Welcome to AirrNews

Subscribe to AirrNews

Forever

/ forever

Sign up with just an email address and you get access to this tier instantly.

Recommended

Forever

Free

/ forever

Sign up with just an email address and you get access to exclusive news and articles forever.

1-Month

/ month

By agreeing to this tier, you are billed every month after the first one until you opt out of the monthly subscription.

Subscribe to AirrNews

Forever

/ forever

Sign up with just an email address and you get access to this tier instantly.

Recommended

Forever

Free

/ forever

Sign up with just an email address and you get access to exclusive news and articles forever.

1-Month

/ month

By agreeing to this tier, you are billed every month after the first one until you opt out of the monthly subscription.

Welcome to AirrNews

Welcome to AirrNews

Welcome to AirrNews

Welcome to AirrNews

ट्रेन हादसे को रोकने के लिए कौन-सी तकनीक इस्तेमाल करते हैं चीन और जापान?

HomeBlogट्रेन हादसे को रोकने के लिए कौन-सी तकनीक इस्तेमाल करते हैं चीन...

Become a member

Get the best offers and updates relating to Liberty Case News.

― Advertisement ―

spot_img

भारत में रेल नेटवर्क का पूरा जाल बिछा हुआ है जिसके सहारे हर रोज करोड़ो यात्री अपना सफर पूरा करते हैं…लेकिन हाल ही में ओडिशा के बालासोर में हुए भयानक ट्रेन हादसे के बाद भारतीय रेलवे के सुरक्षा तंत्र पर एक बार फिर सवाल उठ रहे हैं…सवाल उठ रहा है कि भारतीय रेलवे के कौन से तकनीकी मापदंड हैं जो ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने की दिशा में काम करते हैं?  सवाल ये भी उठ रहा है कि आखिर चीन और जापान जैसे देश कौन सी तकनीक का इस्तेमाल करते हैं, जहां 600 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेनें दौड़ रही हैं और वो भी सुरक्षित तरीके से…आज हम अपने इस वीडियो में बताएंगे कि रेल यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए विदेशों में कौन सी तकनीकि का इस्तेमाल किया जाता है…

जापानी शिंकान्सेन टेक्नोलॉजी संचालन के 55 साल से भी ज्यादा समय में अपनी प्रभावशाली सुरक्षा के लिए जानी जाती है…इसमें तकनीकी विफलता  के कारण कोई भी ट्रेन दुर्घटना नहीं होती है…सिग्नलिंग और पटरियां बदलने के लिए इलैक्ट्रॉनिक इंटरलाकिंग प्रणाली होती है और एक ही पटरी पर 2 गाडिय़ों के आ जाने पर यह प्रणाली सभी को अलर्ट कर देती है…जापान में रेलगाड़ी रोकने की आटोमैटिक तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है…जिससे रेलगाडिय़ों की गति नियंत्रित की जाती है और इमरजैंसी में अपने आप ब्रेक लग जाते हैं…यह प्रणाली खतरे की स्थिति में सिग्नल पार कर जाने पर गाड़ी को अपने आप रोक देती है…

बात पड़ोसी देश चीन की…चीन के पास हाई स्पीड रेल यानि HSR का दुनिया का सबसे विशाल बेड़ा है…इसके HSR नेटवर्क में 22,000 किलोमीटर के कुल माइलेज के साथ 86 HSR लाइनें शामिल हैं…संचालन में हाई-स्पीड ईएमयू यानि इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट्स के 2,846 सेट हैं…जब चीन के इस नेटवर्क के बुनियादी ढांचे की सुरक्षा की बात आती है तो चीन एक ऐसी सुरक्षा तकनीक का उपयोग करता है जो एक्टिव और पैंसिव तकनीकों पर आधारित है जिसमें वायुगतिकीय लिफ्ट जैसे तंत्र शामिल हैं…इसमें एडवांस एंटी-स्किड कंट्रोल टेक्नोलॉजी, इलेक्ट्रो-न्यूमेटिक कंट्रोल ब्रेक हैं जो ट्रेन को पटरी से उतरने की संभावना को कम करने के लिए काम करते हैं… 

यूरोपीय देशों का रेलवे सिस्टम यूरोपीय रेलवे परिवहन प्रबंधन प्रणाली यानि ERMTS के रूप में जाना जाता है जो उत्तम सिग्नलिंग तकनीक का उपयोग करता है जिसमें यूरोपीय ट्रेन नियंत्रण प्रणाली यानि ETCS का इस्तेमाल किया जाता है…ये सिस्टम हाई-स्पीड रेलवे को मजबूत बनाता है…पारंपरिक तकनीकि से उलट जर्मन ट्रेन लाइन में LZB ट्रेन नियंत्रण प्रणाली का प्रयोग किया जाता है जो कंप्यूटरों में प्रदर्शित जानकारी के मुताबिक चलते हैं…

इसमें हर 100 मीटर पर ट्रैक कंडक्टर केबल के जरिए जुड़े होते हैं और इन क्रॉसिंग पॉइंट्स से कनेक्टेड सिग्नल बॉक्स तक डेटा पास किया जाता है…स्टेशन मास्टर सिर्फ 100 मीटर के दायरे में ट्रेन की लोकेशन को निर्धारित कर सकते हैं…वहीं तीन LZB कंप्यूटर सिग्नल बॉक्स के समानांतर काम करते हैं जो डेटा को ट्रैक पर फीड करते हैं और उससे डेटा प्राप्त करते हैं…कमांड पास करने से पहले कम से कम दो-तीन कंप्यूटरों पर एक ही रिजल्ट होना चाहिए…यह तकनीक ट्रेन चालक को कई किलोमीटर तक का रूट देखने में मदद करती है जिससे रेल यात्रा ज्यादा सुरक्षित होती है…

#trainaccident #traintravel #safety

SUBSCRIBE TO OUR NEWSLETTER.

Never miss out on the latest news.

We don’t spam! Read our privacy policy for more info.

RATE NOW
wpChatIcon
wpChatIcon
What would make this website better?

0 / 400