क्या यूपीएससी द्वारा लिया गया यह निर्णय student के लिए सही रहेगा ?

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क्या यूपीएससी का बदलाव है student के लिए जरूरी ?

किसी भी परीक्षा में चयन प्रक्रिया को छह महीनों के भीतर ही पूरा कर लिया जाना चाहिए क्योंकि इससे ज्यादा लंबी चलने वाली प्रक्रिया न सिर्फ student का कीमती समय वक्त उम्र बर्बाद करती है बल्कि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा प्रभाव डालती है इस कमेटी का मानना है और इसका नाम है पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमिटी ऑन पर्सनल पब्लिक रेडियंस लॉ एंड जस्टिस

यूपीएससी की कमिश्नर डॉक्टर मनोज सोनी ने अभी हाल ही में अगस्त 2023 को इस विषय पर विशेष टिप्पणी देते हुए यह कहा कि यूपीएससी के एग्जाम में कुछ परिवर्तन लाना आवश्यक है।

पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमिटी ऑन पर्सनल पब्लिक रेडियंस लॉ एंड जस्टिस ने कार्मिक लोक शिकायत कानून और न्याय विभाग की संसदीय कमेटी पर जोर दिया। इतना ही नहीं इस संसदीय कमेटी ने यूपीएससी से कई कारण जानने के लिए कहा कि उनके द्वारा कराए जा रहे एक्जाम फॉर्म भरने के बाद student भारी मात्रा में परीक्षा छोड़ देते हैं। इस संबंध में कमेटी ने कहा कि 2022 में यूपीएससी द्वारा आयोजित किए गए सभी एग्जाम में कुल 32,39,000 छात्रों ने फॉर्म भरे जिसमे मात्र 1682000 छात्रों ने परीक्षा दी। उदाहरण के तौर पर समिति द्वारा जारी किए गए डाटा के मुताबिक 2022 के सिविल सेवा परीक्षा में 11,35,000 छात्रों ने फॉर्म भरे लेकिन मात्र 5,73,000 छात्र परीक्षा में क्यों बैठे जोकि सम्पूर्ण छात्रों का लगभग 50% ही है।

इस संदर्भ में यदि हम स्वयं के दृष्टिकोण को रखें तो ऐसा कहा जाता है कि परिवर्तनी प्रकृति का नियम है जिसके परिणाम स्वरुप हर चीजों में परिवर्तन होना आवश्यक है परंतु नियमित रूप से और नियमित समय से।

अभी हाल ही में यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन ने सिविल सर्विस परीक्षा के आवेदन के तरीके में बदलाव किया है. इसके तहत अब कैंडिडेट्स एक बार एप्लीकेशन भरने के बाद उसे विदड्रॉ नहीं कर सकते। जबकि पहले उनके पास ये सुविधा थी कि वे एक बार आवेदन करने के बाद चाहें तो एप्लीकेशन विदड्रॉ कर लें लेकिन यूपीएससी ने अब इस नियम को बदल दिया है। अब आवेदन जमा होने के बाद वापस नहीं लिए जा सकते। 

इस डाटा के अनुसार यूपीएससी द्वारा आयोजित परीक्षा में लगने वाला औसत समय 15 महीने का है तेरी नोटिफिकेशन जारी होने से लेकर फाइनल रिजल्ट 15 महीने लग जाते हैं जिस पर कमेटी ने चिंता व्यक्त की है और कहा है कि इस परीक्षा में 6 महीने से ज्यादा समय नहीं लगना चाहिए। इसी क्रम में कमेटी ने यूपीएससी को एक्सपर्ट पैनल बनाकर या जांचने के लिए भी जोर दिया कि उन बच्चों को भी समान प्रकार की उपलब्धियां और अवसर प्राप्त हो पा रहे हैं कि नहीं जो शहर के बच्चों के अपेक्षा गांव में रहते

एक विषय पर और प्रकाश डालते हुए कमेटी ने कहा कि यूपीएससी द्वारा आयोजित की जा रही परीक्षाओं में प्रीलिम्स की आंसर की संपूर्ण परीक्षा के पूरी हो जाने के बाद निकाली जाती है, किसकी परिणाम स्वरूप बच्चे अपनी उत्तर पुस्तिका को स्वयं से चेक कर उस पर ऑब्जेक्शन नहीं कर पाते हैं।

किसी भी परीक्षा में चयन प्रक्रिया को छह महीनों के भीतर ही पूरा कर लिया जाना चाहिए क्योंकि इससे ज्यादा लंबी चलने वाली प्रक्रिया न सिर्फ छात्रों का कीमती समय वक्त उम्र बर्बाद करती है बल्कि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा प्रभाव डालती है इस कमेटी का मानना है और इसका नाम है पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमिटी ऑन पर्सनल पब्लिक रेडियंस लॉ एंड जस्टिस

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