टाटा ग्रुप ने गुजरात में लिथियम-ऑयन बैटरी बनाने के लिए तकरीबन 13000 करोड़ रुपए के निवेश से एक मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाने का फैसला किया है। बता दें कि टाटा ग्रुप की सहायक कंपनी Tata Agaratas Energy Storage Solutions Pvt. ने शुक्रवार को गुजरात सरकार के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। रिपोर्ट के मुताबिक इस लिथियम-ऑयन बैटरी प्लांट की उत्पादन क्षमता 20 गीगावॉट की होगी।
बता दें कि, गुजरात सरकार के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल की उपस्थिति में टाटा ग्रुप की सहायक कंपनी अगरतस एनर्जी स्टोरेज सॉल्यूशन के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। इस मैन्युफैक्चरिंग प्लांट का एक मात्र उद्देश्य देश में लिथियम-ऑयन बैटरी की बढ़ती डिमांड को पूरा करना है। टाटा ग्रुप ने गुजरात में लिथियम-आयन बैटरी प्लांट लगाने की घोषणा ठीक ऐसे समय में की है, जब भारत सरकार पूरे देश में इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने के लिए जोर दे रही है।
गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने यह उम्मीद जताई है कि टाटा ग्रुप द्वारा गुजरात में लिथियम-आयन बैटरी प्लांट लगाने से राज्य में बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा होंगे। साथ ही उन्होंने यह भी उम्मीद जताई है कि 13000 करोड़ के इस बड़े प्रोजेक्ट के जरिए राज्य में लिथियम-आयन बैटरी बनाने के इकोसिस्टम को तैयार करने में मदद करेगा।
मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने गुजराती में ट्वीट किया है- “गुजरात में देश की पहली लिथियम-आयन बैटरी प्लांट स्थापित करने के लिए राज्य सरकार और टाटा ग्रुप के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। ये समझौते राज्य की नई इलेक्ट्रानिक्स पॉलिसी का नतीजा है। समझौते के पहले चरण में 13000 करोड़ रूपए के निवेश से 20 गीगावॉट का प्लांट स्थापित किया जाएगा। इस योजना से राज्य में बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा होंगे”।
उन्होंने आगे कहा कि गुजरात सरकार अपने राज्य में इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन को प्रोत्साहित करके कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। अधिकांश लोगों के बीच इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल से लिथियम-आयन बैटरी की डिमांड भी काफी बढ़ जाएगी। गुजरात सरकार और टाटा ग्रुप का यह प्रोजेक्ट राज्य में लिथियम-आयन सेल अथवा बैटरी बनाने के इकोसिस्टम को तैयार करने में मदद करेगा।
गुजरात सरकार के एक दस्तावेज के अनुसार, इस प्रोजेक्ट के जरिए 13,000 से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार मिलने की पूरी संभावना है। जानकारी के लिए बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2070 तक दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश भारत को कार्बन शून्य बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। लेकिन यह सच है कि इलेक्ट्रिक परिवहन को अपनाने में भारत अभी चीन और अमेरिका जैसे देशों से बहुत पीछे है।
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