भारत की इस राजकुमारी के स्वदेश लौटने पर डरी रहती थी ब्रिटीश सरकार, जानिए क्यों?

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हम आपको भारत की ऐसी राजकुमारी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं। जी हां, सिख साम्राज्य के अन्तिम शासक दलीप सिंह की पहली पत्नी बंबा मुलर से जन्मी सोफिया दलीप सिंह ने महिलाओं को वोट देने के अधिकार के लिए विरोध-प्रदर्शन किया था।  अपने जीवनकाल में सोफिया दलीप सिंह तीन बार भारत आई थीं, लेकिन तीनों ही बार ब्रिटीश सरकार उन पर अपनी पैनी नजर बनाए हुए थी। ब्रिटीश सरकार को इस बात का डर था दलीप सिंह की बेटी के भारत जाने से विद्रोह भड़क सकता है।

आपको याद दिला दें कि पंजाब पर अंग्रेजी सरकार के कब्जा करने के बाद महाराजा रणजीत सिंह के सबसे छोटे पुत्र दलीप सिंह को भारत से इंग्लैंड निर्वासित कर दिया गया और एक दंडात्मक संधि के तहत उन्हें कोहिनूर हीरा भी अंग्रेजों को देना पड़ा था। दलीप सिंह ने पंजाब में अपने शासनाधिकार को प्राप्त करने का दोबारा प्रयास किया था लेकिन उन्हें 1886 में फ्रांस में निर्वासित कर दिया गया था और उनका परिवार कर्ज़ में डूब गया था। हांलाकि महारा​नी विक्टोरिया के परिवार से घनिष्ठ संबंधों के कारण उन्हें ब्रिटीश सरकार से एक घर और सालाना भत्ता मिलता रहा।

इस स्टोरी में हम आपको भारत की ऐसी राजकुमारी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं। जी हां, सिख साम्राज्य के अन्तिम शासक दलीप सिंह की पहली पत्नी बंबा मुलर से जन्मी सोफिया दलीप सिंह ने महिलाओं को वोट देने के अधिकार के लिए विरोध-प्रदर्शन किया था।

बता दें कि अपने जीवनकाल में सोफिया दलीप सिंह तीन बार भारत आई थीं, लेकिन तीनों ही बार ब्रिटीश सरकार उन पर अपनी पैनी नजर बनाए हुए थी। ब्रिटीश सरकार को इस बात का डर था दलीप सिंह की बेटी के भारत जाने से विद्रोह भड़क सकता है। 

सोफिया दलीप सिंह ने साल 1906-07 में गोपाल कृष्ण गोखले और लाला लाजपत राय से मुलाकात की थी। इतना ही नहीं साल 1907 में सोफिया ने भारत में 6 महीने बिताए थे और भारत में व्याप्त राजनीतिक अशांति को बिल्कुल करीब से देखा था। वर्ष 1908 में सोफिया दलीप सिंह ने ब्रिटेन में महिलाओं के मताधिकार के लिए आवाज उठाने वाले संगठन डब्ल्यूएसपीयू में सक्रिय भागीदारी की तथा महिलाओं के टैक्स विरोधी लीग में भी शिरकत की थी। इस टैक्स विरोधी लीग का नारा था- “नो वोट, नो टैक्स।”

सोफिया दलीप सिंह साल 1911 में ब्रिटीश प्रधानमंत्री के कार के आगे एक बैनर लेकर खड़ी हो गई थीं, जिस पर लिखा था- महिलाओं को वोट का अधिकार दो। सोफिया दलीप सिंह को ब्रिटीश सरकार ने कई बार गिरफ्तार किया लेकिन अन्य प्रदर्शनकारियों के मुकाबले उन्हें हमेशा आरोपमुक्त कर दिया जाता था।

आखिरकार वह दिन आ ही गया जब सन 1918 में ब्रिटिश संसद ने 30 साल से अधिक उम्र की महिलाओं को संपत्ति से जुड़ी कुछ योग्यताएं पूरी करने पर वोट देने का अधिकार दिया। साल 1919 में सोफिया दलीप सिंह भारत की राजनीतिक कार्यकर्ताओं सरोजिनी नायडू और एनी बेसेंट के साथ लंदन में भारत के दफ़्तर भी गई थीं।

प्रथम विश्व युद्ध के दौरान सोफिया दलीप सिंह ने ब्रिटेन में घायल भारतीय सैनिकों के लिए धन जुटाने का भी काम किया था। साल 1924 में सोफिया दलीप सिंह एक बार फिर से भारत आईं थीं, इस बार उन्होंने पूरे पंजाब का दौरा किया था। सोफिया दलीप सिंह जब पंजाब की यात्रा कर रही थीं तब उन्हें देखने के लिए भारी भीड़ उमड़ पड़ी थी, कुछ लोग रोते हुए नारे लगाने लगे-“हमारी राजकुमारियाँ आईं हैं!”  सोफिया दलीप सिंह ने जलियांवाला बाग भी देखा। सोफिया दलीप सिंह का निधन 22 अगस्त 1948 को हुआ।

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