After Turkey, Morocco, why does the risk of earthquake increase? Know how the prediction made during lockdown could have saved the world

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तुर्की के बाद मोरक्को, क्यों बढ़ा Earthquake का खतरा? जानें कैसे lockdown में हुई भविष्यवाणी बचा सकती थी दुनिया

Earthquake से मोरक्को ऐसा तबाह हुआ कि तस्वीरें देख कलेजा मुंह को आ गया…6.8 तीव्रता के इस Earthquake से मोरक्को को भारी नुकसान हुआ…सरकार की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक अब तक 3 हज़ार से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है…घायलों का अभी भी अस्पताल में इलाज चल रहा है…मोरक्को के आपदा मंत्रालय के मुताबिक सबसे ज्यादा नुकसान शहरों और कस्बों के बाहर हुआ…

आपको जानकर हैरानी होगी कि मोरक्को में हर दिन एक Earthquake आता है और उससे भी दिलचस्प बात ये है कि मोरक्को के वैज्ञानिकों ने कोरोना काल में lockdown के समय ही भूकंप की भविष्यवाणी का अध्ययन कर लिया था…23 जुलाई को दुनिया भर के 70 से अधिक वैज्ञानिकों ने अकादमिक जर्नल साइंस में एक आर्टिकल प्रकाशित किया…इसमें साफ कहा गया था कि वैश्विक लॉकडाउन के समय दुनिया थोड़ी शांत हो गई थी…Earthquake वैज्ञानिकों और पृथ्वी की गतिविधियों का अध्ययन करने वाले दूसरे वैज्ञानिकों के लिए ये बहुत खास समय था…क्योंकि हम सभी जानते हैं कि लॉकडाउन से समय घर के बाहर या दफ्तरों और फैक्ट्रियों में होने वाली सभी गतिविधियां बंद कर दी गई थीं…ऐसे में वैज्ञानिक छोटे-छोटे झटकों और कंपकंपी को सुन सकते थे…जिसके बाद पूरा डाटा तैयार किया गया…जो भविष्य में आने वाले भूकंपों का पता लगाने में काम आए…साथ ही ये नया तरीका हजारों लोगों की जान भी बचा सकता है…यानि लॉकडाउन भूकंप वैज्ञानिकों के लिए अध्ययन का ऐसा समय था जो दोबारा नहीं आ सकता…

DW की खबर के अनुसार भूकंप की भविष्यवाणी मुमकिन हो सकती है…वैज्ञानिकों ने 7 से ज्यादा तीव्रता वाले 90 भूकंपों पर रिसर्च की है…जिसमें 3,026 सैटेलाइटों के माध्यम से वैज्ञानिकों ने उन संकेतों का पता लगाया था जो भूकंप से पहले उभरते हैं…ये Earthquake के पूर्वानुमान में अहम साबित हो सकते हैं…इनके माध्यम से फिलहाल पूरे विश्व में Earthquake के पूर्वानुमान पर रिसर्च जारी है…

धरती के अंदर कुल सात प्लेट्स हैं…जो हमेशा कार्य करती रहती हैं…जहां ये प्लेट्स टकराती हैं उन्हें फॉल्ट जोन कहा जाता है. जब ये प्लेट्स टकराती हैं तो ऊर्जा बाहर निकलने की कोशिश करती है…इससे जो हलचल होती है वही Earthquake बन जाती है…Earthquake का केंद्र सतह से जितना नजदीक होता है, तबाही उतनी ही बड़ी होती है. ..

एटलस के पहाड़ उत्तर पश्चिम में मोरक्को, अल्जीरिया और ट्यूनिशिया तक फैले हुए हैं…दक्षिण में यह यूरेशिया और अफ्रीका की टेक्नोनिक प्लेट की सीमा को भी छूते हैं…टेक्नोटिक प्लेटों के खिसकने से पैदा हुई ऊर्जा ही भूकंप की वजह बनती है…वैज्ञानिकों ने बताया कि अब एटलस के पहाड़ लगातार बढ़ रहे हैं…इसका मतलब ये है कि जमीन के भीतर कुछ बड़ा बदलाव हो रहा है जिसकी तस्वीर बाहर भी दिखाई दे रही है…पृथ्वी की ऊपरी सतह में दरारें भी आई हैं…इससे साफ संकेत हैं कि धरती के बीच जरूर कुछ हुआ है…हालांकि वैज्ञानिकों ने ये भी हैरानी जताई है कि ये गतिविधियां लगातार पृथ्वी के अंदर हो रही हैं…इसकी तुलना में भूकंप कम आए हैं…

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