लाइव साइंस की रिपोर्ट के मुताबिक जर्मनी के मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक हांस बोहरिंगर और उनकी टीम ने ‘क्लासिक्स क्लस्टर सर्वे’ का इस्तेमाल कर यह खोज की। टीम ने एक्स-रे गैलेक्सी क्लस्टर्स के जरिए क्वीपू समेत चार सुपर स्ट्रक्चर की पहचान की। गैलेक्सी क्लस्टर्स में सैकड़ों गैलेक्सियां होती हैं। उनकी गर्म गैस एक्स-रे का उत्सर्जन करती हैं। इन्हीं एक्स-रे के सहारे वैज्ञानिकों ने सबसे घने इलाकों की खोज की। इस तकनीक के जरिए वैज्ञानिकों को पता चला कि क्वीपू लंबा फिलामेंट है। इसमें कई और फिलामेंट जुड़े हुए हैं।
बंट सकते हैं छोटे-छोटे क्लस्टर्स में वैज्ञानिकों के मुताबिक क्वीपू जैसे सुपरस्ट्रक्चर हमारे ब्रह्मांड की घटनाओं और कॉस्मोलॉजिकल मॉडल्स को काफी प्रभावित करते हैं। लैम्डा-सीडीएम मॉडल पर आधारित सिमुलेशन क्वीपू जैसे सुपरस्ट्रक्चर की उत्पत्ति कर सकता है। लैम्डा-सीडीएम ब्रह्मांड की संरचना को समझाने वाला प्रमुख मॉडल है। वैज्ञानिकों का मानना है कि क्वीपू जैसे सुपरस्ट्रक्चर भविष्य में छोटे-छोटे क्लस्टर्स में विभाजित हो सकते हैं।
ब्रह्मांड को चुनौती में सक्षम सुपरस्ट्रक्चर अपने अंदर गैलेक्सी कल्सर्टस और सुपरक्लस्टर्स को समाहित रखते हैं। इनका आकार और वजन इतना ज्यादा होता है कि ब्रह्मांड की संरचना को चुनौती दे सकते हैं। कुछ सुपरस्ट्रक्चर कॉस्मोलॉजिकल मॉडल्स को तोडऩे में सक्षम होते हैं। सुपरस्ट्रक्चर पूरे ब्रह्मांड का 13 फीसदी वॉल्यूम कवर करते हैं।
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