क्या आप जानते हैं कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने किसानों के दिल्ली चलो आंदोलन को कैसे नकारा है? क्या आप जानते हैं कि खट्टर ने किसानों को आर्मी की तरह आगे बढ़ने का आरोप लगाया है? क्या आप जानते हैं कि खट्टर ने किसानों को ट्रैक्टर को एक परिवहन का साधन नहीं, बल्कि एक कृषि उपकरण माना है? और क्या आप जानते हैं कि खट्टर ने किसानों के पिछले आंदोलन को भी याद दिलाते हुए कहा है कि वे एक साल तक टिकरी और सिंघू बॉर्डर पर बैठे रहे और कई लोगों को परेशानी पहुंचाई?
अगर आप इन सवालों के जवाब जानना चाहते हैं, तो बने रहिए हमारे साथ। नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR न्यूज।
आप सभी जानते हैं कि पिछले कुछ दिनों से पंजाब के किसान दिल्ली की ओर बढ़ रहे हैं, ताकि वे अपनी मांगों को केंद्र सरकार के सामने रख सकें। किसानों का कहना है कि उन्हें अपने अधिकारों के लिए लड़ना पड़ रहा है, क्योंकि सरकार ने उनके हितों को नजरअंदाज करते हुए तीन खेती संबंधी कानून वापस नहीं लिए हैं। किसानों का दावा है कि ये कानून उनके लिए हानिकारक हैं, और उन्हें मंडी, MSP और अन्य सुरक्षा जैसी चीजों से वंचित कर देंगे।
लेकिन हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने इन किसानों के आंदोलन को नकारते हुए कहा है कि वे दिल्ली जाने का गलत तरीका अपना रहे हैं। खट्टर ने कहा है कि किसान ट्रैक्टर-ट्रॉली, अर्थ-मूवर और एक साल का राशन लेकर आ रहे हैं, जैसे कि वे युद्ध में जा रहे है। खट्टर ने कहा है कि उन्हें इन किसानों के तरीके से आपत्ति है, क्योंकि ट्रैक्टर एक परिवहन का साधन नहीं, बल्कि एक कृषि उपकरण है। खट्टर ने कहा है कि वे किसानों को दिल्ली जाने से नहीं रोक रहे हैं, बल्कि उन्हें ट्रेन, बस और अपने वाहनों का इस्तेमाल करने को कह रहे हैं।
खट्टर ने यह बयान गुरुवार को चंडीगढ़ में दिए, जहां वे तीन केंद्रीय मंत्रियों और किसान नेताओं के बीच होने वाली बातचीत के लिए पहुंचे थे। खट्टर ने कहा है कि वे उम्मीद करते है कि इस बातचीत से कोई हल निकलेगा, लेकिन उन्होंने किसानों से यह भी अपील की है कि वे शांति और अनुशासन का पालन करें, और आम जनता को किसी भी तरह की असुविधा न दें। खट्टर ने कहा है कि वे किसानों के साथ बातचीत के लिए हमेशा तैयार हैं, लेकिन उन्हें भी अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए।
खट्टर के इस बयान का किसानों ने तुरंत खंडन कर दिया है। किसानों के नेता बलविंदर सिंह ने कहा है कि खट्टर का बयान झूठा और अपमानजनक है। उन्होंने कहा है कि किसान आर्मी की तरह नहीं, बल्कि अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा है कि ट्रैक्टर उनका परिवहन का साधन ही है, जिसका उन्हें इस्तेमाल करने का पूरा हक है। उन्होंने कहा है कि वे दिल्ली जाने का गलत तरीका नहीं, बल्कि अपना संवैधानिक अधिकार मांग रहे हैं।
बलविंदर सिंह ने यह भी कहा है कि खट्टर का बयान उनकी असहिष्णुता और अहंकार का परिचायक है। उन्होंने कहा है कि खट्टर ने किसानों को बार-बार रोकने की कोशिश की है, उन पर हिंसा की है, उनके रास्ते में काँटे बिछाए हैं, लेकिन वे अपने आंदोलन को जारी रखेंगे। उन्होंने कहा है कि वे अपनी मांगों को लेकर दिल्ली तक पहुंचेंगे, और वहां से अपना हक मांगेंगे।
किसानो और हरियाणा के मुख्यमंत्री के बीच के इस आरोप प्रत्यारोप की वजह क्या है आइये इस पर एक नजर डालते है।
पिछले कुछ दिनों से पंजाब और हरियाणा के किसानों ने दिल्ली की ओर एक बड़ा जुलूस निकला है। ये किसान दिल्ली में सरकार से अपनी बातचीत करना चाहते हैं और अपनी मांगों को पूरा करवाना चाहते हैं। इन किसानों का कहना है कि सरकार ने उनके हितों को नजरअंदाज करते हुए कुछ ऐसे कानून बनाए हैं, जो उनके लिए नुकसानदायक हैं। इन कानूनों में से एक है कृषि उत्पादों का व्यापार और वितरण (व्यवस्था और सुधार) अधिनियम 2023, जिसे किसानों ने मंडी खत्म करने वाला कानून कहा है।
इस कानून के तहत, किसानों को अपनी फसल को मंडी के बाहर भी बेचने की आजादी मिलेगी, जिससे उन्हें अधिक विकल्प और बेहतर मूल्य मिल सके। लेकिन किसानों का डर है कि इससे मंडी की व्यवस्था खत्म हो जाएगी और उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी नहीं मिलेगी। MSP वह मूल्य है, जिसे सरकार द्वारा निर्धारित किया जाता है, और जिसके अनुसार सरकार या उसके एजेंसियां किसानों से फसल खरीदती हैं।
किसानों का मानना है कि MSP उनके लिए एक सुरक्षा जाल है, जो उन्हें बाजार के उतार-चढ़ाव से बचाता है।
इसी तरह, सरकार ने दो और कानून पारित किए हैं, इन कानूनों का उद्देश्य है कि किसानों को अपनी फसलों के लिए निजी कंपनियों, व्यापारियों और बाजारों के साथ सीधे समझौते करने की अनुमति दी जाए, जिससे उन्हें अधिक लाभ मिल सके। इन कानूनों के अनुसार, किसानों को अपनी फसलों की बिक्री के लिए किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में जाने का अधिकार है, और उन्हें किसी भी तरह के टैक्स या शुल्क का भुगतान नहीं करना है। इसके अलावा, किसानों को अपनी फसलों के लिए अपनी मर्जी के अनुसार मूल्य तय करने का अधिकार है, और उन्हें किसी भी तरह के न्यायिक या विधिक झगड़े से बचने के लिए नियमित और सरल विवाद निपटान प्रक्रिया का लाभ मिलेगा।
सरकार का कहना है कि इन कानूनों से किसानों की आजादी और आत्मनिर्भरता बढ़ेगी, और उन्हें बाजार के अनुकूल अवसर मिलेंगे। सरकार ने यह भी दावा किया है कि इन कानूनों से MSP या एपीएमसी मंडियों का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, और ये दोनों ही जारी रहेंगे। लेकिन किसानों को इन बातों पर भरोसा नहीं है, और वे इन कानूनों को ख़तरनाक और घातक मानते हैं। वे डरते हैं कि इन कानूनों के चलते उन्हें निजी कंपनियों के आगे झुकना पड़ेगा, और उनकी आय और मानवाधिकार दोनों ही ख़तरे में पड़ जाएंगे।
इसलिए, किसानों ने इन कानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन शुरू किया है, और वे इन्हें वापस लेने की मांग कर रहे हैं। वे कहते हैं कि इन कानूनों को बिना उनकी राय लिए बनाया गया है, और इसमें उनके हितों का कोई ख़याल नहीं रखा गया है। वे यह भी चाहते हैं कि MSP को एक क़ानूनी अधिकार बनाया जाए, और उनके साथ कोई भी अन्याय न हो।
दोस्तों, यह था हमारा आज का विशेष कार्यक्रम, जिसमें हमने आपको बताया कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने किसानों के दिल्ली चलो आंदोलन को कैसे नकारा है, और किसानों ने उनके बयान का कैसे जवाब दिया है। साथ ही आपको किसानो के मुद्दों पर भी जानकारी साँझा की। अगर आपको यह कार्यक्रम पसंद आया हो, तो हमें लाइक, शेयर और कमेंट करके बताएं। आप हमें ट्विटर और फेसबुक पर भी फॉलो कर सकते हैं।
नमस्कार आप देख रहे है AIRR न्यूज़।
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