The cursed bungalow in Mumbai that ruined the careers of three Bollywood superstars
मुम्बई का वह शापित बंगला जिसने बर्बाद कर दिया तीन Bollywood Superstars का करियर
1950 के दशक में मुंबई के पॉश इलाके में मौजूद एक फेमस बंगला था ‘आशीर्वाद’ जिसे लोग शापित और हन्टेड मानने लगे थे। जानिए क्या है इस फेमस बंगले की स्टोरी…
सी फ़ेसिंग इस दो मंजिले बगले का मालिकाना हक एंग्लो-इंडियन परिवार के पास था, जिसे 1950 के दशक की शुरूआत में बॉलीवुड के महान एक्टर भारत भूषण ने खरीद लिया। इसके बाद ‘बैजू बावरा’, ‘मिर्ज़ा ग़ालिब’, ‘गेटवे ऑफ़ इंडिया’ और ‘बरसात की रात’ जैसी हिट फिल्में देने वाले भरत भूषण की स्थिति ऐसी हो गई कि उनकी फ़िल्में फ्लॉप होने लगीं और वे भारी कर्ज में डूब गये। हालात ऐसे हो गए कि भरत भूषण को यह बंगला खानी करना पड़ा। इसके बाद से इस इलाके के लोग कहने लगे कि जो भी इस बंगले में रहेगा उसका करियर बर्बाद हो जाएगा।
जब सुपरस्टार अभिनेता राजेन्द्र कुमार को इस बंगले के बारे में पता चला तो उन्होंने महज 60 हजार में इसे खरीद लिया और इस बंगले का नाम अपनी बेटी के नाम पर ‘डिंपल’ रखा। इस बंगले में रहने से पहले राजेन्द्र कुमार ने पूजा कराई इसके बाद वह हिट पर हिट फिल्में देने लगे। लेकिन 1968-69 के आसपास जुबली कुमार के नाम फेसम राजेन्द्र कुमार की हालत भी कुछ भरत भूषण की तरह हो गई। उनकी फिल्में बॉक्स आफिस पर पिटने लगीं और वे कर्ज के जाल में उलझ गए आखिरकार मजबूर होकर उन्हें यह बंगला बेचना पड़ा।
जानकारी के लिए बता दें कि 70 के दशक में इस बंगले को राजेश खन्ना ने खरीद लिया और इसका नाम ‘आशीर्वाद’ रखा। इसके बाद राजेश खन्ना की किस्मत ऐसी बदली कि उन्हें हिन्दी सिनेमा का नया सुपरस्टार कहा जाने लगा। उन्होंने लगातार 17 हिट फ़िल्में दीं और स्क्रीन आइडल बन गए। फिर क्या था राजेश खन्ना का बंगला ‘आशीर्वाद’ मुंबई में पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन गया।
आखिरकार राजेश खन्ना के साथ भी वही हुआ जो भरत भूषण और राजेन्द्र कुमार के साथ हुआ था। 70 के दशक के सुपरस्टार राजेश खन्ना की फिल्में एक के बाद एक पिटने लगी, हालत यह हो गई कि उन्होंने फिल्मों में काम करना ही बंद कर दिया। अब राजेश खन्ना की जगह अमिताभ बच्चन ने ले ली।
राजेश खन्ना की हालत ऐसी हो गई कि उनकी पत्नी डिंपल भी अपनी दो बेटियों के साथ उन्हें छोड़कर चली गई। राजेश खन्ना के पास कोई काम नहीं था, लिहाजा वह आशीर्वाद की जगह अपने लिंकिंग रोड वाले ऑफ़िस में ज़्यादा समय बिताने लगे।
अपने जीवन के आखिरी वक्त तक राजेश खन्ना इसी बंगले में रहे। उनकी मौत के बाद साल 2014 में इस बंगले को एक बिजनेसमैन ने 90 करोड़ में खरीद लिया। फरवरी 2016 में इस बंगले को तोड़ दिया गया, इसी के साथ यह शापित बंगला हमेशा-हमेशा के लिए खत्म हो गया।
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