Maharashtra’s Political Landscape: Supriya Sule vs. Ajit Pawar

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Supriya Sule vs. Ajit Pawar

Title 01 – Can Supriya Sule Overcome Political Challenges in Maharashtra?-Supriya Sule vs. Ajit Pawar

Title 02 – What Are Supriya Sule’s Strengths and Weaknesses in Politics?

Title 03 – Will Supriya Sule’s Political Legacy Outshine Ajit Pawar’s?

ये तो सब जानते हैं कि इस बार महाराष्ट्र में NCP दो धड़ों में टूटकर चुनावी मैदान में हैं…NCP का एक मोर्चा ‘चाचा’ शरद पवार संभाल रहे हैं तो वहीं NCP के दूसरे मोर्चे की कमान ‘भतीजे’ अजित पवार के हाथ में है…पवार परिवार के बीच इस चुनावी जंग ने इस बार के महाराष्ट्र के लोकसभा चुनावों को बेहद ही रोमांचक बना दिया है…तभी तो महाराष्ट्र की बारामती सीट इस समय चुनावी चर्चा का सबसे बड़ा और गंभीर विषय बनी हुई है…बारामती सीट से जहां शरद पवार की बेटी सुप्रिया सदानंद सुले मैदान में हैं वहीं उनके सामने पवार परिवार की बहू और महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार अपना दावा पेश कर रही हैं….-Supriya Sule vs. Ajit Pawar

यानि इस बार बारामती सीट ननद-भाभी की सियासी जंग का साक्षी बनने वाली है…सुप्रिया सुले राजनीति की पुरानी खिलाड़ी हैं लेकिन सुनेत्रा पवार अपने जीवन का पहला चुनाव लड़ रही हैं…बारामती सीट को शरद पवार का गढ़ माना जाता है…इस लोकसभा सीट पर शरद पवार और NCP के एक छत्र राज का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि…यहां से शरद पवार 6 बार और उनकी बेटी सुप्रिया सुले 3 बार लोकसभा चुनाव जीती हैं…लेकिन अब NCP के टूटने के बाद वो सारे राजनीतिक समीकरण भी बदल चुके हैं जिनके सहारे इस सीट पर शरद पवार अपनी जीत सुनिश्चित करते रहे हैं…ऐसे में इस बार पिता के गढ़ में बेटी की अग्निपरीक्षा है…-Supriya Sule vs. Ajit Pawar

इसमें कोई दो राय नहीं हैं कि शरद पवार की पावर के बाद भी ये चुनाव सुप्रिया सुले के लिए कठिन और चुनौतियों से भरा है …जहां एक तरफ सुप्रिया को सीट बचाकर अपना राजनीतिक भविष्य सुनिश्चित करना है वहीं दूसरी तरफ NCP के असली वारिस होने का दावा भी साबित करना है…ये पहला मौका नहीं है जब पार्टी के असली वारिस और अपने वर्चस्व की लड़ाई में भाई-बहन यानि अजित पवार और सुप्रिया सुले आमने-सामने हों…सियासी दबदबा बढ़ने के साथ-साथ पहले भी कई मौकों पर सुप्रिया और अजित दोनों में प्रतिस्पर्धा की झलक देखने को मिली है…इसमें भी कोई शक नहीं है कि समय के साथ सुप्रिया का राजनीतिक कद पहले से कहीं ज़्यादा बढ़ा है…

बावजूद इसके भी सुप्रिया की डगर आसान रहने वाली नहीं है क्योंकि जिस परिवार का समर्थन उन्हें इस सीट पर मिलता था वो अब राजनीतिक तौर पर दो हिस्सों में बंट चुका है…भले ही पवार पॉलिटिक्स का सेंटर प्वाइंट कहे जाने बारामती में इस बार मुकाबला पवार परिवार के बीच ही है…लेकिन दोनों ही परिवार एक-दूसरे पर बयानबाजी करने से बच रहे हैं…सुप्रिया भी अपनी जनसभाओं में खुले तौर पर पारिवारिक झगड़ों से जुड़ी बातों से इंकार करते हुए अपने काम के आधार पर वोट मांग रही हैं…

तो वहीं अजित पवार और बीजेपी भी इस मुकाबले को पवार परिवार की बजाय नरेंद्र मोदी बनाम राहुल गांधी के तौर पर पेश कर रहे हैं…ये लोकसभा चुनाव पवार परिवार के अलावा बारामती की जनता के लिए भी चुनौतियों से भरा होगा क्योंकि उनके वोट से ही बारामती और NCP का असली वारिस तय होने वाला है…

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