चिराग को बता रहे प्रशांत अपना मित्र, दी ये सलाह, आखिर बिहार की राजनीति में क्या पक रहा है? | Chirag Paswan Prashant Kishore Friendship may shape bihar politics different

0
15

पीके ने चिराग पासवान को दी सलाह

आरा की रैली में चिराग पासवान ने ऐलान किया कि वह आगामी बिहार विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। बिहार की जनता जिस सीट से कहेगी, वह उस सीट से चुनाव लड़ेंगे। इस पर पीके ने कहा कि चिराग पासवान बिहार से सांसद हैं। इसका मतलब यह है कि वे बिहार की ही राजनीति करते हैं। जहां तक विधानसभा चुनाव लड़ने की बात है तो मेरा मानना है कि उन्हें दिल्ली का मोह त्यागना होगा।

प्रशांत किशोर ने चिराग को सलाह दी कि अगर उन्हें बिहार में बड़ी भूमिका निभानी है तो मोदी कैबिनेट से इस्तीफा देना होगा। पीके ने कहा कि चिराग मेरे मित्र हैं। हम उनके लिए अच्छी बात बोलते हैं। बिहार की राजनीति में उन्हें तब सीरियसली लिया जाएगा, जब वह केंद्र की राजनीति छोड़कर राज्य की राजनीति में आएंगे।

यह भी पढे़ं: जब पहली बार कोर्ट में पेश हुआ था कोई पीएम, जज के सामने दी गई थी कुर्सी, फैसले ने मोड़ दिया था देश का इतिहास

जन सुराज को चिराग ने बताया नया प्रयोग

लोजपा (रा) प्रमुख चिराग पासवान अपने बयानों में प्रशांत किशोर पर न के बराबर हमलावर दिख रहे हैं। उन्होंने अपने बयानों में जन सुराज को नया प्रयोग करार दिया। चिराग ने पीके को बाहरी खिलाड़ी बताते हुए कहा कि प्रदेश की जनता पहले उनके कामों को देखेगी, फिर नई नवेली पार्टी पर भरोसा करेगी।

पीके भाजपा की B टीम है: राजद

राजद प्रशांत किशोर को भाजपा की B टीम बताती है। दरअसल, प्रशांत किशोर ने कहा था कि वह बिहार चुनाव में 75 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट देंगे। बाद में यह आंकड़ा घटकर 42 पर आ गया। पीके इस तरह मुस्लिम वोट बैंक में सेंधमारी करके भाजपा को चुनावी बढ़त दिलाने की कोशिश कर रहे हैं। राजद नेता व पाटलिपुत्रा से सांसद मीसा भारती ने कहा कि जन सुराज पार्टी को कुछ फायदा होने वाला नहीं है। जनता समझ चुकी है कि भारतीय जनता पार्टी को फायदा पहुंचाने के लिए प्रशांत किशोर अपनी पार्टी बना रहे हैं और वह भाजपा की B टीम के रूप में काम कर रहे हैं।

यह भी पढ़ें

NCP: चाचा-भतीजा आएंगे साथ! शरद पवार गुट ने अजित दादा के सामने रखी ये शर्त, आज होगा फैसला

आखिर किसका वोट काटेंगे प्रशांत किशोर

प्रशांत किशोर ब्राह्मण जाति से आते हैं। उनकी जाति बिहार की सियासत में दोधारी तलवार की तरह है। बिहार में आखिरी बार 1989 जगन्नाथ मिश्रा सीएम बने थे, जो कि ब्राह्मण थे। मंडल आयोग लागू होने के बाद से बिहार की सियासत ओबीसी के ईर्द गिर्द घूमने लगी। हालांकि, प्रशांत किशोर ने अभी तक खुद को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया है।

उनकी पार्टी के अध्यक्ष उदय सिंह ऊर्फ पप्पू सिंह राजपूत समुदाय से आते हैं। उदय सिंह पूर्व में पूर्णिया संसदीय सीट से दो बार के भाजपा के सांसद रह चुके हैं। ऐसे में जन सुराज के लिए बिहार की जातीय राजनीति को साधना टेढी खीर साबित होती जा रही है, लेकिन पीके इसका काट वर्गीय व्यवस्था, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे मूलभूत मुद्दों को बता रहे हैं।

प्रशांत किशोर पदयात्रा के समय मुसलमानों और दलितों को साधने की कवायद में जुटे थे। फिर जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष RCP सिंह को अपनी पार्टी में शामिल कराकर ओबीसी समुदाय को साधने की कोशिश की।

भाजपा कर रही है हर सीट पर माइक्रो मैनेजमेंट

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा हर सीट पर माइक्रो मैनेजमेंट में जुटी है। बीते मार्च महीने में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बिहार दौरे पर पार्टी के नेताओं को चुनावी रणनीति बनाने के टिप्स दिए थे। इसके बाद पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल प्रदेश बीजेपी नेताओं के साथ बैठकर हर सीट पर माइक्रो मैनेजमेंट में जुट गए हैं।

महागठबंधन में सीट शेयरिंग पर माथापच्ची

महागठबंधन में सीटों पर पेंच फसता हुआ दिख रहा है। कांग्रेस ने 70 सीटों की डिमांड रखी है। विकासशील इंसान पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी 60 सीटों पर अपना दावा ठोक रहे हैं। वाम मोर्चा ने हर जिले में एक सीट की डिमांड रखी है। ऐसे में तेजस्वी यादव के सामने सबसे बड़ी चुनौती सहयोगी दलों की महत्वाकांक्षाओं को संतुलित करना होगा।

[ad_1]

Source link

RATE NOW

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here