There is a shortage of life-saving medicines in poor Pakistan, lack of foreign exchange increases the crisis.

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  कंगाल Pakistan में life-saving medicines का भी अकाल, foreign exchange की कमी ने बढ़ाया संकट 

जैसे-जैसे दिन बीतते जा रहे हैं पाकिस्तान में गरीबी, महंगाई और भुखमरी लगातार बढ़ती जा रही है…पूरी दुनिया इस आश्चर्य में है कि वहां कि सरकार अपने देश को इससे उबारने के लिए कुछ नहीं कर रही है…हुक्मरान अभी भी अपनी झोली भरने में लगे हैं…गरीब जनता मरती है तो मरे…पाकिस्‍तान इस समय विदेशी मुद्रा की बड़ी कमी से जूझ रहा है इसलिए वहां की सरकार जीवन-यापन के लिए आयात होने वाली वस्तुओं के लिए भुगतान करने में सक्षम नहीं है…देश की हालत ऐसी है कि जिंद‍गी बचाने वाली दवाईयां भी खत्म हो चुकी हैं…ऐसे में अब उसने ईरान से मदद मांगी है…पाकिस्तानी मीडिया ने इस बात की पुष्टि कर दी है लेकिन सरकार अभी भी मुंह छिपाए हुए है…

पाकिस्तान के लोगों को दवाइयों की भारी किल्लत का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि शहबाज शरीफ सरकार और medicines उद्योग के बीच दवा की कीमतों को लेकर खींचतान चल रही है…सरकार medicines की कीमतों को बढ़ाना नहीं चाहती है जबकि medicines आयातक और कंपनियों को रुपये में भारी गिरावट के कारण आयात के लिए काफी पैसा खर्च करना पड़ रहा है…विदेशी मुद्रा भंडार की कमी के चलते पाकिस्तान की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली पूरी तरह से चरमरा गई है…अब देश बेहद महत्वपूर्ण दवाओं की भारी कमी का सामना कर रहा है…दवा बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले कच्चे माल का आयात करके के लिए भी पाकिस्तान के पास पैसे नहीं हैं…नकदी की कमी से जूझ रहे कंगाल पाकिस्तान को जीवन-रक्षक दवाओं की कमी से निपटने के लिए ईरान से मदद की बड़ी उम्मीद है…

इस विकराल समस्या को लेकर पाकिस्तान के राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा मंत्री डॉ. नदीम जान और ईरान के राजदूत रेजा अमीरी मोघदाम के बीच एक बैठक हुई…इसमें फैसला किया गया कि पाकिस्तान को जीवन रक्षक medicines की समस्या से निपटने के लिए दोनों देश तत्काल प्रभाव से एक व्यापक रणनीति पर काम करेंगे…लेकिन इसका खाका क्या होगा…ईरान से कब और कितनी मदद मिलेगी…उसके लिए पाकिस्तान को क्या करना होगा…इन सभी आयामों की तस्वीर अभी भी धुंधली है…

केंद्रीय बैंक की ओर से जारी आंकड़ों से साफ पता चलता है कि पाकिस्तान स्टेट बैंक की ओर से रखे गए विदेशी मुद्रा भंडार में सप्ताह-दर-सप्ताह के आधार पर 0.14 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जो 8.1 अरब डॉलर तक पहुंच गया है…पाकिस्तान को उम्‍मीद है कि ईरान के साथ लंबे समय से चले आ रहे और समय-समय पर परखे गए रिश्‍तों से उसे कुछ मदद मिल सकेगी…लेकिन अभी ईरान ने पाकिस्तान को मदद करना नहीं शुरू किया है…


ऐसा नहीं है कि पाकिस्तान medicines को लेकर पहली बार कंगाली की मार झेल रहा है…कोरोना काल में जहां एक ओर भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में दवाइयां पहुंचाकर जरूरतमंद देशों की मदद कर रहा था वहीं पाकिस्तान तब भी दवाओं की किल्लत झेल रहा था, पाकिस्तानियों को बुनियादी सुविधाएं तक मुहैया नहीं करवा पा रही थी वहां की सरकार…

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