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ट्रेन ड्राइवरों को करनी पड़ती है खटमल और मच्छर की शिकायतें, कितना अमल करता है रेलवे बोर्ड; ट्रेन दुर्घटनाओं की वजह कहीं यही तो नहीं…

 

इन दिनों कई रेल दुर्घटनाएं हुई हैं। ये एक्सीडेंट्स अक्सर रात के समय या अलसुबह हुए हैं। ऐसे में लोको पायलटों की शिकायतें बिल्कुल सही लगती हैं। अगर आराम करते समय उनके बेड पर खटमल टहलते मिलेंगे और रातभर मच्छर काटेंगे तो वो कैसे भरपूर नींद ले सकते हैं। जिससे ट्रेनों के ऑपरेशन के बाधित होने का खतरा हो सकता है।-Odisha Train Accident

खटमल और मच्छर किसी की भी नींद खराब कर सकते हैं, लेकिन खटमल तो सुरक्षित रेल ऑपरेशन के लिए भी खतरा बनते जा रहे हैं। इसके बारे में जानकारी रेलवे रनिंग रूम में रखी शिकायत पंजिकाओं में की गई प्रविष्टियों से मिली है।-Odisha Train Accident

क्या होता है रनिंग रूम?

रनिंग रूम वह कक्ष होता है जहां लोको पायलट अपनी ड्यूटी पूरी करने के बाद आराम फरमाते हैं।-Odisha Train Accident

रेलवे बोर्ड ने दिया तुरंत कार्रवाई का आदेश

खटमल और मच्छर की समस्या की शिकायत पंजिका में एक प्रविष्टि नहीं है। बल्कि इन शिकायतों की संख्या काफी अधिक है। इन पर कार्रवाई करते हुए रेलवे बोर्ड ने सभी जोन को तुरंत समाधान करने का निर्देश दिया है। इसके अलावा भी शिकायतें दर्ज की गई हैं, जिनमें अस्वास्थ्यकर भोजन, गंदे कमरे और खराब एसी से संबंधित हैं। –Odisha Train Accident

लोको पायलट ने कैसे किया शिकायत?

एक लोको पायलट और उसके सहायक ने 28 अगस्त को उत्तर पश्चिम रेलवे जोन के अजमेर मंडल में एक रनिंग रूम की शिकायत पुस्तिका में लिखा कि मैं कमरा नंबर 10 में खटमलों के कारण रात 12.30 बजे से जाग रहा हूं। अधूरे आराम के कारण मैं असहज महसूस कर रहा हूं। इससे ट्रेन संचालन को नुकसान हो सकता है।

सुपरवाइजर ने दिया जवाब

सुपरवाइजर ने अपनी कार्रवाई रिपोर्ट में लिखा कि उन्होंने 31 अगस्त को कीट नियंत्रण और चूहों को भगाने संबंधी सेवा के लिये आदेश दिया था और समस्या का समाधान हो गया है।

नागपुर मंडल के बल्हारशाह रनिंग रूम में भी उठा मुद्दा 

मध्य रेलवे जोन के अंतर्गत नागपुर मंडल के बल्हारशाह रनिंग रूम में एक सहायक लोको पायलट ने इसी तरह का मुद्दा उठाया और आरोप लगाया कि खटमलों के बारे में उसकी पिछली शिकायतों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।

सहायक लोको पायलट ने उठाया चूहों का मुद्दा

सहायक लोको पायलट ने लिखा कि खटमलों की समस्या पहले भी थी और अब भी कक्ष संख्या 15, 16 या 17 में बनी हुई है। अब चूहे भी एक समस्या बन गए हैं। रनिंग रूम में आराम करने की बजाय हम परेशान हो जाते हैं। अगर हमें पूरी नींद नहीं मिलेगी तो हम अपना काम कैसे करेंगे।

हालांकि, सुपरवाइजर ने शिकायत पर की गई कार्रवाई कॉलम में लिखा है कि 21 जून के बाद से उन्हें ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली है। उन्होंने लिखा, हम समय-समय पर कीट नियंत्रण उपाय अपनाते रहते हैं।

उपलब्ध कराया गया चूहा पकड़ने का उपकरण

सहायक लोको पायलट की शिकायत के बाद समुचित जांच की गई और कीटनाशकों का छिड़काव किया गया। साथ ही यह भी लिखा कि चूहा पकड़ने वाला उपकरण भी उपलब्ध कराया गया है।

दूसरे रेल मंडलों में आईं खटमलों की शिकायतें

रनिंग रूम की शिकायत पुस्तिकाओं से पता चलता है कि खटमल का प्रकोप अन्य रेल मंडलों में भी है। उदाहरण के लिए, सोलापुर रेल मंडल के कुर्दुवाड़ी जंक्शन के रनिंग रूम में लोको पायलटों ने खटमल की शिकायत की है।

KWR के बेड संख्या 7 की आई शिकायत

एक मेल ट्रेन के लोको पायलट ने शिकायत की, KWR (कुर्दुवाड़ी जंक्शन) रनिंग रूम के बेड संख्या 7 पर खटमल रेंग रहे थे, जिसके कारण मेरी नींद में खलल पड़ा और मुझे बीच में ही बिस्तर बदलना पड़ा। कृपया इस समस्या का समाधान करें ताकि अन्य कर्मचारियों को ऐसी समस्याओं का सामना न करना पड़े।

भोजन की क्वॉलिटी को लेकर उठते रहे हैं सवाल

खटमलों के अलावा, मच्छर भगाने वाली दवाओं की कमी, खराब स्वच्छता और भोजन की क्वॉलिटी, और खराब एयरकंडीशनिंग सिस्टम कुछ ऐसे मुद्दे हैं, जिन्हें लोको पायलट अक्सर शिकायत पुस्तिका में उठाते हैं।

लोको पायलट ने जताई किसी अनहोनी की आशंका

अपनी पीड़ा साझा करते हुए एक लोको पायलट ने कहा कि हाल ही में रनिंग रूम में मच्छरों के कारण मैं पूरी रात सो नहीं सका। सुपरवाइजर मच्छर भगाने वाली सामग्री उपलब्ध कराने में विफल रहा। अगर कल को गाड़ी चलाते समय कुछ अनहोनी हो जाए तो लोग लोको पायलट को ही दोषी ठहराएंगे। इन रनिंग रूम में दी जाने वाली खराब सेवा पर किसी ने सवाल नहीं उठाया।

16 रेलवे जोन में हैं कुल 2136 रनिंग रूम

रेलवे रिकॉर्ड के अनुसार, 16 रेलवे जोन में 2,136 रनिंग रूम हैं, जिनमें से उत्तरी रेलवे जोन में ऐसे 363 कक्ष हैं, जो सबसे अधिक है।

अधिकारियों ने दी सफाई

अधिकारियों का कहना है कि प्रमुख स्टेशनों पर रनिंग रूम का रखरखाव बहुत अच्छा है और वहां भोजन की क्वॉलिटी भी अच्छी है।

रनिंग रूम से जुड़े रेलवे के एक अधिकारी ने कहा कि दूसरे रनिंग रूम में भी समस्याएं हैं जो राज्य की राजधानियों से दूर और अपेक्षाकृत छोटे स्टेशनों पर स्थित हैं। उचित सेवाओं की कमी के कारण कर्मियों और लोको पायलटों के बीच झगड़े के मामले सामने आए हैं।

ठेकेदारों पर लगाया जाता है आर्थिक दंड

रनिंग रूम की सेवाओं की देखभाल के लिए प्रबंधक के रूप में तैनात विभिन्न जोनों के रेलवे अधिकारियों का कहना है कि खानपान और रखरखाव के काम के लिए नियुक्त निजी ठेकेदारों को अक्सर चेतावनी दी जाती है और खराब सेवा के लिए आर्थिक रूप से दंडित भी किया जाता है।

रेलवे बोर्ड ने दिया शिकायतें दूर करने का निर्देश

रेलवे बोर्ड ने तीन सितंबर को सभी रेलवे जोन को लिखित निर्देश जारी कर रनिंग रूम की शिकायत निवारण प्रणाली को दुरुस्त करने को कहा था।

शिकायतों पर रेलवे बोर्ड रख रहा है बारीक नजर

तीन सितंबर को लिखे गये बोर्ड के पत्र में कहा गया कि रेलवे बोर्ड में उच्चतम स्तर पर रनिंग रूम और चालक दल की सुविधाओं के रखरखाव पर बारीकी से नजर रखी जा रही है। यह आवश्यक है कि चालक दल द्वारा दर्ज की गयी शिकायतों का तुरंत समाधान करने के लिए शिकायत निवारण तंत्र को सुदृढ़ बनाया जाए।

पिछले 100 दिनों में दर्ज शिकायतों की होगी समीक्षा

इसने सभी मुख्यालय अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे हर सप्ताह कम से कम चार रनिंग रूमों के लिए पिछले 100 दिनों में दर्ज शिकायतों की समीक्षा करने के लिए शिकायत रजिस्टर की एक प्रति मंगवाएं और मंडल द्वारा की गई कार्रवाई की क्वॉलिटी और समय की जांच करें, ताकि हर तिमाही में जोन के सभी रनिंग रूमों को इसके दायरे में लाया जा सके। मुख्यालय को शिकायतों, उसके द्वारा देखी गई लापरवाही और की गई कार्रवाई का उचित दस्तावेजीकरण करना होगा।

किसी भी समय मंगाये जा सकते हैं रिकॉर्ड

बोर्ड ने कहा कि रेलवे बोर्ड द्वारा मुख्यालय अधिकारीयों के साथ इन अभिलेखों को बोर्ड स्तर पर समीक्षा के लिए किसी भी समय मंगाया जा सकता है।

गौरतलब है कि इस साल कई बार रेल दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। रेल दुर्घटनाओं के मामले अक्सर रात के समय या तड़के सुबह ही ज्यादातर आए हैं। ऐसे में यह सवाल उठता है कि इनके पीछे कहीं लोको पायलट की शिकायतों पर अमल नहीं होना तो नहीं है। अगर लोको पायलट रातभर नहीं सो पाएगा तो जाहिर तौर पर ट्रेन के ऑपरेशन के समय उसे नींद भी आ सकती है। इसलिए यह एक गंभीर मामला है। रेलवे बोर्ड को इस समस्या पर तत्काल अमल किए जाने की जरूरत है।
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BJP विधायक ने की मायावती पर टिप्पणी, भड़क गए अखिलेश यादव, BSP सुप्रीमो हो गईं मुरीद; क्या उपचुनावों में दिखेगा इसका असर?

 

अखिलेश यादव के सपोर्ट का मायावती ने आभार जताया। जिससे यह कयास लगाए जा रहे हैं कि अखिलेश यादव ने महफिल लूट ली। इसका माइलेज उन्हें उपचुनावों में मिल सकता है। – Mayawati On Akhilesh yadav

Article:

नेताओं के रंग और अंदाज अलग-अलग होते हैं. कब कौन नेता किसके साथ चला जाए और किसके समर्थन में खड़ा हो जाए? इसके बारे में अनुमान लगा पाना बहुत मुश्किल होता है। नेताओं की विचारधाराएं भले अलग होती हैं, लेकिन कई बार एक दूसरे का समर्थन करते हुए नजर आ आ जाते हैं। इसी तरह का एक वाकया उत्तर प्रदेश में देखने को मिला। जब मथुरा से भाजपा के विधायक राजेश चौधरी ने एक निजी टीवी चैनल के डिबेट में शामिल होकर मायावती को सबसे भ्रष्ट सीएम बताया तो सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव आगबबूला हो गए. अखिलेश के इस अंदाज की मायावती मुरीद बन गईं और उन्होंने सोशल साइट एक्स पर एक पोस्ट करके अखिलेश यादव के आभार जताया। इतना ही नहीं सोशल मीडिया पर अखिलेश यादव को शुक्रिया देने के लिए बहुजनों की बाढ़ आ गई। – Mayawati On Akhilesh yadav

अखिलेश ने मारा मौके पर चौका

अखिलेश यादव ने मौके पर चौका मार दिया। अखिलेश यादव के समर्थन से बहुजन समाज उनके सपोर्ट का मुरीद हो गया। अभी हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनावों के दौरान समाजवादी पार्टी को बहुजनों ने खुलकर सपोर्ट किया, जिसका नतीजा यह हुआ कि समाजवादी पार्टी के सांसदों की संख्या पांच से बढ़कर 37 पर पहुंच गई। ऐसे में अब विधानसभा के उपचुनाव कराए जाने हैं तो क्या बसपा का कोर वोटर अखिलेश यादव पर फिर से भरोसा जताएगा? – Mayawati On Akhilesh yadav

भाजपा विधायक की टिप्पणी की अखिलेश ने की निंदा

अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया के जरिए प्रतिक्रिया देते हुए लिखा कि उप्र के एक भाजपा विधायक द्वारा सूबे की एक भूतपूर्व महिला मुख्यमंत्री जी के प्रति कहे गये अभद्र शब्द दर्शाते हैं कि भाजपाइयों के मन में महिलाओं और खासतौर से वंचित-शोषित समाज से आनेवालों के प्रति कितनी कटुता भरी है। 

राजनीति में मतभेद अपनी जगह होते हैं लेकिन एक महिला के रूप में उनका मान-सम्मान खंडित करने का किसी को भी अधिकार नहीं है। भाजपाई कह रहे हैं कि उन्हें मुख्यमंत्री बनाकर हमने गलती की थी, ये भी लोकतांत्रिक देश में जनमत का अपमान है और बिना किसी आधार के ये आरोप लगाना कि वो सबसे भ्रष्ट मुख्यमंत्री थीं, बेहद आपत्तिजनक है। भाजपा के विधायक के ऊपर, सार्वजनिक रुप से दिये गये इस वक्तव्य के लिए मानहानि का मुकदमा होना चाहिए। – Mayawati On Akhilesh yadav

भाजपा ऐसे विधायकों को प्रश्रय देकर महिलाओं के मान-सम्मान को गहरी ठेस पहुँचा रही है। अगर ऐसे लोगों के ख़िलाफ़ भाजपा तुरंत अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं करती है तो मान लेना चाहिए, ये किसी एक विधायक का व्यक्तिगत विचार नहीं है बल्कि पूरी भाजपा का है। घोर निंदनीय।

इसके साथ ही उन्होंने उस वीडियो को भी ट्वीट किया जिसमें भाजपा विधायक मायावती को सबसे भ्रष्ट मुख्यमंत्री बताते हुए सुने जा सकते हैं। 

मायावती ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करके जताया अखिलेश का आभार

अखिलेश यादव का सपोर्ट पाते ही बसपा सुप्रीमो मायावती ने मामले को लपक लिया। जैसे वे इसी बात का इंतजार कर रही हों। मायावती ने अखिलेश के समर्थन के लिए उनका आभार जताया। मायावती ने लिखा कि सपा मुखिया ने मथुरा जिले के एक भाजपा विधायक को उनके गलत आरोपों का जवाब देकर बीएसपी प्रमुख के ईमानदार होने के बारे में सच्चाई को माना है, उसके लिए पार्टी आभारी है। साथ ही कई ट्वीट करके भाजपा विधायक के आरोपों की कड़े शब्दों में निंदा की। 

उन्होंने आगे लिखा कि पार्टी को भाजपा के इस विधायक के बारे में ऐसा लगता है कि उसकी अब भाजपा में कोई पूछ नहीं रही है। इसलिए वह बसपा प्रमुख के बारे में अनाप-शनाप बयानबाजी करके सुर्खियों में आना चाहता है, जो अति-दुर्भाग्यपूर्ण। 

सोशल मीडिया पर अखिलेश को मिला भरपूर सपोर्ट

जिसके बाद सोशल मीडिया पर अखिलेश यादव के प्रशंसकों के विचारों की मानो बाढ़ सी आ गई। सोशल मीडिया पर लिखने वाले तो यहां तक लिखने लगे कि मानो मायावती और अखिलेश यादव फिर से एक साथ आने जा रहे हैं। 

अखिलेश के कदम से झूम उठे दलित

अब सवाल यह है कि राज्य में 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने जा रहे हैं. उसमें कितनी सीटें किसके फेवर में जाती हैं। यह देखने वाली बात है। हाल ही में लोकसभा चुनाव के नतीजों के आधार पर अनुमान लगाया जाए तो यह कहा जा सकता है कि सपा और भाजपा में कड़ा मुकाबला हो सकता है. लेकिन, बसपा और आजाद समाज पार्टी ने भी उपचुनावों में उतरने का ऐलान किया है। ऐसे में दलित वोट बंटने के कयास लगाए जा रहे हैं। अगर दलित वोटों का बंटवारा होता है तब भी समाजवादी पार्टी फायदे में रह सकती है। साथ ही जितनी सीटों पर उपचुनाव कराए जा रहे हैं, उसमें से पांच सीटें सपा के कब्जे वाली ही खाली हुई हैं। तीन सीटें भाजपा के कब्जे वाली थीं, जबकि दो सीटें उसके सहयोगी दलों की रही हैं। अब इन सीटों पर भी भाजपा अपने ही प्रत्याशी उतारने के फिराक में है। 

संविधान और आरक्षण के मुद्दे पर अखिलेश के साथ दलित

लोकसभा चुनावों में दलित वोटर काफी हद तक अखिलेश यादव और राहुल गांधी को सपोर्ट किया था। जिसकी वजह आरक्षण और संविधान था। भाजपा नेता लोकसभा चुनावों के दौरान 400 सीटें जीतने की बातें कर रहे थे, जिससे संविधान में संशोधन उनके लिए आसान हो जाता। लेकिन सपा और कांग्रेस के गठबंधन ने भाजपा का बाजा बजा दिया। मायावती की सीटें तो जीरो हो गईं। लोकसभा चुनावों के दौरान मायावती की गतिविधियां शक के दायरे से देखी जाने लगीं। जिससे दलित मतदाताओं ने अखिलेश और राहुल को हाथोहाथ लिया। 

सामान्य सीटों पर सपा ने उतारा दलित प्रत्याशी

इसके अलावा अखिलेश यादव दो सामान्य लोकसभा सीटों अयोध्या और मथुरा में दलित प्रत्याशी उतार दिया। जिसका असर पूरे उत्तर प्रदेश में देखा गया। दलितों में पासी मतदाता तो एकदम से अखिलेश यादव के साथ हो गए। नतीजा यह हुआ कि अयोध्या अवधेश प्रसाद चुनाव जीतने में कामयाब हो गए जो पासी समाज से आते हैं। वहीं मथुरा सीट पर भाजपा प्रत्याशी को बड़ी मुश्किल से जीत मिली। 

क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

उत्तर प्रदेश की राजनीति को गहराई से समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार ललित मोहन का कहना है कि लोकसभा चुनावों से ही दलित मतदाताओं का झुकाव अखिलेश यादव के प्रति बढ़ा है। अब मायावती का सपोर्ट करने से दलितों को यह लगेगा कि इसके पहले भी गलती अखिलेश यादव की नहीं खुद मायावती की रही है। मायावती अखिलेश यादव के साथ रहती तो आज राजनीतिक स्थिति कुछ और होती। ऐसे में उपचुनावों में अखिलेश यादव को माइलेज मिल सकता है। लोकसभा चुनावों में दलित मतदाताओं में जो भटकाव था। आने वाले उपचुनावों में वो कम हो सकता है।
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कोलकाता के RG Kar Medical College की घटना क्या है, जिस पर देश भर में हो रहा है बवाल, CBI कर रही है जांच और डॉक्टर्स कर रहे हैं हड़ताल? 

 

Kolkata Medical College Rape Case: 9 अगस्त 2024 को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के सेमिनार हॉल में एक महिला के साथ कथित तौर पर बलात्कार किया गया और उसकी हत्या कर दी गई. बलात्कार मामले की वजह से मेडिकल कॉलेज में सेवाएं ठप हो गई हैं, क्योंकि छात्र और डॉक्टर्स, रेजिडेंट पीजी डॉक्टर के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं. हालांकि, अब सीबीआई ने कोलकाता बलात्कार और हत्या मामले की जांच अपने हाथ में ले ली है. 

आइए, यहां पर समझने कोशिश करते हैं, क्या है पूरा मामला जिसको लेकर देशभर के डॉक्टर्स हड़ताल कर रहे हैं और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का प्रशासन कितना खरा उतर पा रहा है. साथ ही पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हत्यारोपी के लिए किस तरह की सजा दिए जाने की मांग कर रही हैं?-Kolkata Medical College Rape Case

दरअसल, यह घटना 9 अगस्त, 2024 को अस्पताल में डॉक्टर के साथ हुए भयानक तरीके से किए गए बलात्कार-हत्या के खिलाफ महिलाओं द्वारा आधी रात को किए गए विरोध प्रदर्शन के बीच हुई. प्रदर्शनकारियों के वेश में लोगों के एक समूह ने अस्पताल परिसर में प्रवेश किया, संपत्ति को नुकसान पहुंचाया और पुलिसकर्मियों पर पथराव किया.-Kolkata Medical College Rape Case

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पश्चिम बंगाल सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सार्वजनिक व्यवस्था के इस पतन के लिए राज्य सरकार सीधे तौर पर जिम्मेदार है. भाजपा नेता और विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने आरोप लगाया कि पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी द्वारा भेजे गए टीएमसी गुंडों द्वारा यह बर्बरता की गई.

महिला स्नातकोत्तर ट्रेनी डॉक्टर का शव 9 अगस्त को आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के एक सेमिनार हॉल के अंदर मिला था. अपराध के सिलसिले में एक नागरिक स्वयंसेवक को गिरफ्तार किया गया है.

दर्दनाक घटना वाली रात को क्या हुआ?

दरअसल, स्नातकोत्तर द्वितीय वर्ष की ट्रेनी डॉक्टर ने अपनी रात किसी भी अन्य रात की तरह ही बिताई. उसने अपने जूनियर्स के साथ खाना खाया और सुबह 2 बजे आराम करने का फैसला किया. अस्पताल के अंदर आराम करने के लिए कोई उपयुक्त स्थान नहीं होनी की वजह से डॉक्टर ने सेमिनार हॉल में आराम करने का फैसला किया, क्योंकि सेमिनार हॉल में उसे आराम करना सुरक्षित लगा. लेकिन अगली सुबह 9 अगस्त को एक सेमिनार हॉल के अंदर उसका शव अर्धनग्न अवस्था में पाया गया, जबकि वह पिछली रात ड्यूटी पर थी.

इस पर उसके पिता ने गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि बलात्कार के स्पष्ट संकेत थे और अस्पताल की तरफ से जांच किए जाने में देरी की जा रही थी. 

कम्यूनिटी ने इस पर कैसे किया रीएक्ट?

-अस्पताल के पीजीटी डॉक्टरों ने एमर्जेंसी सेवाओं को छोड़कर सभी विभागों में काम करना तुरंत बंद कर दिया और अपराधियों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की.

-बंगाल भाजपा विधायकों समेत विपक्षी नेताओं ने मजिस्ट्रेट के नेतृत्व में जांच कराए जाने की मांग की.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्य आए सामने

पोस्टमार्टम रिपोर्ट देखने वाले कई डॉक्टरों ने गैंगरेप की संभावना जताई. एक निजी टीवी चैनल से बातचीत करते हुए डॉ सुवर्ण गोस्वामी ने बताया कि 31 वर्षीय प्रशिक्षु डॉक्टर ने जिस तरह की चोटें पहुंचाई हैं, उससे यह साफ होता है कि यह काम किसी एक शख्स ने नहीं किया है बल्कि इसमें कई लोग शामिल रहे हैं.

– उन्होंने कहा कि शव परीक्षण रिपोर्ट के अनुसार, योनि के स्वाब से 151 मिलीग्राम तरल (वीर्य) पाया गया. डॉ गोस्वामी ने बताया कि इतनी बड़ी मात्रा में वीर्य किसी एक शख्स का नहीं हो सकता है. इससे यह साफ तौर पर जाहिर होता है कि इसमें कई लोग शामिल रहे हैं.

– प्रारंभिक शव परीक्षण रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि पीड़िता की हत्या से पहले उसका यौन उत्पीड़न किया गया था. 

– शव परीक्षण में आत्महत्या की संभावना को खारिज कर दिया गया और हिंसक मौत के अनुरूप कई चोटें पाई गईं, जिसमें टूटी हुई हड्डियां और शरीर के कई अंगों से खून बहना शामिल है. 

– सूत्रों ने बताया कि उसका नाक और मुंह ढका हुआ था, और मदद के लिए उसकी चीख को दबाने के लिए उसके सिर को दीवार या फर्श पर जोर से धकेला गया था. 

– माना जाता है कि अपराध सुबह 3 से 6 बजे के बीच हुआ. साथ ही शरीर पर गला घोंटने के निशान पाए गए. 

अब तक की गिरफ्तारियां और जांच

– पुलिस ने 33 वर्षीय स्वयंसेवक संजय रॉय को अपराध में उसकी कथित भूमिका के लिए गिरफ्तार किया है. फटे हुए ब्लूटूथ इयरफोन समेत कई सबूतों ने उसकी गिरफ़्तारी में मदद की.

– संजय रॉय पुलिस महकमे में अच्छी खासी पकड़ वाला शख्स है. इसके अलावा अस्पताल के अधिकारियों के साथ उसके अच्छे संबंध हैं जिसकी वजह से अस्पताल के अलग-अलग डिपार्टमेंट्स तक उसकी पहुंच थी.

– अब संजय रॉय के पिछले व्यवहार के बारे में आरोप सामने आने लगे हैं, जिसमें वैवाहिक दुर्व्यवहार और पोर्नोग्राफी देखने का उसका इतिहास रहा है.

कॉलेज के प्रिंसिपल के इर्द-गिर्द चर्चा

– आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के पूर्व प्रमुख डॉ संदीप घोष को छुट्टी भेज दिया गया है. लोगों को इस बात की आशंका थी कि इस दौरान मामले की जांच प्रभावित हो सकती है. 

– डॉ घोष को पीड़िता को दोषी ठहराए जाने को लेकर कमेंट किया था और अपने कर्मचारियों को पर्याप्त सुरक्षा दे पाने में विफल रहे थे जिसके लिए उनकी आलोचना की जा रही थी. जिसके बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया.

– हालांकि, घटना में एक आश्चर्यजनक मोड़ तब आया जब उन्हें महज 24 घंटे के भीतर ही कलकत्ता मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के प्रिंसिपल के रूप में बहाल कर दिया गया.

सरकार और कानूनी कार्रवाई

– पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरोपियों के लिए मौत की सजा की मांग की है और प्रदर्शनकारी डॉक्टरों के प्रति अपना समर्थन जताया है, साथ ही उनसे मरीजों की देखभाल जारी रखने का आग्रह किया है.

– राज्य सरकार ने स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए अस्पतालों में पुलिस कैंप लगाए हैं और वादा किया  कि अगर स्थानीय पुलिस सप्ताहांत तक पर्याप्त प्रगति नहीं करती है तो मामले को सीबीआई को सौंप दिया जाएगा.

कोर्ट ने मामला CBI को सौंपा

मामले में गंभीर खामियों और संबंधित अधिकारियों से सहयोग की कमी तथा कोई महत्वपूर्ण प्रगति नहीं होने का संकेत मिलते ही कोलकाता उच्च न्यायालय ने मामले को सीबीआई को सौंप दिया. केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष टीम कथित बलात्कार और हत्या की जांच शुरू करने के लिए फोरेंसिक और चिकित्सा विशेषज्ञों के साथ बुधवार को कोलकाता पहुंची.

गिरफ्तारी और जांच

आरजी कर अस्पताल मामले में अब तक कुल 25 गिरफ्तारियां की गई हैं. कोलकाता पुलिस के अनुसार, गिरफ्तार किए गए लोगों में से पांच की पहचान सोशल मीडिया फीडबैक के माध्यम से की गई है.

“कोलकाता के भयावह घटना पर उच्चतम न्यायालय ने पूछा: पुलिस और अस्पताल के प्रधान क्या कर रहे थे?”

 

सीबीआई द्वारा जांच की जा रही इस मामले ने कई मुद्दों को उजागर किया है, जिनमें साक्ष्य की पवित्रता, कानून का शासन और महिलाओं की सुरक्षा शामिल हैं।-Update on the Kolkata case

LIVE Updates: 'What Were Police, Hospital Principal Doing?': Top Court On Kolkata Horror

New Delhi: कोलकाता में एक युवा डॉक्टर के साथ हुए भयानक बलात्कार-हत्या के मामले ने देश को गहरे सदमे में डाल दिया है, जिसे अब सुप्रीम कोर्ट ने अपने संज्ञान में लिया है। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में तीन न्यायाधीशों की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है।-Update on the Kolkata case

यह मामला – जिसे सीबीआई द्वारा जांचा जा रहा है – कई मुद्दों को उजागर करता है, जिनमें साक्ष्य की पवित्रता, कानून का शासन, स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों की सुरक्षा और कार्यस्थल में महिलाओं की सुरक्षा का व्यापक मुद्दा शामिल है। इसके अलावा, यह सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस पर दबाव डाल रहा है, क्योंकि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मजबूत समर्थक महिला वर्ग में आक्रोश फैल गया है।

Here are the LIVE updates in the Kolkata rape-murder case: 

Supreme Court Urges Doctors Protesting Nationwide To Resume Duties
सर्वोच्च न्यायालय ने चिकित्सकों से आग्रह किया है कि वे कोलकाता के एक अस्पताल में एक महिला चिकित्सक के बलात्कार और हत्या के खिलाफ देशव्यापी हड़तालों के बीच अपने कर्तव्यों को फिर से शुरू करें।-Update on the Kolkata case
“Resume Work As It Affects Patients”: CJI’s Appeal To Protesting Doctors
चूंकि यह न्यायालय सभी चिकित्सा पेशेवरों की सुरक्षा से संबंधित मामले पर विचार कर रहा है, हम देशभर में प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों से अनुरोध करते हैं कि वे कार्य फिर से शुरू करें, क्योंकि इससे मरीजों को स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठाने में कठिनाई हो रही है। डॉक्टरों और चिकित्सा पेशेवरों को देश के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा विचार किया जा रहा है, “CJI चंद्रचूड़।”-Update on the Kolkata case
What National Task Force Should Consider These In Its Action Plan:

कार्यबल चिकित्सा पेशेवरों की सुरक्षा, कल्याण और अन्य संबंधित मुद्दों की जांच करेगा। एनटीए निम्नलिखित बातों पर विचार करेगा ताकि कार्य योजना तैयार की जा सके: लिंग आधारित हिंसा को रोकना, इंटर्न, रेजिडेंट और गैर-रेसिडेंट डॉक्टरों के लिए सम्मानजनक कार्य वातावरण के लिए राष्ट्रीय योजना तैयार करना।

Supreme Court Urges Doctors Protesting Nationwide To Resume Duties
सर्वोच्च न्यायालय ने चिकित्सकों से आग्रह किया है कि वे कोलकाता के एक अस्पताल में एक महिला चिकित्सक के बलात्कार और हत्या के खिलाफ देशव्यापी हड़तालों के बीच अपने कर्तव्यों को फिर से शुरू करें।
“Resume Work As It Affects Patients”: CJI’s Appeal To Protesting Doctors
चूंकि यह न्यायालय सभी चिकित्सा पेशेवरों की सुरक्षा से संबंधित मामले पर विचार कर रहा है, हम देशभर में प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों से अनुरोध करते हैं कि वे कार्य फिर से शुरू करें, क्योंकि इससे मरीजों को स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठाने में कठिनाई हो रही है। डॉक्टरों और चिकित्सा पेशेवरों को देश के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा विचार किया जा रहा है, “CJI चंद्रचूड़।”
What National Task Force Should Consider These In Its Action Plan:

कार्यबल चिकित्सा पेशेवरों की सुरक्षा, कल्याण और अन्य संबंधित मुद्दों की जांच करेगा। एनटीए निम्नलिखित बातों पर विचार करेगा ताकि कार्य योजना तैयार की जा सके: लिंग आधारित हिंसा को रोकना, इंटर्न, रेजिडेंट और गैर-रेसिडेंट डॉक्टरों के लिए सम्मानजनक कार्य वातावरण के लिए राष्ट्रीय योजना तैयार करना।

Supreme Court Urges Doctors Protesting Nationwide To Resume Duties
सर्वोच्च न्यायालय ने चिकित्सकों से आग्रह किया है कि वे कोलकाता के एक अस्पताल में एक महिला चिकित्सक के बलात्कार और हत्या के खिलाफ देशव्यापी हड़तालों के बीच अपने कर्तव्यों को फिर से शुरू करें।
“Resume Work As It Affects Patients”: CJI’s Appeal To Protesting Doctors
चूंकि यह न्यायालय सभी चिकित्सा पेशेवरों की सुरक्षा से संबंधित मामले पर विचार कर रहा है, हम देशभर में प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों से अनुरोध करते हैं कि वे कार्य फिर से शुरू करें, क्योंकि इससे मरीजों को स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठाने में कठिनाई हो रही है। डॉक्टरों और चिकित्सा पेशेवरों को देश के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा विचार किया जा रहा है, “CJI चंद्रचूड़।”
What National Task Force Should Consider These In Its Action Plan:

कार्यबल चिकित्सा पेशेवरों की सुरक्षा, कल्याण और अन्य संबंधित मुद्दों की जांच करेगा। एनटीए निम्नलिखित बातों पर विचार करेगा ताकि कार्य योजना तैयार की जा सके: लिंग आधारित हिंसा को रोकना, इंटर्न, रेजिडेंट और गैर-रेसिडेंट डॉक्टरों के लिए सम्मानजनक कार्य वातावरण के लिए राष्ट्रीय योजना तैयार करना।

1. आपातकालीन कक्ष के क्षेत्रों में अतिरिक्त सुरक्षा की आवश्यकता हो सकती है।
2. सामान की जांच आवश्यक है ताकि हथियारों का प्रवेश रोका जा सके।
3. यदि व्यक्ति मरीज नहीं हैं, तो उन्हें एक निश्चित सीमा से आगे नहीं जाने दिया जाएगा।
4. सुरक्षा को भीड़ को प्रबंधित करने की आवश्यकता है।
5. डॉक्टरों के लिए विश्राम कक्ष और नर्सों के विश्राम के लिए लिंग-निरपेक्ष स्थान होना चाहिए।
6. ऐसे क्षेत्रों में बायोमेट्रिक्स और चेहरे की पहचान की व्यवस्था होनी चाहिए।
7. सभी क्षेत्रों की उचित रोशनी और सभी स्थानों पर सीसीटीवी की स्थापना की जानी चाहिए।
8. चिकित्सा पेशेवरों के लिए रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक परिवहन की व्यवस्था होनी चाहिए।
9. शोक और संकट प्रबंधन के लिए कार्यशालाएँ आयोजित की जानी चाहिए।
10. संस्थागत सुरक्षा उपायों का त्रैमासिक ऑडिट किया जाना चाहिए।
11. फुटफॉल के अनुसार पुलिस बल की स्थापना की जानी चाहिए।
12. POSH अधिनियम चिकित्सा संस्थानों पर लागू होता है, इसलिए ICC का गठन किया जाना चाहिए।
13. चिकित्सा पेशेवरों के लिए आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर उपलब्ध होना चाहिए।

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सीबीआई ने कोलकाता अस्पताल के पूर्व प्रमुख से डॉक्टर के बलात्कार-हत्या के संबंध में पूछे गए प्रश्न ?

 

नई दिल्ली/कोलकाता: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के पूर्व प्रमुख, जो विवादों में रहे हैं, एक डॉक्टर के बलात्कार और हत्या की जांच में कठोर पूछताछ का सामना कर रहे हैं। सीबीआई पिछले तीन दिनों से संदीप घोष से मध्यरात्रि तक पूछताछ कर रही है और आज उन्हें फिर से बुलाया गया है।-Kolkata murder case update

पिछले तीन दिनों में सीबीआई ने उनसे कुछ प्रश्न किए हैं? आइए जानते हैं कि सीबीआई के अधिकारियों ने कौन से सवाल पूछे?

. इस मृत्यु को आत्महत्या घोषित करने में इतनी जल्दी क्यों की गई?
. आप स्वयं एक डॉक्टर हैं। क्या आपने यह नहीं सोचा कि अपराध स्थल को सुरक्षित रखना कितना महत्वपूर्ण है?
. किसकी सलाह पर परिवार को यह जानकारी दी गई और यह तथ्यों से क्यों रहित थी?
. आप भली-भांति जानते हैं कि अपराध स्थल पर साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ करना एक अपराध है। इसके बावजूद, आपने जांच पूरी होने तक उन्हें सुरक्षित क्यों नहीं रखा?
. डॉक्टर के परिवार को कई घंटों बाद सूचना क्यों दी गई?
. उसके परिवार को शव दिखाने में देरी क्यों हुई?
. अस्पताल में सुरक्षा व्यवस्था क्या है?
. आप घटना के तुरंत बाद क्यों इस्तीफा दे दिया? इसके पीछे का कारण क्या है?

अधिकारियों का मानना है कि पूर्व प्रधान ने अब तक इन प्रश्नों के संतोषजनक उत्तर नहीं दिए हैं।
डॉ. घोष, जिन्होंने घटना के दो दिन बाद इस्तीफा दिया, से यह भी पूछा गया है कि डॉक्टर के शव मिलने के तुरंत बाद उन्होंने क्या कदम उठाए और सेमिनार हॉल के पास उन कमरों के अचानक नवीनीकरण के बारे में भी जानकारी मांगी गई है, जहां डॉक्टर का शव पाया गया था।
सीबीआई, जो उसकी कॉल रिकॉर्ड और चैट की भी जांच कर रही है, ने उससे 9 अगस्त को हुई घटना के पूर्व और पश्चात के फोन कॉल्स का विवरण प्रदान करने के लिए कहा है। वे सेवा प्रदाता से उसकी कॉल और डेटा उपयोग की जानकारी प्राप्त करने की योजना भी बना रहे हैं।-Kolkata murder case update

 हम 15 अगस्त और 26 जनवरी को मनाते हैं, ये तिथियाँ यह दर्शाती हैं कि हमारा देश स्वतंत्र है, लेकिन क्या यह वास्तव में सत्य है?

यह मामला सभी के सामने आने पर हमें जानकारी हुई, लेकिन यह नहीं पता कि कितने ऐसे मामले हैं जिनके बारे में हमें जानकारी नहीं है।

 इसी तरह की खबरों के लिए हमसे जुड़े रहें।

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कोलकाता डॉक्टर मामला:वो 5 सवाल जिनके जवाब मिलने अभी बाक़ी हैं

 

क्या हैं वे 5 सवाल, आइए जानते हैं।Kolkata doctor-murder case
( 1 ) पहला प्रश्न: अस्पताल पर हमला करने वाले लोग कौन थे?
( 2 ) दूसरा प्रश्न: यह भीड़ कहां से उत्पन्न हुई?
( 3 ) तीसरा प्रश्न: पुलिस चुप क्यों है?
( 4 ) चौथा प्रश्न: रेज़िडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन का क्या बयान है?
( 5 ) पांचवां प्रश्न: मुख्यमंत्री का प्रदर्शन किसके विरुद्ध है?

ये वे 5 प्रश्न हैं जिनके बारे में जानना आपके लिए आवश्यक है।

पहले हमें यह समझना होगा कि यह पूरा चक्र कहाँ से प्रारंभ हुआ है।

14 और 15 अगस्त की मध्यरात्रि को महिला संगठनों और नागरिक समाज से जुड़े व्यक्तियों ने ‘रीक्लेम द नाइट’ के नारे के साथ महिलाओं को सड़कों पर उतरने के लिए प्रेरित किया था।
इस स्थिति में आरजी कर अस्पताल में चल रहे चिकित्सकों के विरोध प्रदर्शन के दौरान मंच महिला छात्रों को सौंप दिया गया।

डॉक्टर विशाखा भी मंच पर उपस्थित थीं। बीबीसी के साथ बातचीत में, उन्होंने उस रात की स्थिति का वर्णन किया, जब एक अज्ञात समूह ने धरनास्थल पर आक्रमण किया। देर रात को व्यापक तोड़फोड़ की गई।

विशाखा कहती हैं, “हमें श्यामबाज़ार के क्षेत्र में जाना था, जहाँ कोलकाता के सभी डॉक्टर, विशेषकर महिला डॉक्टर, रात को एकत्रित होने वाले थे और मोमबत्तियों के साथ मार्च करने वाले थे।”-Kolkata doctor-murder case

हम मंच पर उपस्थित थे जब अस्पताल के मुख्य द्वार के बाहर कुछ लोग इकट्ठा होने लगे। धीरे-धीरे, भीड़ बढ़ती गई और अधिक लोग वहां जमा होने लगे। हमारे सहयोगियों ने सभी महिला डॉक्टरों से मंच छोड़ने का अनुरोध किया।

उन्होंने बताया कि मंच पर उपस्थित सभी छात्राएं अचानक अपने-अपने हॉस्टलों की ओर दौड़ गईं। तभी उन्हें हंगामे और तोड़फोड़ की आवाजें सुनाई देने लगीं।

इस घटना के पश्चात कई प्रश्न उत्पन्न हो रहे हैं, जिनके उत्तर अभी प्राप्त नहीं हुए हैं। आइए, उन पांच महत्वपूर्ण प्रश्नों पर ध्यान दें।

आइए अब हम ऊपर दिए गए प्रश्न पर ध्यान केंद्रित करें और उनके बारे में समझें।

( 1 ) पहला प्रश्न: अस्पताल पर हमला करने वाले लोग कौन थे?

विशाखा उस भयावह अनुभव को याद करते हुए कहती हैं, “हम अस्पताल के एक सुरक्षित क्षेत्र में स्थित हॉल में प्रवेश कर गए और अपने आप को अंदर से बंद कर लिया। हमने वहाँ जो भी वस्तुएं देखीं, उन्हें दरवाज़े के पास रख दिया ताकि कोई उसे तोड़ न सके।”
 विशाखा के अनुसार उस समय सभी लोग अत्यंत भयभीत थे।
हमारे अस्पताल में एक सहयोगी को जो कठिनाइयाँ झेलनी पड़ीं, वह आप सभी के लिए ज्ञात हैं। इस दौरान, हम पूरी रात जागते रहे और सुबह होने पर ही बाहर निकल सके।
इस प्रकरण में कोलकाता पुलिस ने अब तक 19 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि ये लोग कौन थे और धरने के स्थल पर आने का उनका उद्देश्य क्या था। इस संबंध में कई प्रश्नों के उत्तर अभी भी प्राप्त नहीं हुए हैं।
पुलिस के एक अधिकारी के अनुसार, 12 व्यक्तियों को गिरफ़्तार किया गया है और वे टाला थाना की हिरासत में हैं। इसके अतिरिक्त, पुलिस इस मामले में और कोई जानकारी प्रदान नहीं कर रही है।
देर रात तक इस मामले में 12 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन शुक्रवार सुबह कोलकाता पुलिस ने एक ट्वीट के माध्यम से जानकारी दी कि अब तक 19 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
कोलकाता पुलिस के अनुसार, इनमें से पांच व्यक्तियों की पहचान सोशल मीडिया पर प्राप्त फीडबैक के आधार पर की गई है।-Kolkata doctor-murder case
पुलिस ने यह अनुरोध किया है कि यदि कोई व्यक्ति किसी संदिग्ध को पहचानता है, तो कृपया इसकी सूचना प्रदान करें।



( 2 ) दूसरा प्रश्न: यह भीड़ कहां से उत्पन्न हुई?-Kolkata doctor-murder case

इस घटना से संबंधित एक महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि कोलकाता पुलिस इस मामले में क्या कार्रवाई कर रही है। पुलिस अब तक यह स्पष्ट करने में असफल रही है कि उन लोगों की पहचान क्या है, जो हमले के आरोप में गिरफ्तार किए गए हैं।

इसके अतिरिक्त, यह स्पष्ट नहीं है कि हमला करने वाली भीड़ कहाँ से आई थी और इस भीड़ में शामिल व्यक्तियों की पहचान क्या है।
इस उन्मादी भीड़ ने लाठी-डंडों के साथ न केवल प्रदर्शन स्थल को नष्ट किया, बल्कि वहाँ रखी कुर्सियों को भी तोड़ दिया। भीड़ का आक्रमण यहीं समाप्त नहीं हुआ, बल्कि इसके बाद अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड को भी अपने निशाने पर लिया गया, जिसे पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया। अस्पताल के चिकित्सकों और प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, यह सब एक घंटे से अधिक समय तक चलता रहा। इस दौरान, वहाँ तैनात पुलिसकर्मियों के साथ भीड़ की झड़प हुई, जिसने अस्पताल के मुख्य द्वार पर स्थित बैरिकेड को भी तोड़ दिया। इन झड़पों में कुछ छात्रों और पुलिसकर्मियों को चोटें आईं, जिसके परिणामस्वरूप पुलिस ने आंसू गैस के गोले भी छोड़े। गुरुवार को अपने कार्यालय के बाहर पत्रकारों से बातचीत करते हुए राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि इस झड़प में 15 से अधिक पुलिसकर्मी और अधिकारी घायल हुए हैं, जिनमें एक डीसीपी रैंक का अधिकारी भी शामिल है।

( 3 ) तीसरा प्रश्न: पुलिस चुप क्यों है?

अस्पताल में एक वरिष्ठ अधिकारी ने बीबीसी से बातचीत करते हुए यह बताया कि पुलिस को भीड़ को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के गोले दागने पड़े। उन्होंने कहा,

“अस्पताल के मुख्य द्वार पर स्थित कुछ सीसीटीवी कैमरे भी क्षतिग्रस्त हो गए थे। हालांकि, जो कैमरे कार्यरत थे, उनकी सहायता से कुछ व्यक्तियों की पहचान की गई है। इनमें से 12 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है।” लेकिन ये व्यक्ति कौन हैं

और किस संगठन या राजनीतिक दल से जुड़े हैं, इस बारे में उन्होंने जानकारी देने से मना कर दिया। पुलिस का कहना है कि जल्द ही और भी गिरफ्तारियां की जाएंगी। अचानक इतनी बड़ी भीड़ कहाँ से आई,

इस पर पुलिस ने भी कोई स्पष्टता नहीं दी है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, भीड़ के आने के बारे में विभिन्न दावे किए जा रहे हैं।

कुछ स्थानीय व्यापारी बताते हैं कि ये लोग ट्रकों पर सवार होकर आए, जबकि अस्पताल के एक कर्मचारी का कहना था कि ये सभी आसपास के निवासी हैं।

( 4 ) चौथा प्रश्न: रेज़िडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन का क्या बयान है?

अस्पताल के रेज़िडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन का कहना है कि जब भीड़ अस्पताल में पहुंची, उस समय सुरक्षाकर्मियों की संख्या बहुत कम थी, जिससे वे आसानी से अंदर घुस गए। घटना के अगले दिन, यानी बृहस्पतिवार को, अस्पताल में सैकड़ों हथियारबंद सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया, जिससे यह एक छावनी में बदल गया। इसके साथ ही कई आईपीएस अधिकारियों की भी तैनाती की गई है। रेज़िडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के प्रवक्ता डॉक्टर हसन मुश्ताक़ बताते हैं कि प्रदर्शनकारी छात्रों ने सोचा कि जो भीड़ मुख्य गेट के सामने इकट्ठा हो रही है, वह उनके आंदोलन के समर्थन में है, क्योंकि वे ‘हमें इंसाफ़ चाहिए’ के नारे लगा रहे थे। उन्होंने कहा, “लगभग एक से डेढ़ घंटे तक भीड़ मुख्य गेट के सामने रही, लेकिन पुलिस ने उस समय हस्तक्षेप नहीं किया, जिसके कारण हालात नियंत्रण से बाहर हो गए।”

( 5 ) पांचवां प्रश्न: मुख्यमंत्री का प्रदर्शन किसके विरुद्ध है?


पश्चिम बंगाल में हुई इस घटना ने राजनीतिक विवाद को जन्म दे दिया है। हालांकि, अब तक इसके समर्थन में कोई ठोस प्रमाण नहीं पेश किया गया है।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरोप लगाया है कि भीड़ बीजेपी और वाम दलों के समर्थकों की थी।
वहीं, विधानसभा में बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि भीड़ में शामिल लोग तृणमूल कांग्रेस के ‘गुंडे’ थे।

इस मुद्दे पर शुक्रवार को सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर फॉर इंडिया ने 12 घंटे के बंद का आह्वान किया, जिसे भारतीय जनता पार्टी ने भी समर्थन दिया।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी ‘घटना के विरोध’ में कोलकाता में शुक्रवार को रैली निकाली। हालांकि, वह स्वयं राज्य की मुखिया हैं और कोलकाता की घटना को लेकर उनके प्रशासन से सबसे अधिक सवाल उठाए जा रहे हैं।

कुल मिलाकर, पश्चिम बंगाल में राजनीतिक तापमान बढ़ गया है और आने वाले दिनों में यह स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।
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Haryana: In Ambala’s Naraingarh, an ex-serviceman kills six members of his family over a land dispute.

 

In a shocking incident, an ex-serviceman allegedly killed six members of his family (land dispute) in Rator village of Naraingarh town in Ambala, Haryana the police said on Monday. The slain family members include the accused’s mother Saroopi Devi (65), brother Harish Kumar (35), sister-in-law Sonia (32), a nephew  Mayank (6 months) and two nieces Pari (7), Yashika (5). 

According to the police, ex-servicemen Bhushan Kumar allegedly brutally killed the family members and injured his father with an axe while they were asleep. He killed the members over a land dispute, the preliminary investigation suggests. The police revealed that he also tried to burn the bodies inside his house after killing them. A niece, who was critically injured was rushed to PGIMER Chandigarh where she succumbed to her injuries.

Father injured while saving family – Dr Mukesh Kumar, Resident Medical Officer of Ambala Cantonment Civil Hospital said that five bodies were brought at around 7 in the morning. Om Prakash, the father of the accused tried to stop Bhushan from committing the heinous crime but was injured during the process. However, he managed to alert the neighbours, the police said. He is currently undergoing treatment at Naraingarh Civil Hospital

Providing case details, SHO Naraingarh, Inspector Rampal, said that six people have died in the incident and teams have been constituted to arrest the accused as he fled the scene after allegedly committing the murder. The police added that the investigation is underway and two people close to the accused have been questioned, meanwhile, teams are raiding various places. 

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IMD has issued a warning about prolonged heatwave periods that are expected to persist for 10-20 days between April and June.

 

The IMD has also predicted that the monsoon onset over Kerala is likely to be delayed by a week, with a possible arrival date of June 6th. This delay could further exacerbate the dry conditions in the country.

The IMD has attributed the harsh and dry summer to various factors, including the absence of any significant weather systems that can bring rainfall, the prevailing El Niño conditions, and the weakening of the Indian Ocean Dipole. These factors have contributed to the lack of moisture in the atmosphere, leading to higher temperatures and reduced chances of rainfall.

The impact of the dry summer is expected to be felt across various sectors, including agriculture, water resources, and public health. The lack of rainfall can adversely affect crop yields, leading to potential food shortages and increased prices. Water scarcity is also a concern, as reservoir levels are already low due to the deficient monsoon last year. This could lead to water rationing and increased reliance on groundwater sources, which may further deplete already stressed aquifers.

The dry and hot conditions can also have adverse effects on public health, with an increased risk of heat-related illnesses such as heatstroke and dehydration. Vulnerable populations, such as the elderly and those with pre-existing health conditions, are particularly at risk. The IMD has advised people to take necessary precautions, such as staying hydrated, avoiding direct exposure to the sun during peak hours, and seeking medical attention in case of any heat-related symptoms.

In response to the predicted harsh summer, the government and local authorities are taking measures to mitigate the impact. These include implementing water conservation measures, promoting efficient irrigation practices, and providing relief measures to affected farmers. Public awareness campaigns are also being conducted to educate people about the importance of water conservation and heat safety.

Overall, the IMD’s prediction of a harsh and dry summer in India highlights the need for proactive measures to mitigate the impact on various sectors and ensure the well-being of the population. It also underscores the importance of long-term planning and adaptation strategies to address the challenges posed by climate change and its effects on weather patterns.

Get ready to experience the peak of summer as April wraps up in Gujarat! ☀️ #SummerIsComing #GujaratClimate #StayHydrated

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