NCP चीफ अजित पवार बोले, बारामती में बहन के खिलाफ पत्नी को चुनाव लड़ाकर गलती की, क्या सहानुभूति के लिए दिए बयान या मायने है कुछ और?

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लोकसभा चुनावों में महाराष्ट्र में Ajit Pawar की पार्टी एनसीपी को मिली हार के दो माह बाद, पार्टी अध्यक्ष और राज्य के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने अपना रुख अब बदल लिया है और इस साल अक्टूबर में होने वाले राज्य विधानसभा चुनावों से पहले मतदाताओं के साथ तालमेल बिठाने के लिए एक अलग रणनीति पर काम कर रहे हैं. अजित पवार ने राजनीतिक गलियारों में अपने बयान से हलचल मचा दी है. उन्होंने यह स्वीकार किया है कि लोकसभा चुनावों में बारामती से अपनी चचेरी बहन सुप्रिया सुले के खिलाफ अपनी पत्नी सुनेत्रा पवार को मैदान में उतारकर उन्होंने गलती की है. -Maharashtra Assembly Election

मराठी न्यूजन चैनल ‘जय महाराष्ट्र‘ को दिए एक इंटरव्यू में अजित दादा ने कहा कि मैं अपनी सभी बहनों से प्यार करता हूं. राजनीति को घर में घुसने नहीं देना चाहिए. मैंने अपनी बहन के खिलाफ सुनेत्रा को मैदान में उतारकर गलती की. ऐसा नहीं होना चाहिए था. लेकिन संसदीय बोर्ड (NCP) ने एक फैसला लिया. अब मुझे लगता है कि यह गलत था. सुप्रिया सुले एनसीपी के संस्थापक शरद पवार की बेटी हैं, जो अब एनसीपी (SP) की मुखिया हैं. -Maharashtra Assembly Election

Ajit Pawar के बयान पर सुप्रिया ने कमेंट करने से किया मना

Ajit Pawar के बयान पर कोई कमेंट करने से परहेज करते हुए सुप्रिया ने कहा कि मैंने Ajit Pawar का बयान नहीं सुना है और मुझे इस पर कोई कमेंट नहीं करना है. 

बीते साल Ajit Pawar ने की शरद पवार से बगावत

पिछले साल जुलाई में, पवार के भतीजे अजीत ने अपने विधायकों और नेताओं के गुट के साथ उनके खिलाफ विद्रोह कर दिया था, और अपनी पार्टी को विभाजित कर भाजपा और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के साथ सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन में शामिल हो गए थे. -Maharashtra Assembly Election

ननद से हारी भौजाई

लोकसभा चुनावों में, अजीत ने पवार अपने ही परिवार के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र बारामती में सुनेत्रा को एनसीपी का टिकट दिया, ताकि वह सप्रिया सुले के खिलाफ चुनाव लड़ सकें. लेकिन नतीजे सुनेत्रा खिलाफ रहे और सुप्रिया ने अपनी भाभी को 1.58 लाख से अधिक वोटों से हराकर अपनी सीट बरकरार रखी. 

अजीत ने मानी गलती, पत्नी को चुनाव लड़ाने का फैसला संसदीय बोर्ड का बताया

Ajit Pawar की पत्नी चुनाव हाई गईं तो अब उन्होंने कहा है कि पत्नी को चुनाव लड़ाने का फैसला पार्टी के संसदीय बोर्ड का था जिसका मैंने पालन किया. लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान अजीत ने अपने चाचा शरद पवार के बयानों पर तीखी प्रतक्रियाएं भी दी. Ajit Pawar ने शरद पवार को राजनीति से संन्यास लेने तक की सलाह दी. भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के पाले में धकेलने का आरोप लगाकर उनके राजनीतिक अतीत के रहस्यों को उजागर करने की कोशिश की. अजीत के पार्टी सहयोगियों ने भी यही किया. 

एनसीपी के कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल लिखेंगे किताब

एनसीपी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल ने किताब लिखने की चेतावनी दी है, जिसमें कई राज उजागर करने की बातें होंगी. जबकि पार्टी की राज्य इकाई के प्रमुख सुनील तटकरे ने पवार से सवाल किया कि अजित पवार को सीएम बनने का मौका क्यों नहीं दिया गया? 

चाचा के साथ लड़ाई से नहीं मिला कोई फायदा

लोकसभा चुनावों के नतीजे आने के दो-ढाई माह बाद Ajit Pawar को यह अहसास होने लगा है कि अपने अलग हुए चाचा के साथ चल रहे टकराव से उन्हें कोई फायदा नहीं हो रहा है. बल्कि उनके इस रवैये से वोटर्स के बीच शरद पवार को और अधिक सहानुभूति मिल रही है. लोकसभा चुनावों के दौरान पवार परिवार के कई सदस्य न केवल वरिष्ठ नेता के साथ खड़े रहे, बल्कि सुप्रिया सुले के लिए सक्रिय रूप से प्रचार भी किए. 

Ajit Pawar के प्रति राज्य में बनी नकारात्मक सोच

Ajit Pawar के बगावती होने से सूबे में उनके प्रति एक नकारात्मक धारणा का जन्म हुआ. जिससे उनकी छवि पारिवारिक संबंधों को तोड़ने वाले व्यक्ति के रूप में पेश की गई. लोकसभा चुनावों में महायुति को करारा झटका लगा, जिसमें महायुति को 48 में से केवल 17 सीटों पर ही जीत मिली. जबकि महा विकास अघाड़ी (MVA) को 30 सीटें मिलीं. 

महायुति के सहयोगियों में एनसीपी का सबसे खराब प्रदर्शन

महायुति के सहयोगियों में एनसीपी सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली पार्टी साबित हुई. एनसीपी को महज एक सीट पर ही जीत मिली, वहीं, भाजपा को नौ और एकनाथ शिंदे की शिवसेना की सात सीटों पर जीत हासिल हुई. एमवीए खेमे में एनसीपी (सपा) ने उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना (यूबीटी) की नौ सीटों पर जीत मिली और कांग्रेस को 13 सीटों पर कामयाबी मिली. 

Ajit Pawar को गलती होने के पीछे की वजह?

महाराष्ट्र में दो माह बाद ही विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में Ajit Pawar महाराष्ट्र के दौरे पर निकले हैं, जिसमें वे लोगों से मिल रहे हैं और उन्हें अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन लोकसभा चुनावों में बनी नकारात्मक छवि से बाहर निकल पाना इतना आसान नहीं लग रहा है. लोगों के बीच जाने पर उन्हें यह अहसास हो रहा है कि परिवार को बांटकरके उन्होंने गलती कर दी. जिसके बाद उन्हें सलाहकारों ने इस तरह का बयान देने की बात की होगी. ऐसा लगता है कि लोगों के बीच जब Ajit Pawar पहुंच रहे होंगे तो उन्हें वो सम्मान अब नहीं मिल रहा होगा जो सम्मान चाचा शरद पवार के साथ रहने पर मिलता था.-Maharashtra Assembly Election

गौरतलब है कि Ajit Pawar की असली अग्नि परीक्षा तो विधानसभा चुनावों के दौरान ही होगी. जब वे अपने दम पर विधानसभा में अपनी हनक दिखाने की कोशिश करेंगे. अभी तो जिन विधायकों को लेकर अपने साथ गए हैं, वे शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी से चुनकर आए थे. अब Ajit Pawar के नेतृत्व वाली एनसीपी से अब कितने विधायक जीतने में कामयाब हो पाएंगे. यह तो भविष्य बताएगा. लेकिन इतना तय है कि शरद पवार के रहते अभी Ajit Pawar उस स्थिति में नहीं पहुंच पाएंगे जो वह शरद पवार के समय में थे. विधायकों संख्या नहीं बढ़ने या उतनी ही संख्या रहने पर, क्या उनके सहयोगी दल उन्हें फिर से डिप्टी सीएम बनाएंगे या बतौर कैबिनेट मंत्री मलाईदार विभाग मिल पाएगा. इन सभी सवालों का जवाब चुनाव नतीजों के बाद ही मिल पाएगा.

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