आंखों के टेस्ट से शुरुआत में ही पता चल जाएगा डिमेंशिया का

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दिमाग की सेहत का पता देती हैं आंखें शोध की अगुवाई करने वाले प्रोफेसर बलजीत ढिल्लों का कहना है कि आंखें दिमाग की सेहत के बारे में बहुत कुछ बता सकती हैं। शोध के आधार पर ऐसा डिवाइस विकसित करने पर काम चल रहा है, जिसे आंखों के डॉक्टर नियमित जांच में शामिल कर सकें। इससे डिमेंशिया का समय पर पता लगाना आसान होगा। शुरुआती चरण में डेमेंशिया का पता चलने पर बीमारी को बढऩे से रोका जा सकता है।

भारत में 88 लाख बुजुर्ग चपेट में डिमेंशिया के मामले दुनियाभर में बढ़ रहे हैं। भारत में 60 साल से ऊपर के करीब 88 लाख लोग इस बीमारी से पीडि़त हैं। अमेरिकन ऑप्टोमेट्रिक एसोसिएशन का सुझाव है कि 18 से 64 साल की उम्र के वयस्कों को हर दो साल में आंखों की जांच करानी चाहिए, जबकि 65 साल से ज्यादा उम्र वालों के लिए हर साल जांच जरूरी है।

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