महाकाव्य पृथ्वीराज रासो में उल्लेखित है कि पृथ्वीराज चौहान का पहला विवाह 11 साल की उम्र में हुआ। इसके बाद जब पृथ्वीराज 22 वर्ष के हो गए तब तक प्रतिवर्ष एक-एक विवाह होता रहा। पृथ्वीराज चौहान का अंतिम विवाह कन्नौज के राजा जयचंद गहड़वाल की पुत्री संयोगिता के साथ हुआ।
अजमेर के राजा सोमेश्वर चौहान की मौत के बाद उनके पुत्र पृथ्वीराज चौहान ने महज 11 साल की उम्र में ही राजगद्दी संभाल ली। बचपन से ही प्रतिभा संपन्न पृथ्वीराज एक कुशल योध्दा थे, उन्होने युध्द के अनेक गुण सीखे थे। उन्होने अपने बाल्य काल से ही शब्दभेदी बाण विद्या का अभ्यास किया था।
चूंकि पृथ्वीराज की सेना बहुत ही विशालकाय थी, जिसमे 3 लाख सैनिक और 300 हाथी थे। कहा जाता है कि उनकी सेना बहुत ही अच्छी तरह से संगठित थी, इसी कारण इस सेना के बूते उन्होने कई युध्द जीते और अपने राज्य का विस्तार करते चले गए। इस प्रकार से जैसे-जैसे पृथ्वीराज का वैभव और साम्राज्य बढ़ता गया वैसे-वैसे उत्तर भारत के विभिन्न राजपरिवारों ने अपनी राजकुमारियों का विवाह पृथ्वीराज के साथ करना शुरू कर दिया।
विभिन्न ऐतिहासिक ग्रन्थों में पृथ्वाराज चौहान की रानियों का उल्लेख मिलता है, जिनमें अलग-अलग नाम और संख्या का उल्लेख है। हांलाकि पृथ्वीराज विजय महाकाव्य में उनकी रानियों का स्पष्ट उल्लेख मिलता है। इस महाकाव्य में पृथ्वीराज चौहान की कुल 13 रानियों का उल्लेख किया गया है। यद्यपि कुछ संदर्भ पृथ्वीराज की 16 रानियों का होना बताते हैं।
बता दें कि हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने जिन 16 रानियों का विवाह हुआ था, उनके नाम कुछ इस प्रकार हैं : 1- मण्डोर के राव नाहड़ प्रतिहार की पुत्री जतनकंवर 2- आबू के राव आल्हण पंवार की पुत्री इच्छिनी पंवार 3- दिलवाड़ा के रामसिंह सोलंकी की पुत्री प्रतापकंवर 4- गौड़ राजकुमारी ज्ञानकंवर 5- नागौर के दाहिमा राजपूतों की पुत्री सूरज कंवर 6- यादव राजकुमारी पद्यावती 7- बड़गुजरों की राजकुमारी नंदकंवर 8- गहलोत राजकुमारी कंवर दे 9- आमेर नरेश पंजन की राजकुमारी जंस कंवर कछवाही 10- मंडोर के चन्द्रसेन की पुत्री चंद्रकंवर 11- बैंस राजा उदय सिंह की पुत्री रतनकंवर 12- देवास की सोलंकी राजकुमारी चांदकंवर 13- राठौड़ तेज सिंह की पुत्री शशिव्रता 14- सोलंकियों की राजकुमारी सूरजकंवर 15- प्रतापसिंह मकवाणी 16- कन्नौज की राजकुमारी संयोगिता।
हांलाकि इन नामों को बिल्कुज सटीक नहीं माना जा सकता है, क्योंकि कुछ स्रोतों में शशिव्रता को यादवों की बेटी बताया गया है। अन्य ऐतिहासिक स्रोतों में पृथ्वीराज की जिन 13 रानियों का उल्लेख मिलता है, उनके नाम इस प्रकार हैं : जम्भावती, पडिहारी, दाहिया, जालन्धरी, पंवार इच्छिनी, गूजरी, बड़गुजरी, यादवी पद्यावती, कछवाही, यादवी शशिव्रता, पुण्डीरनी, इंद्रावती, संयोगिता गाहड़वाल।
महाकाव्य पृथ्वीराज रासो में उल्लेखित है कि पृथ्वीराज चौहान का पहला विवाह 11 साल की उम्र में हुआ। इसके बाद जब पृथ्वीराज 22 वर्ष के हो गए तब तक प्रतिवर्ष एक-एक विवाह होता रहा। पृथ्वीराज चौहान का अंतिम विवाह कन्नौज के राजा जयचंद गहड़वाल की पुत्री संयोगिता के साथ हुआ।
गौरतलब है कि पृथ्वीराज रासो की हस्तप्रतिलिपी में पृथ्वीराज चौहान की पांच रानियों का वर्णन मिला है- जम्भावती, इच्छनी, यादवी शशिव्रता, हंसावती और संयोगिता। पृथ्वीराज रासो की एक अन्य लघु हस्तप्रतिलिपी में केवल दो रानियों के नाम इच्छनी और संयोगिता बताए गए हैं। जबकि पृथ्वीराज रासों की एक और हस्तलिपि मिली है जिसमें केवल रानी संयोगिता का नाम लिखा है। कुल मिलाकर प्रत्येक हस्तलिपि में रानी संयोगिता के नाम उल्लेख अवश्य मिलता है।
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