कम बैठकों से विधानमंडल संवैधानिक दायित्वों को पूरा करने में हो रहे विफल: बिरला

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बिरला ने यह बातें पटना में बिहार विधानमंडल परिसर में 85 वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन (एआईपीओसी) का उद्घाटन करने के बाद कही। उन्होंने कहा कि पीठासीन अधिकारियों को सदनों में अच्छी परंपराएं और परिपाटियां स्थापित कर लोकतांत्रिक संस्थाओं को मजबूत बनाना चाहिए। बिरला ने कहा कि सहमति और असहमति के बीच सदनों में अनुकूल वातावरण में काम होना चाहिए ताकि कार्योत्पादकता अधिक हो। बेहतर जवाबदेही और पारदर्शिता के लिए सदनों और समितियों की दक्षता में सुधार जरूरी है। हमारी संसदीय समितियों की कार्यकुशलता बढ़ाने के लिए सभी विधानमंडलों की समितियों के बीच संवाद होना चाहिए। समितियों का कार्य वास्तविक तथ्यों पर आधारित होना चाहिए, जिससे जनता के धन का उपयोग बेहतर ढंग से हो सकेगा। इस अवसर पर राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, बिहार विधानसभा के अध्यक्ष नंद किशोर यादव, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने विचार रखे। बिरला के साथ ओएसडी राजीव दत्ता भी रहे।

2025 के अंत तक एक राष्ट्र, एक विधायी मंच का कार्य होगा पूरा

बिरला ने पीठासीन अधिकारियों से विधानमंडलों के कामकाज में प्रौद्योगिकी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और सोशल मीडिया के उपयोग को बढ़ावा देने का आग्रह किया। संसद और राज्य विधानमंडलों को जनता के लिए अधिक सुलभ बनाना समय की मांग है। उन्होंने सुझाव दिया कि तकनीकी नवाचारों के माध्यम से विधायी कार्यों की जानकारी आम जनता को उपलब्ध कराई जा सकती है। एआई आधारित साधनों से संसदीय और विधायी कार्यवाही में पारदर्शिता और प्रभावशीलता बढ़ाई जा सकती है। बिरला ने कहा कि भारत की संसद ने इस प्रक्रिया की शुरुआत पहले से ही कर रखी है जिसके सकारात्मक परिणाम मिल रहे हैं। 2025 के अंत तक ‘एक राष्ट्र, एक विधायी मंच’ का कार्य पूरा हो जाएगा। इस पर बिरला ने ‘संसदीय पद्धति एवं प्रक्रिया’ के अंग्रेजी और हिंदी संस्करण का विमोचन किया। लोक सभा के महासचिव उत्पल कुमार सिंह के संपादित यह संस्करण भारतीय संसद के कामकाज और संचालन को समझने के लिए महत्वपूर्ण संसाधन है।

राज्य विधानसभाओं की स्वायत्तता संघीय ढांचे का आधार

बिरला ने कहा कि राज्य विधानसभाओं की स्वायत्तता हमारे संघीय ढांचे का आधार है। यह शक्ति तभी सार्थक होगी जब राज्य विधानमंडल निष्पक्षता और सत्यनिष्ठा के साथ अपना कार्य करें। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय हित के मुद्दों पर केंद्र और राज्यों दोनों को ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना के साथ मिलकर काम करना चाहिए।



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