भागलपुर. भागलपुर जिले को कुपोषण मुक्त करने के लिए जिलाधिकारी नवल चौधरी के द्वारा बेहतरीन पहल की गई है. जिसके कारण अब भागलपुर में महज 200 के करीब कुपोषित बच्चे बचे हुए हैं. जिसका इलाज चल रहा है. आपको बता दें कि राष्ट्रीय पोषण संस्थान की रिपोर्ट के अनुसार 14 प्रतिशत लोग कुपोषित हैं. कुपोषण बाल मृत्यु दर के प्रमुख कारणों में से एक है, लेकिन जिलाधिकारी ने कुपोषण से लड़ाई लड़ने का संकल्प लिया. इसका नाम मिशन 45 रखा गया. इसके तहत उन्होंने करीब 11 हजार कुपोषित बच्चों को चिन्हित किया.
जिलाधिकारी नवल चौधरी ने बताया कि हम एक दिन सदर अस्पताल विजिट में गए थे, वहां पर कुपोषित बच्चे मिले व उनके परिजन मिले तभी उनके परिजन ने बताया कि सर हम लोग गरीब हैं हम अपने बच्चे का इलाज नहीं करा पाएंगे. तभी उन्होंने कहा कि आपको इलाज में पैसे की जरूरत भी नहीं है. उन्होंने टीम का गठन कर और सर्वे कराना शुरू किया, इसमें पता चला कि 10 हजार से अधिक बच्चे कुपोषित हैं. तभी उन्होंने 45 दिन का कैंप शुरू किया और एक प्लान बनाकर काम करना शुरू किया, इसका परिणाम हुआ कि मात्र 200 के करीब अब कुपोषित बच्चे बचे हुए हैं और उनका इलाज जारी है. इसमें कुछ बच्चों को अधिकारियों ने भी गोद लिया और उसका पूरा देखभाल व खर्च उनके जिम्मे रहा है. अभी लगभग बच्चे कुपोषित हो गए हैं.
पहले भी अपने काम की वजह से चर्चा में आ चुके हैं
आपको बता दें कि जिलाधिकारी नवल चौधरी अपने कार्यों के कारण पहले भी चर्चा में रहे हैं. पहले गोपालगंज में बच्चों में शिक्षा की अलख जगाए जिसके कारण उन्हें अवार्ड भी मिला हुआ है. उसके बाद उन्होंने भागलपुर में ट्रैफिक में पहल की जिसको पूरे बिहार में अपनाया गया. उन्होंने कोडिंग मॉडल लाया जिसके बाद चर्चा में आए और अब कुपोषण को खत्म करने के लिए पहल की. इसमें उन्हें सफलता भी मिली.
FIRST PUBLISHED : December 28, 2024, 19:52 IST