Because of that, I consider myself complete, I know my mother before God.

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Because of that, I consider myself complete, I know my mother before God.

“जिसके होने से मैं खुद को मुक्कम्मल मानता हूँ, मैं खुदा से पहले मेरी माँ को जानता हूँ।“

गुजरात के सूरत में अपना कारोबार चलाने वाले ‘जालान परिवार’ के इस बेहद खूबसूरत आशियाने का नाम ‘मां का आशीर्वाद’ है। मां अम्बे, तापी mother, कुल देवी  और पितरों की असीम कृपा को अपना सौभाग्य मानने वाला यह परिवार आज से ठीक पांच साल पहले एक साधारण से फ्लैट में रहता था, लेकिन मां अम्बे की प्रेरणा और असीम कृपा से यह खूबसूरत विला जालान परिवार को नसीब हुआ है। 

इस खूबसूरत आशियाने को सबसे पहले अपने माता-पिता को समर्पित करने वाले इस परिवार की कामयाबी में उनके पिताजी की प्रेरणा, परिश्रम और संस्कारों की स्पष्ट झलक मिलती है। जालान परिवार में सबसे बड़े आशीष भाई के पिताजी तकरीबन 30 सालों से प्रतिदिन तापी मां के दर्शन करना नहीं भूलते हैं। चाहे बारिश हो या आंधी-तूफान वे तापी mother के दर्शन जरूर करते हैं। 

अपने जीवन को ढूढ़ते रहे हम कश्मीर से कन्याकुमारी 

लेकिन जिंदगी हमारी लीन थी मां तापी के किनारे।

तापी मां के परम भक्त आशीष भाई के पिताजी को इसका यह प्रतिफल मिला है कि उनके इस खूबसूरत विला के हर कमरे से तापी माता के दर्शन होते हैं। आशीष भाई की मां भी किसी देवी से कम नहीं हैं, उनके लिए परिवार से बढ़कर इस दुनिया में कुछ भी नहीं है। 

यह बिल्कुल सच है कि जिस परिवार मे एकता बनी रहती है वह परिवार जीवन की सभी चुनौतियों का सामना करते हुए उन्नति की ओर अग्रसर होता है। आशीष जालान और उनके छोटे भाई के संयुक्त परिवार के मेलजोल, आपसी समझ, परिश्रम और संस्कारों की वजह से जालान परिवार को उनके सपनों के घर की चाबी नसीब हुई है। 

जालान परिवार बिल्डर मनीष भाई मकवाना और राजेश भाई मकवाना को भी पूरी शिद्दत के साथ धन्यवाद देना नहीं भूलता है। इस अतिसुन्दर विला के बुकिंग से लेकर रजिस्ट्री तक के लिए मकवाना साहब को पूरा श्रेय देने वाला यह परिवार इस प्रोत्साहन और मदद के लिए उन्हें हर पल याद करता है।

आशीष भाई जालान को अपने बेटे की तरह प्यार करने वाले झुंझनु निवासी श्री मनीराम जांगिड़जी इस मकान के आर्किटेक्ट हैं। उन्होंने इस विला को अपना खुद का घर समझकर बेहतरीन और खूबसूरत स्वरूप दिया है। जालान परिवार के सपनों का घर तैयार करने के लिए वे लगातार ढाई वर्षों तक हर दस दिन बाद गाड़ी खुद ड्राइव करके मुंबई से सूरत आते रहे, यह किसी तपस्या से कम नहीं है। इसके लिए पूरा जालान परिवार उनका हमेशा ऋणी रहेगा। इतना ही नहीं, जालान परिवार आर्किटेक्ट की पूरी टीम यानि यानि पीओपी, पत्थरवाले, कारपेन्टर, पेन्टर, पलम्बर और इलेक्ट्रिशियन आदि को सह्दय धन्यवाद देना चाहते हैं जिन्होंने दिन-रात एक करके और खून पसीना बहाकर स्वर्ग सरीखे घर को तैयार किया है।सनातन संस्कारों का अनुपालन करने वाले जालान परिवार ने गृहप्रवेश के दौरान मां अम्बे की छोटी प्रतिमा, गाय, तुलसी, कलश और नौ कन्याओं को भोजन करवा कर पूजा संपन्न करवाया।

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