China is deep in debt … trapped in the whirlpool of hunger
debt के गर्त में चीन…भुखमरी के भंवरजाल में फंसा
चीन की चौपट होती अर्थव्यवस्था किसी से छिपी नहीं है…मीडिया का मुंह बंद करके भले ही चीन दुनिया को अपनी चमक-दमक दिखाता हो लेकिन असलियत भी अब किसी से छिपी नहीं है…कोविड-19 के चलते चीनी अर्थव्यवस्था पहले से ही तबाह होनी शुरू हो गई थी और अब चीन की चालबाज सरकार की ओर से उठाए गए गलत कदमों ने इसकी हालत बद से बदतर कर दी है…सालों तक सख्त कोविड-संबंधी नीति ने उसकी आर्थिक वृद्धि को इस हद तक नुकसान पहुंचाया कि चीन अब उससे उबर नहीं पा रहा है…
चीन की बिगड़ती आर्थिक स्थिति और बाजार में फैली असंभावनाओं ने वैश्विक स्तर पर भय का माहौल पैदा कर दिया है, जिससे विदेशी निवेश का दायरा काफी कम हो गया है…चीन अभी भी लुभावने वादे कर रहा है लेकिन निवेश के लिए कोई भी अब चीन की चाल में फंसना नहीं चाहता…कई प्रमुख कंपनियां जो विनिर्माण के लिए पूरी तरह से चीन पर निर्भर थीं, अब भारत, वियतनाम और थाईलैंड जैसे अन्य देशों में निवेश कर रही हैं…जो चीन को आर्थिक रूप से खोखला कर रही हैं…
चीन की अर्थव्यवस्था के चौपट होने के पीछे क्या वजह है… इसके लिए कुछ कहने की जरूरत नहीं है, चीन के बिगड़ते विदेशी संबंधों ने पूरा खेल बिगाड़ दिया है…अमेरिका के साथ इसके व्यापार वॉर ने पिछले कुछ सालों में काफी नुकसान पहुंचाया…ताइवान और जापान के साथ विवाद ने भी चीन को मुसीबत में डाला है…
चीन फिलहाल जिस जोखिम का सामना कर रहा है उसका एक हिस्सा उसके भारी debt को लेकर भी है…ब्लूमबर्ग रिपोर्ट के मुताबिक 2023 की पहली तिमाही में चीन का कुल कर्ज जीडीपी अनुपात से रिकॉर्ड 279 प्रतिशत था…इसके अलावा, बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स के आंकड़ों के मुताबिक चीन का कुल debt 2022 तक देश की जीडीपी का लगभग 300 प्रतिशत है…जो आने वाले सालों में चीन को पूरी तरह कंगाल कर सकता है…भुखमरी की कगार पर पहुंच सकता है
दूसरी ओर चीन में रियल स्टेट मार्केट की हालत बेहद खस्ता है….हाल ही में चीन की सबसे बड़ी रियल स्टेट कंपनी एवरग्रांड ग्रुप ने खुद को दिवालिया घोषित किया था…कंपनी के इस ऐलान के बाद अमेरिका में हड़कंप मच गया…क्योंकि एवरग्रांड ग्रुप ने न्यूयॉर्क की एक अदालत में दिवालियापन के लिए आवेदन किया है…चीन की दिग्गज कंपनी का दिवालिया हो जाना उसकी बिगड़ती आर्थिक सेहत को साफ बयां कर रही है कि वो इकोनॉमी के मोर्चे पर किस संकट से जूझ रहा है…एवरग्रांड जैसे ग्रुप के दिवालियापन की खबर ऐसे समय में आई है जब चीन की इकोनॉमी पटरी पर वापसी के लिए रास्ते तलाश रही है…
इतना ही नहीं चीन में कई कंपनियों ने अपने प्रोजक्ट पूरे कर लिए है…लेकिन उन्हें खरीदार नहीं मिल रहा है…दिग्गज रियल एस्टेट कंपनी कंट्री गार्डन के मुताबिक उसे छह महीने में 7.6 अरब डॉलर का भारी-भरकम नुकसान उठाना पड़ा है…बता दें कि चीन की जीडीपी में रियल एस्टेट सेक्टर की हिस्सेदारी 30 फीसदी के आसपास है…ऐसे में एवरग्रांड और कंट्री गार्डन जैसी दिग्गज कंपनियों की ये हालत चीन की इकोनॉमी के लिए बड़ा झटका है…क्योकि ये अकेली कंपनियां अकेले ही लाखों रोजगार पैदा करती थी…
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