The Story behind Dr. Vergis Kurian’s Amul Girl Idea | Explained!

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डॉ. वर्गीज कुरियन को आखिर कैसे आया अमूल गर्ल का आइडिया?

डॉ. वर्गीज कुरियन एक ऐसा फेमस नाम है, जिनके चलते भारत पूरी दुनिया में सर्वाधिक दुग्ध उत्पादक देश बन पाया। आज की तारीख में नेशनल डेयरी और अमूल ब्रांड भारत के हर शहर और गांव में छाए हुए हैं, यह उप​लब्धि भी डॉ. वर्गीज की ही देन है। 

आखिर कब पैदा हुई ‘अमूल गर्ल’

बात यदि अमूल ब्रांड की हो रही है तो फिर इसकी पॉपुलर ‘अमूल गर्ल’ को भला हम कैसे छोड़ सकते हैं। आपको यह बात जानकर हैरानी होगी कि ‘अमूल गर्ल’ कोई नया नहीं बल्कि बहुत ही पुराना चेहरा है। अमूल गर्ल अपने 57 साल पूरे कर चुकी है, यह इतनी ज्यादा फेमस है कि भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी इसका अपना अलग क्रेज है।

साल 1966 में अमूल बटर के सफलतापूर्वक 10 साल पूरा होने के बाद उसे टक्कर देने के लिए मार्केट में डेयरी प्रोडक्ट बेचने वाली कंपनी ‘पाल्सन गर्ल’ आई, जो बहुत ज्यादा फेमस थी। ऐसे में डॉ. वर्गीज कुरियन ने अपने प्रोडक्ट को एक नई दिशा देने के लिए अमूल कम्पनी के लिए विज्ञापन बनाने वाली एजेंसी एडवरटाइजिंग एंड सेल्स प्रमोशन के साथ बैठक में यह तय किया कि अमूल कंपनी के लिए एक ऐसा मास्क चाहिए जो हाउस वाइफ को सबसे ज्यादा पसंद आए।

अमूल गर्ल का आइडिया कैसे आया?

इस काम के लिए विज्ञापन एजेंसी के चीफ सिल्वेस्टर दाकुन्हा को लगाया गया जिन्होंने अमूल गर्ल वाले विज्ञापन को पेश किया। सफेद और लाल रंग के डॉटेड फ्रॉक वाली अटरली-बटरली गर्ल ने ऐसा कमाल किया कि अमूल ब्रांड को देश और दुनिया में एक नई पहचान मिली। अमूल गर्ल के इतना ज्यादा पॉपुलर होने की एक वजह यह भी है कि इसके साथ दिया गया वन लाइनर ‘अटर्ली बटर्ली अमूल’ था, जो अमूल गर्ल की तरह ही हमेशा आधुनिक बना रहा। अमूल गर्ल कैंपेन शुरू होने के करीब तीन साल बाद सिल्वेस्टर ने अपने भाई के साथ मिलकर 1969 में दाकुन्हा कम्युनिकेशंस की स्थापना की थी।

आपको जानकारी के लिए बता दें कि अमूल गर्ल को सर्वप्रथम मुम्बई की बसों में पेन्टिग के रूप में लगाया गया था। इसके बाद साल 1966 में अमूल गर्ल का विज्ञापन सबके सामने आया। विज्ञापन में आते ही अमूल गर्ल लोगों के दिलों में उतर गई। इसलिए साल 2012 में वर्गीज कुरियन के निधन होने के बाद भी विज्ञापन का सबसे दिलचस्प चेहरा बन हुआ है। हालांकि, तब से आज के समय में अमूल गर्ल की थीम तो वही है, लेकिन उसके लुक और विज्ञापनों में काफी बदलाव आ चुके हैं।

अमूल गर्ल के खुले और बेबाक विचार

दाकुन्हा को इस बात का एहसास हुआ कि सिर्फ मक्खन के बारे में बात करना लंबे समय तक टिक नहीं पाएगा। इसलिए उन्होंने सामाजिक टिप्पणी के इस विचार पर प्रहार किया। अमूल गर्ल ने पूरी दुनिया के लोगों का ध्यान विशेष रूप से अपनी ओर खींचा क्योंकि उसने देश-विदेश के मुद्दों पर बोलना शुरू कर दिया। खासकर 90 के दशक में अमूल गर्ल ने खुलकर अपने विचार रखे। कभी किसी मुद्दे पर कटाक्ष करना या फिर मजा​किया तरीके से जोक दिखाना, कहीं-कहीं अमूल गर्ल सीरियस तरीके से भी अपनी बात रखते नजर आई। इन सब वजहों से दिन-प्रतिदिन अमूल गर्ल की लोकप्रियता बढ़ती ही गई।

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