Dr. Ambedkar always stood third and fourth in the results of the Lok Sabha elections.

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Dr. Ambedkar always stood third and fourth in the results of Lok Sabha elections.

लोकसभा चुनाव के रिजल्ट में हमेशा तीसरे और चौथे नंबर पर रहे डॉ.अम्बेडकर

भारतीय मुक्ति संग्राम के महानायकों में एक नाम डॉ. भीम राव अम्बेडकर भी है। डॉ. अम्बेडकर और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की उम्र में 22 साल का अंतर था। अम्बेडकर ने ब्रिटेन से इकॉनामिक्स में डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की थी। इसके बाद कानून की पढ़ाई करके बैरिस्टर बन गए। एक वक्त में डॉ. अम्बेडकर इंग्लैंड में रह रहे सबसे काबिल भारतीय थे।

इतना नहीं Dr. Ambedkar भारतीय संविधान के ड्राफ्टिंग कमेटी के प्रमुख थे, उन्हें भारतीय संविधान का आर्किटेक्ट भी कहा जाता है। भारतीय समाज में फैले छुआछूत और जाति प्रथा का मुखर विरोध करने वाले डॉ. अम्बेडकर ने भारत का संविधान तो जरूर लिखा लेकिन कभी भी चुनाव जीतकर संसद तक नहीं पहुंच पाए। आपको जानकर हैरानी होगी कि बाबा साहेब के नाम से विख्यात डॉ. भीम अम्बेडकर दो बार लोकसभा चुनाव लड़े लेकिन दोनों ही बार उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा। बता दें कि दोनों ही बार चुनावी रिजल्ट में उन्हें करारी शिकस्त झेलनी पड़ी, दरअसल उन्हें तीसरे और चौथे नंबर पर ही संतोष करना पड़ा। इस स्टोरी में हम आपको डॉ.अम्बेडकर से जुड़े दोनों लोकसभा चुनाव परिणामों पर थोड़ा विस्तार से चर्चा करेंगे।

बता दें कि भारतीय संविधान निर्माता Dr. Ambedkar देश की पहली अंतरिम सरकार में कानून मंत्री थे। लेकिन कांग्रेस से मतभेद के चलते उन्होंने 27 सितम्बर, 1951 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। दरअसल अम्बेडकर पं. नेहरू के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार द्वारा अनुसूचित जातियों की उपेक्षा से नाराज ​​थे। इसके बाद बाबा साहेब शेड्यूल कास्ट्स फेडरेशन को खड़ा करने में जुट गए। ठीक एक साल बाद 1952 में देश में पहला आम चुनाव हुआ, जिसमें डॉ. अम्बेडकर ने अपने पार्टी से 35 प्रत्याशी खड़े किए लेकिन सिर्फ 2 प्रत्याशी ही जीत पाए। 1952 के लोकसभा चुनाव में डॉ. अम्बेडकर ने महाराष्ट्र की उत्तरी मुंबई सीट से चुनाव लड़ा और हार गए। 

डॉ. अम्बेडकर को उनके ही पूर्व सहयोगी रहे कांग्रेस प्रत्याशी एनएस काजोलकर ने हरा दिया। चुनाव में आंबेडकर को 1,23,576 वोट मिले और काजरोल्कर को 1,37,950 वोट मिले। एनएस काजोलकर ने डॉ. अम्बेडकर तकरीबन 15 हजार वोटों से पराजित कर दिया। बाबा साहेब अपने इस पहले लोकसभा चुनाव परिणाम में चौथे नंबर पर थे। महाराष्ट्र के जिस क्षेत्र से उन्होंने चुनाव लड़ा था वो डॉ. अम्बेडकर की कर्मभूमि थी, बावजूद इसके चुनाव हार गए थे। उत्तर मुम्बई सीट से चुनाव हारने पर डॉ. अम्बेडकर को गहरा दुख हुआ था।

बाबा साहेब के चुनाव हारने के बाद कांग्रेस का कहना था कि वह सोशल पार्टी का साथ दे रहे थे, इसलिए उनका विरोध करना पार्टी की मजबूरी थी। जानकारी के लिए बता दें कि साल 1954 में बंडारा में हुए लोकसभा उपचुनाव में भी डॉ. अम्बेडकर ने अपनी किस्मत आजमाई लेकिन इस बार भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा। अम्बेडकर उपचुनाव में तीसरे नम्बर पर रहे। दूसरे लोकसभा चुनाव से पहले ही अम्बेडकर की मौत हो चुकी थी। अम्बेडकर की मौत 65 साल की उम्र में 6 दिसम्बर को 1956 में हो गयी। समाजशास्त्री और जेएनयू के प्रोफ़ेसर विवेक कुमार के मुताबिक कांग्रेस नहीं चाहती थी कि बाबा साहब दलितों के नेता के रूप में प्रचारित और प्रसारित हो। इसीलिए उन्होंने बाबा साहेब को हरा दिया।

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