“India’s Stance on the China-Taiwan Dispute: A Comprehensive Analysis | AIRR News”

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चीन और ताइवान के बीच विवाद और इस पर भारत का दृष्टिकोण हमेशा से ही अंतरराष्ट्रीय राजनीति में चर्चा का विषय रहा है। हाल ही में ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते और भारत के प्रधानमंत्री  Narendra Modi के बीच संदेशों का आदान-प्रदान इस विवाद को एक नया मोड़ दे गया। चीन ने इस संदेश विनिमय पर कड़ी आपत्ति जताई, जिसे ताइवान ने “अनुचित हस्तक्षेप” करार दिया। ऐसे में सवाल उठते हैं कि आखिर प्रधानमंत्री  Narendra Modiऔर ताइवान के राष्ट्रपति के बीच क्या बातचीत हुई थी? क्यों चीन ने इस पर आपत्ति जताई? क्या भारत और ताइवान के बीच के संबंध चीन के लिए खतरा हैं? और क्या इस विवाद का अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर प्रभाव पड़ेगा? इन सभी सवालों के जवाब आपको इस वीडियो में मिलेंगे। नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR न्यूज़।India-China-war-latest-news

चीन की ओर से ताइवान को धमकाने का प्रयास उस समय विफल हो गया जब प्रधानमंत्री Narendra Modiऔर ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते के बीच संदेशों का आदान-प्रदान हुआ। ताइवान ने चीन के इस आपत्ति को अनुचित हस्तक्षेप करार दिया। ताइवान के उप विदेश मंत्री तिएन चुंग-क्वांग ने कहा कि न तो प्रधानमंत्री Narendra Modiऔर न ही ताइवान के राष्ट्रपति इस तरह की आपत्तियों से डरने वाले हैं।

5 जून को, ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की लोकसभा चुनावों में जीत पर प्रधानमंत्री  Narendra Modi को बधाई दी। उन्होंने कहा कि ताइवान भारत के साथ तेजी से बढ़ते संबंधों को मजबूत करने और व्यापार, प्रौद्योगिकी और अन्य क्षेत्रों में सहयोग को विस्तार देने के लिए तत्पर है।-India-China-war-latest-newsa latest news

प्रधानमंत्री मोदी ने इस संदेश का जवाब देते हुए ताइवान के राष्ट्रपति को उनके “संदेश” के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि वे आपसी लाभकारी आर्थिक और प्रौद्योगिकीय साझेदारी की दिशा में मिलकर काम करने की उम्मीद करते हैं।

इसके बाद बीजिंग में अगले दिन, चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने इस संदेश विनिमय पर चीन की आपत्ति जताई। माओ ने कहा कि ताइवान क्षेत्र का कोई “राष्ट्रपति” नहीं होता और चीन ताइवान प्राधिकरणों और उन देशों के बीच किसी भी प्रकार की आधिकारिक बातचीत का विरोध करता है जिनके साथ चीन के राजनयिक संबंध हैं। 

ऐसे में जब ताइवान खुद को चीन से बिल्कुल अलग मानता है। ताइवान के उप विदेश मंत्री तिएन चुंग-क्वांग ने कहा कि यह एक सामान्य बात है कि दो नेता एक दूसरे को बधाई देते हैं। उन्होंने कहा, “यह दो नेताओं के बीच बधाई का आदान-प्रदान है। इस पर किसी और को कुछ कहने का हक नहीं है।”-India-China-war-latest-news

आपको बता दे कि चीन और ताइवान के बीच विवाद का इतिहास बहुत पुराना है। 1949 में चीनी गृहयुद्ध के बाद, ताइवान ने खुद को एक स्वतंत्र राष्ट्र घोषित किया, जबकि चीन ताइवान को अपना अलग हुआ प्रांत मानता है। इस विवाद ने कई बार अंतरराष्ट्रीय मंच पर तूल पकड़ा है।वर्तमान में, ताइवान एक स्वतंत्र लोकतंत्र के रूप में कार्य करता है, जबकि चीन इसे अपने हिस्से के रूप में देखता है। ताइवान के साथ किसी भी प्रकार के आधिकारिक संबंध बनाने पर चीन कड़ी आपत्ति जताता है। 

ऐसे में यदि भारत और ताइवान के बीच संबंध मजबूत होते हैं, तो यह चीन के लिए एक बड़ी चुनौती हो सकती है। यह न केवल चीन-भारत संबंधों पर प्रभाव डालेगा, बल्कि पूरे एशिया-प्रशांत क्षेत्र की राजनीति पर भी असर डाल सकता है। 

बाकि इससे पहले भी ताइवान और चीन के बीच कई विवादित घटनाएँ हो चुकी हैं। ताइवान के स्वतंत्रता के प्रयासों और चीन के आक्रमक रुख ने हमेशा ही विवाद को बढ़ावा दिया है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भी इस विवाद में विभिन्न दृष्टिकोण अपनाए हैं।

वैसे इस विवाद का एक पक्ष यह है कि भारत और ताइवान के बीच आर्थिक और प्रौद्योगिकीय संबंध मजबूत हो सकते हैं, जो दोनों देशों के लिए लाभकारी होंगे। लेकिन इसके विपरीत, चीन के साथ तनाव बढ़ने की संभावना भी है, जो क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा हो सकता है।-India-China latest news

तो इस तरह चीन और ताइवान के बीच विवाद और इसमें भारत की भूमिका ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में नई दिशा दी है। ताइवान के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री मोदी के बीच संवाद ने इस विवाद को और भी जटिल बना दिया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस विवाद का भविष्य में क्या परिणाम होता है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस पर क्या रुख अपनाता है।

नमस्कार, आप देख रहे थे AIRR न्यूज़।

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