना वायरस चीन के वुहान लैब में तैयार हुआ है। भारत में पहली बार डिजिटिल मीडिया प्लेफॉर्म editorji से एक्सक्लूसिव बातचीत के दौरान कहा कि इस बात के पूरे आसार हैं कि ये वायरस प्राकृतिक नहीं है, बल्कि लैब में बनाया गया है।
अमेरिका ऊर्जा विभाग के निष्कर्षों के आधार पर द वॉल स्ट्रीट जर्नल ने भी अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि कोविड-19 एक लैब से लीक हुआ था जिसने पूरी दुनिया में कहर बरपा दिया।