दुनिया का सबसे बड़ा संगीत का पुरस्कार, ग्रैमी, इस बार भारत के लिए खास रहा। भारतीय संगीत के प्रतिनिधित्व करने वाले फ्यूजन म्यूजिक ग्रुप ‘शक्ति’ ने ‘बेस्ट ग्लोबल म्यूजिक’ का Grammy Award जीता। इस ग्रुप में उस्ताद ज़ाकिर हुसैन, राकेश चौरसिया, शंकर महादेवन, सेल्वागणेश वी और गणेश राजगोपालन शामिल हैं। इन्होंने अपने एल्बम ‘दिस मोमेंट’ के लिए यह खिताब हासिल किया।
इस बड़ी उपलब्धि पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने इन संगीतकारों को दिल से बधाई दी। उन्होंने कहा कि इनकी असाधारण प्रतिभा और संगीत के प्रति समर्पण ने पूरी दुनिया में दिल जीते हैं, और भारत को गर्व का अनुभव कराया है।
प्रधानमंत्री ने एक्स पर एक पोस्ट लिखकर इन्हें बधाई दी। उन्होंने लिखा:
“ग्रैमी पुरस्कार में शानदार सफलता पाने पर ज़ाकिर हुसैन, राकेश चौरसिया, शंकर महादेवन, सेल्वागणेश वी और गणेश राजगोपालन को बहुत-बहुत बधाई! आपकी अद्भुत प्रतिभा और संगीत के प्रति निष्ठा ने पूरी दुनिया के दिलों को छू लिया है। भारत आप पर गर्व करता है! ये उपलब्धियां आपके कठिन परिश्रम का परिणाम हैं। ये नए पीढ़ी के कलाकारों को बड़े सपने देखने और संगीत में उत्कृष्टता हासिल करने के लिए प्रेरित करेंगी।”
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‘शक्ति’ ग्रुप का आरम्भ 1975 में हुआ था, जब गिटाररिस्ट जॉन मैकलॉफ और तबला प्लेयर उस्ताद ज़ाकिर हुसैन ने एक साथ संगीत बनाने का फैसला किया। इन दोनों ने भारतीय शास्त्रीय संगीत और जाज़ म्यूजिक का एक अनोखा मिलन किया, जिसे फ्यूजन म्यूजिक कहा जाता है। इनके साथ वायलिन वादक एल् श्रीनिवासन और मृदंगम वादक वी सेल्वागणेश भी शामिल हुए। इस ग्रुप ने अपना पहला एल्बम ‘शक्ति’ 1975 में जारी किया, जिसने दुनिया भर में धूम मचा दी।
इसके बाद इस ग्रुप ने ‘अ हंडफुल ऑफ ब्यूटी’ (1976) और ‘नैचुरल एलीमेंट्स’ (1977) जैसे और भी एल्बम जारी किए, जिनमें भारत, अफ्रीका, यूरोप और अमेरिका जैसी विभिन्न संस्कृतियों और शैलियों का प्रभाव दिखाई पड़ता है। इन एल्बमों ने न केवल संगीत प्रेमियों को मंत्रमुग्ध किया, बल्कि संगीत के विशेषज्ञों और समालोचकों को भी प्रशंसा करने पर मजबूर किया।
‘शक्ति’ का यह सफर 1978 में थोड़ा रुका, जब जॉन मैकलॉफ ने ग्रुप से अलग होने का फैसला किया। उसके बाद उस्ताद ज़ाकिर हुसैन ने अपने अन्य साथियों के साथ अलग-अलग तरीको से म्यूजिकल प्रोग्राम में इसे पेश किया और ‘शक्ति’ के जादू को जिंदा रखा, और 1999 में इस ग्रुप को फिर से नया जीवन मिला जब इसमें नए सदस्य शामिल हुए, जैसे बाँसुरी वादक राकेश चौरसिया, गायक शंकर महादेवन और वायलिन वादक गणेश राजगोपालन। इस ग्रुप ने ‘द रिमेम्बर शक्ति’ (1999), ‘सैक्रेड वर्ल्ड ऑफ शक्ति’ (2000), ‘सैटर्डे नाइट इन बॉम्बे’ (2001) और ‘मां’ (2003) जैसे नए एल्बम जारी किए, जिनमें भारतीय और पश्चिमी संगीत के बीच की गहरी सामंजस्य को दर्शाया गया।
‘दिस मोमेंट’ ग्रुप ‘शक्ति’ का नवीनतम एल्बम है, जो 2023 में जारी हुआ है। इस एल्बम में कुल 10 गाने हैं, जिनमें से हर एक में अपनी एक अलग पहचान है। इस एल्बम के जरिये ग्रुप ने अपने पुराने गानों को नए अंदाज़ में पेश किया है, और कुछ नए रचनाएं भी शामिल की हैं। इस एल्बम में ग्रुप ने भारतीय शास्त्रीय, फोल्क, डेवोशनल, जाज़, रॉक, ब्लूज़ और वर्ल्ड म्यूजिक के तत्वों का समन्वय किया है, जिससे एक अनूठा और आकर्षक संगीत बना है।
आपको बता दे कि ग्रैमी पुरस्कार संगीत के क्षेत्र में सबसे बड़ा और सम्मानित पुरस्कार है, जिसे अमेरिकी रिकॉर्डिंग एकेडमी द्वारा हर साल दिया जाता है। इस पुरस्कार का उद्देश्य संगीत के क्षेत्र में कलाकारों, निर्माताओं, लेखकों और अन्य संबंधित लोगों को उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए सम्मानित करना है। इस पुरस्कार को विभिन्न श्रेणियों में दिया जाता है, जैसे ‘बेस्ट एल्बम’, ‘बेस्ट सॉन्ग’, ‘बेस्ट न्यू आर्टिस्ट’ आदि।
इसी कड़ी में ‘बेस्ट ग्लोबल म्यूजिक’ एक ऐसी श्रेणी है, जिसमें अमेरिका से अलग अन्य देशो के संगीत से जुड़े व्यक्तियों को सम्मानित किया जाता है। इस श्रेणी में विभिन्न देशों, भाषाओं, संस्कृतियों और शैलियों के संगीत को शामिल किया जाता है। इस श्रेणी को पहले ‘बेस्ट वर्ल्ड म्यूजिक’ कहा जाता था, लेकिन 2020 में इसका नाम बदलकर ‘बेस्ट ग्लोबल म्यूजिक’ कर दिया गया, ताकि इसमें अधिक समावेशी और सम्मानजनक भाषा का उपयोग किया जाए।
वैसे हम भारतीयों के लिए , ग्रुप ‘शक्ति’ को ग्रैमी पुरस्कार मिलना एक बड़ी उपलब्धि है, जो उनके संगीत की गुणवत्ता, विविधता और लोकप्रियता को दर्शाता है। इससे न केवल ग्रुप को, बल्कि भारतीय संगीत को भी एक वैश्विक मंच मिला है, जहाँ उनके संगीत का सम्मान और सराहना की जाती है। इससे भारत का नाम रोशन हुआ है, और भारतीय संगीत के प्रति लोगों की रुचि और जिज्ञासा बढ़ी है।
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