PM in MP’s mind… ‘Mohan’ in PM’s mind… MP’s new CM Mohan Yadav
एमपी के मन में पीएम… पीएम के मन में ‘मोहन’… MP के नए सीएम मोहन यादव
तमाम आशंकाओं…. चिंताओं, चिंतन और मनन के बाद मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री का नाम तय हो गया है… रेस में कई दिग्गज थे.. लेकिन आखिर में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आलाकमान और संघ की पसंद को तवज्जो दो गई.. महाकाल की नगरी उज्जैन से आने वाले Mohan Yadav को मध्यप्रदेश की कमान सौंपी गई है..8 दिन के गहन मंथन के बाद, सभी समीकरणों को देखते हुए Mohan Yadav को मुख्यमंत्री बनाया गया है… शिवराज सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री रहे मोहन यादव शिवराज सिंह चौहान की जगह लेंगे… मध्य प्रदेश की राजनीति में सीएम पद के लिए यादव छुपा रुस्तम साबित हुए हैं… हालांकि पिछली बार जब शिवराज सिंह चौहान को सीएम बनाने की तैयारी हो रही थी उस समय भी मोहन यादव के नाम पर विचार हुआ था.. लेकिन इस बार उनके नाम की चर्चा कहीं से भी नहीं हो रही थी… कहा जा रहा कि आरएसएस उनके नाम को लेकर काफी गंभीर था. अब आपको बता दें कि मोहन यादव को सीएम बनाकर बीजेपी ने क्या संदेश दिया है..तो सबसे पहला संदेश है 2024 को साधना.. बीजेपी ने यूपी-बिहार के यादव वोटरों को साधने की कोशिश की है.. बीजेपी ने यूपी-बिहार के यादवों को संदेश दे दिया है कि पार्टी उनके बारे में भी सोचती है. अगर बीजेपी के साथ यादव आएंगे तो उनको जरूर मौके मिलेंगे. दरअसल उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बिहार में राष्ट्रीय जनता दल के चलते इन राज्यों में यादवों का वोट बीजेपी को नहीं मिलता रहा है. जबकि उत्तर प्रदेश और बिहार में यादवों की जनसंख्या सभी जातियों से अधिक है. उत्तर प्रदेश और बिहार दोनों राज्यों में करीब 10 से 12 प्रतिशत की आबादी यादवों की है. ऐसे में इतने बड़े तबके का पार्टी से दूर रहना बीजेपी के लिए बहुत बुरा साबित हो रहा था. मोहन यादव को मध्य प्रदेश का सीएम बनाने से अगर यादव वोटों का कुछ परसेंट भी पार्टी अपनी ओर लाने में सफल होती है तो यह बीजेपी के बहुत बड़ा स्ट्रेंथ साबित होगा.हरियाणा में भी यादव वोटर्स अच्छी संख्या में हैं… दूसरा संदेश है ओबीसी वोटरों को अपने साथ जोड़कर रखना.. बिहार में नीतीश कुमार और तेजस्वी की सरकार ने जातिगत जनगणना का जो शिगूफा छोड़ा था उसकी हवा तो विधानसभा चुनावों में ही निकल गई थी. पर कांग्रेस जिस तरह से जाति जनगणना और पिछड़ी जाति के कल्याण की बातें करने लगी थी उससे यही लग रहा है कि कांग्रेस ओबीसी पॉलिटिक्स को लेकर अभी और आक्रामक रुख अख्तियार करने वाली है.पर बीजेपी ने जिस तरह छत्तीसगढ़ में आदिवासी को मुख्यमंत्री और ओबीसी को डिप्टी सीएम बनाकर गेम की शुरूआत की है वह मध्य प्रदेश में ओबीसी सीएम के साथ विपक्ष की बैकवर्ड पॉलिटिक्स की हवा निकालने के लिए काफी है.. तीसरा संदेश है कि बीजेपी में किसी का प्रेशर नहीं चलेगा.. यानि पार्टी के सभी बड़े नेताओं को ये संदेश दे दिया कि किसी भी शख्स का कोई प्रेशर काम नहीं करेगा. पार्टी जो चाहेगी वो करेगी. अगर कोई ये समझता है कि उनकी वजह से महिलाओं का वोट मिला , उनके नाम पर चुनावी जीत मिली है तो वो गलतफहमी में है. औऱ आखिरी संदेश इस फैसले के साथ अटल-आडवाणी युग की समाप्ति
हो गई.. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को नेपथ्य में भेजने की तैयारी की साथ बीजेपी में अटल-आडवाणी युग की पूर्णतः समाप्ति भी हो गई है.. शिवराज और छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम रमन सिंह अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी के युग के बीजेपी में प्रतिनिधि थे. रमन सिंह तो पहले ही भूतपूर्व हो चुके थे और अब शिवराज को भी दोबारा सीएम न बनाकर साफ संदेश दिया.. यानि संघ और आलकमान किसी को भी पार्टी से ऊपर नहीं रखती है…
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