सनातन धर्म के अनुसार, जम्मू कश्मीर के बिल्लावर में मौजूद 5000 साल पुराने इस शिव मंदिर का निर्माण सर्वश्रेष्ठ धुर्नधर अर्जुन के पुत्र बभ्रुवाहन ने करवाया था। प्राचीन काल में इस स्थान का नाम बेलापुर अथवा बिल्लापुर था, जो कालान्तर में परिवर्तित होकर बिल्लावर हो गया। नागर शैली में निर्मित पश्चिमदिशा की ओर एक ऊँचे चबूतरे पर स्थित यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।
आपको जानकारी के लिए बता दें कि यह शिव मंदिर अपनी स्थापत्य कला, मूर्तिकला और सजावट को लेकर उल्लेखनीय है। निर्माण योजना की दृष्टि में इस शिव मंदिर में गर्भगृह, मंडप और शिखर मौजूद है। मंदिर की दीवारों के नीचे और ऊपरी हिस्से में सादी सजावटी पट्टियां हैं। केन्द्रीय रथों पर पार्श्व देवताओं की मूर्तियों की आकृतियां हैं और तथा कोने और किनारों पर स्थित रथों के तिकोने अग्रभाग पर दिक्पाल और गुलाब की आकृतियां हैं। गोलरेखीय शिखर दस भूमियों पर बना है और इसके केन्द्रीय रथ पर चैत्य वातायन के सजावट की डिजाइन है।
इस अद्भुत शिवमंदिर की छत लालटेन की आकृति सी है। वर्तमान में मंडप के चार स्तम्भों और बाहर भितस्तम्भों के चौकोर आधारमात्र ही बचे हैं। पश्चिमोन्मुखी सामने के भाग में एक ड्योढ़ी है सीढ़ियां अनावृत्त की गई हैं जो पहले सड़क से ढक गईं थी। मंदिर के गर्भगृह में शिवलिंग के अलावा बेहतरीन कलाकारी वाले काले पत्थर की अनेक मूर्तियां विराजमान हैं। पुरात्व सर्वेक्षण विभाग के मुताबिक यह प्राचीन मंदिर 10-11वीं शताब्दी का माना जा सकता है।
#Jammu #oldShivatemple #Billawar #Billawarshivtemple #Arjuna’ssonBabruvahana #Babruvahana